उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल जारी, हजारों करोड़ का नुकसान
सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल आज भी जारी है। आज भी सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। तीन दिनी हड़ताल के कारण राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई है।
लखनऊ (वेब डेस्क)। प्रदेश सरकार के खिलाफ आज भी पूरे उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। लगातार दूसरे दिन हड़ताल के कारण सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है।
प्रदेश सरकार की 'वादाखिलाफी' के खिलाफ उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारी कल से तीन दिन की हड़ताल पर हैं। आज भी सरकारी कार्यालयों में ताले लटके हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले बुधवार को बुलाई तीन दिन हड़ताल के पहले ही दिन सरकार को करीब हजार करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई है।
सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल आज भी जारी है। आज भी सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
छठे दिन काम ठप, कर्मचारी लामबंद और दफ्तर में तालाबंद
परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने बताया कि इससे पहले 2013 में हुई हड़ताल के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सरकार ने चार मुख्य मांग मानने का वायदा किया था। इसके तीन वर्ष बाद भी जब सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया, तो कर्मचारी अपनी आवाज उठाने को मजबूर हैं। प्रदेश के विभिन्न विभागों के करीब 16 लाख राज्यकर्मियों ने कामकाज ठप रखा है।
इस तीन दिनी हड़ताल के पहले दिन बेसिक शिक्षा निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, उद्यान निदेशालय, समाज कल्याण निदेशालय, लोक निर्माण विभाग, श्रम विभाग, परिवहन, कोषागार, कृषि तथा लेखा विभाग के कार्यालय बंद रहे. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में तीन घंटे काम बंद रहा।
दफ्तर बंद करके उनके गेट पर कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया और कल शाम को राजभवन के सामने पीडब्ल्यूडी गेट पर बड़ी बैठक की। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद हड़ताल के तीसरे दिन समीक्षा करके भविष्य की रणनीति तय करेगी। अब हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है।
राजधानी लखनऊ में राज्यकर्मियों की हड़ताल का मिलाजुला असर
तिवारी ने बताया कि 2013 में परिषद के ही बैनर तले हुई महा हड़ताल के दौरान हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर राज्य सरकार चार मांगे मानने को तैयार हो गयी थी। इनमें राज्य कर्मचारियों को 'कैशलेस' इलाज की सुविधा, तहसीलदारों की पदोन्नति खत्म ना करने, सफाई कर्मचारियों को ग्राम प्रधानों से असम्बद्ध करके उनकी पदोन्नति की नियमावली बनाने और लिपिकों की समय से पदोन्नति में व्याप्त बाधाएं दूर करना शामिल था। उस समय सरकार ने इन मांगों पर सहमति जता दी थी, लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया। इसके अलावा अन्य मांगों को लेकर समितियां तो बनायी लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ।
उत्तर प्रदेश में राज्यकर्मियों की हड़ताल से अधिकांश दफ्तरों में ताले
राज्य कर्मचारियों की तीन दिनी हड़ताल के कारण राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई है। लखनऊ के साथ ही प्रदेश के हर जिले में सरकारी अस्पतालों में काम ठप है। लखनऊ के डफरिन, झलकारीबाई, भाऊराव देवरस, लोकबंधु के साथ लक्ष्मीबाई हॉस्पिटल में हड़ताल का बड़ा असर दिख रहा है। यहां पर स्टाफ नर्स व फार्मासिस्ट के साथ लैब टेक्नीशियन व पैरामेडिकल स्टाफ हड़ताल पर है। लखनऊ के ही लोहिया, बलरामपुर व सिविल हॉस्पिटल में सरकार के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। हॉस्पिटलों में मरीजों की जांच नहीं हो रही हैं। इसके साथ ही हॉस्पिटल में दवा के काउंटर भी बंद पड़े हैं। स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई है।
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