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    उत्तर प्रदेश में राज्यकर्मियों की हड़ताल से अधिकांश दफ्तरों में ताले

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    Updated: Wed, 13 Nov 2013 12:15 AM (IST)

    लखनऊ। सोलह सूत्री मांगों को लेकर राज्य कर्मचारी आज से हड़ताल पर हैं। इस दौरान सरकारी कार्या

    लखनऊ। राज्यकर्मियों की बेमियादी हड़ताल से पूरे प्रदेश में कामकाज प्रभावित रहा। इससे करीब चार अरब के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है। कुछ स्थानों पर आंशिक कामकाज हुआ। सरकारी अस्पतालों में हड़ताल का व्यापक असर दिखा। बाराबंकी, सीतापुर, अंबेडकरनगर, बलरामपुर में पहले दिन सरकारी कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा और फैजाबाद में लोगों को सरकारी काम में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पूर्वाचल के जिलों में भी सभी सरकारी दफ्तरों के ताले नहीं खुले। जौनपुर में माइक के प्रयोग को लेकर कर्मचारियों व पुलिस अधिकारियों से नोक-झोंक हुई। इलाहाबाद में कलेक्ट्रेट, कोषागार, वाणिज्य कर आदि महत्वपूर्ण विभाग खुले रहे। यहां अस्पतालों में हड़ताल बेअसर रही।

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    बुंदेलखंड और सेंट्रल यूपी के जिलों में हड़ताल का कुछ एक जगह छोड़ व्यापक असर रहा। स्वास्थ्य और परिवहन सेवा को छोड़ लगभग सभी विभागों में तालाबंदी रही। वहीं हमीरपुर में दोपहर बाद दफ्तरों में काम होने लगा तो महोबा में बिजली व शिक्षा विभाग और कलेक्ट्रेट कर्मचारी हड़ताल से दूर रहे। सपाई गढ़ में कर्मचारियों ने दफ्तरों के ताले नहीं खुलने दिए। फतेहपुर, अमेठी और रायबरेली में लगभग सभी सरकारी कार्यालयों में काम बंद रहा। कानपुर और हरदोई में कई विभागों में कर्मचारियों ने गेट पर ताला बंद कर प्रदर्शन किया। इटावा में 52 विभागों के कर्मचारियों ने कोई काम नहीं किया। कर्मचारियों के प्रदर्शन को लेकर एएसपी ऋषिपाल सिंह यादव से भिड़ंत हो गई।

    चार अरब राजस्व का नुकसान

    कर्मचारी नेताओं शिवबरन सिंह यादव और भूपेश अवस्थी के अनुसार राज्य कर्मचारियों के हड़ताल से पहले दिन सरकार को चार अरब राजस्व का नुकसान हुआ है। मुख्य रूप से जमीन की रजिस्ट्री प्रभावित हुई, पेंशन संबंधित कार्य नहीं हुए, चिकित्सकीय जांच प्रभावित रहा, सड़क निर्माण कार्य नहीं हुए, गाड़ियों का पंजीकरण नहीं हुआ और टैक्स जमा नहीं हुए, श्रम विभाग में पंजीकरण कराने वाले को निराश होकर घर लौटना पड़ा। ट्रेजरियों में लेन-देन का काम ठप रहा।

    सरकार का कानून-व्यवस्था सुचारु रहने का दावा

    सरकारी दावे के अनुसार पूरे सूबे में शांति व्यवस्था रही। कहीं कोई गिरफ्तारी नहीं की गयी है। मंगलवार को आइजी कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा ने पत्रकारों को बताया कि कहीं भी तालाबंदी नहीं हुई। एक दो जगह सूचना आई, लेकिन चेक कराने पर गलत पाई गयी। जवाहर भवन और इंदिरा भवन में पूर्णतया कार्य हुआ और पांच से सात प्रतिशत ही लोग हड़ताल पर रहे।

    हड़तालियों के खिलाफ सख्ती होगी

    मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने सभी प्रमुख सचिव, सचिव, मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को मंगलवार को पत्र लिखकर हड़तालियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उत्तर प्रदेश सेवा संघों को मान्यता नियमावली-1979 और 1999 के तहत हड़तालियों का 'कार्य नहीं तो वेतन नहीं' के सिद्धांत के आधार पर हड़ताल अवधि के वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा। यही नहीं, आंदोलन के उद्देश्य से अवकाश मांगने वाले कार्मिकों का अवकाश स्वीकृत नहीं करें। प्रति दिन तीन बार उपस्थित पंजिका मंगाकर कार्मिकों की उपस्थित की जांच करें। कार्य बहिष्कार कर रैली, धरना, प्रदर्शन, जुलूस निकालने वाले कार्मिकों के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई कर मुकदमा दर्ज कराएं।

    कर्मचारियों की मांगें

    - नियुक्ति की तारीख के आधार पर 10, 16 व 26 वर्ष में एसीपी का निर्धारण सुनिश्चित किया जाए।

    - वेतन विसंगतियां दूर करें।

    - केंद्र सरकार के बराबर भत्ता निर्धारित करे।

    - फील्ड कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता दिया जाए।

    - एसजीपीजीआई में कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा नियमावली शीघ्र बनाई जाए।

    - सभी विभागों में पदोन्नति का 26 फीसद कोटा निर्धारित किया जाए।

    - पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो।

    - वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का पद राजपत्रित घोषित हो।

    - संविदा कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 11 हजार निर्धारित हो।

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