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    तकरार, झड़प और हंगामा कराती रही 1000-500 के नोटों पर पाबंदी

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Thu, 10 Nov 2016 11:30 PM (IST)

    1000-500 के नोटों पर पाबंदी से जरूरी चीजें खरीदने निकले लोगों को तकरार, बहस और हंगामे का सामना करना पड़ा। पेट्रोल पंपों सहित सभी जगह अफरातफरी रही।

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    लखनऊ (जेएनएन)। काले धन और भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पांच सौ और एक हजार के नोट प्रचलन से बाहर हो जाने से जन सामान्य के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया। दिन भर रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीदने निकले लोगों को तकरार, बहस और हंगामे का सामना करना पड़ा। मंडियों, पेट्रोल पंपों सहित सभी जगह अफरातफरी का माहौल रहा। बागपत और रामपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए गए। कई टोल प्लाजा पर दिन भर हंगामा होता रहा। बाजारों में सन्नाटा पसरने से कई हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। ठीक इसके उलट डीजल-पेट्रोल का कारोबार जबर्दस्त उछाल लेते हुए तीन गुना तक बढ़ गया। कांग्रेस ने कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किया। नोट लेने से इंकार करने और पेट्रोल पंपों पर जितने का नोट उतने का तेल लेने की बाध्यता के खिलाफ हंगामा, तकरार और झड़पें दिन भर होती रहीं।

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    पढ़ें- चुनाव से पहले 500/1000 के नोट बंद होने से पार्टियों पर बना वित्तीय सकंट का खतरा

    नोटों के बंद होने की घोषणा ने अवध के लोगों की नींद उड़ा दी। रात में लोग चिंता में सो नहीं पाए तो दिनभर नोट लेकर भागदौड़ करते रहे। सराफा में सन्नाटा छाया रहा। राजधानी में लोग नोट खपाने के चक्कर में 35 से 45 हजार रुपये में एक तोला सोना खरीदते रहे। यही हाल रेलवे और एयरपोर्ट का भी रहा। रेलवे में तो लोगों ने नोट खपाने का अनोखा तरीका खोजा और एडवांस टिकट कराने शुरू कर दिए। हालांकि बाजारों में खरीदारी ठंडी रही।सीतापुर में लोगों को छोटे नोटों की तंगी से जूझना पड़ा। बाजार में बिक्री नहीं हुई। न जिला कोषागार से मुद्रा का लेन-देन हुआ न स्टांप बिक्री। लखीमपुर और अंबेडकरनगर में बाजार में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। बलरामपुर, गोंडा, सुलतानपुर में भी अफरातफरी रही। रायबरेली व अमेठी में भी सराफा बाजार धड़ाम हो गया। करीब 50 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ है।

    कांग्रेसी सड़क पर, भाजपा का जश्न

    इलाहाबाद में स्वास्थ्य सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित दिखीं। निजी नर्सिंग होम, इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के ब्लड बैंक में बड़े नोट नहीं लेने से काफी दुश्वारी का सामना लोगों को करना पड़ा। नेशनल हाईवे पर भी झक झक हुई। कांग्र्रेसियों ने मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, जबकि भाजपाइयों ने आतिशबाजी की। सराफा कारोबार न के बराबर हुआ। इलाहाबाद में पर्यटन स्थल आनंद भवन पर बड़े नोटों को नहीं लिए जाने से तमाम सैलानी बैरंग वापस लौटे। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के राष्ट्रीय सम्मेलन में विरोध स्वरूप पांच सौ रुपये के नोट निकालकर नाराजगी जताई। प्रतापगढ़ में भी कांग्र्रेसी सड़क पर उतरे।

    व्यापारियों ने जुलूस निकाला

    कानपुर में नोट बंद होने के विरोध में थोक बाजार में व्यापारियों ने खुद को बांध कर जुलूस निकाला। इस दौरान सराफा बाजार आयकर के सर्वे की अफवाह पर बंद हो गया। बिरहाना रोड पर सबसे पहले सराफा ने विरोध कर दुकानें बंद कीं। इसके बाद नयागंज और फिर चौक सराफा की दुकानें बंद हो गईं। कांग्र्रेस ने भी विरोध जताते हुए केंद्र सरकार का पुतला फूंका। कारोबार लगभग ठप रहा। कई जगह नोटो न लेने पर मारपीट भी हुई।

    ई-लॉबी में रात से ही भीड़

    इटावा, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, हमीरपुर, बांदा, उरई, कन्नौज, उन्नाव, हरदोई आदि जिलों में लोग बैंकों की शाखाओं में मंगलवार की रात को ही ई-लॉबी में रुपया जमा करने को पहुंच गए थे। कुछ जगह हंगामा भी हुआ। उन्नाव के नवाबगंज टोल प्लाजा पर छोटे नोट न होने की वजह से जाम जैसे हालात रहे। कई जगह अराजकता के चलते पेट्रोल पंपों पर भी ताला लग गया। रोडवेज बसों में परिचालकों के नोट न लेने पर कहासुनी हुई।

    पउप्र में भी दिन भर तकरार, हंगामा

    पश्चिमी यूपी के बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़ और आगरा मंडल में भी कारोबार ठप रहने से बाजारों की स्थिति बेहद दयनीय रही। दिन भर नोट लेने से इंकार करने पर तकरार, बहस और हंगामा होता रहा। लोग रोजमर्रा की चीजें खरीदने को तरस गए। शादी के लिए खरीदारी करने वाले दिन भर भटकते रहे। न कहीं स्टांप की बिक्री हुई और न ही बैनामा। हर जगह प्रशासन ने कोई गाइड लाइन न मिलने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। मंगलवार रात से ही पेट्रोल पंपों पर उमड़ी भीड़ बुधवार देर शाम तक डटी रही। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सौ रुपये के अभाव में लंबे अरसे से अछूत दस रुपये के सिक्के के अच्छे दिन आ गए। छोटे नोट बाजार में मौजूद होने के बाद भी गायब रहे। नोट बंद होने के पहले दिन अलीगढ़ में 1000 करोड़, आगरा में 200, बरेली में 1500, मुरादाबाद में 70 और मेरठ में 1100 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। मुरादाबाद के मूंढापांडे और मेरठ के टोल प्लाजा पर झड़प हुईं तो अमरोहा में अतरासी टोल प्लाजा पर हंगामा हुआ। दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गईं।

    गहनों के लिए बरसे बंद हुए नोट

    लखनऊ में सोने-चांदी की कई दुकानों में बंद नोटों के बदले जेवरों की ब्रिकी भी हुई। बाजार में सोने का कोई भाव नहीं खुला। सूत्रों के मुताबिक कुछ दुकानदारों ने 35 से 45 हजार रुपये तोले के भाव से सोने की बिक्री की। उसके बदले चलन से बाहर हुए नोट स्वीकार लिए।

    रेलवे में सफेद किया कालाधन

    कानपुर में लोगों ने बड़े नोटों को चलाने के लिए 58 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक मूल्य के राजधानी एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों के फस्र्ट एसी के वेटिंग टिकट बनवाए हैं। माना जा रहा है कि इन टिकटों को नए नोट आते ही रेलवे के काउंटरों पर महज निरस्तीकरण चार्ज देकर निरस्त करवाकर रिफंड लिया जाएगा। रेलवे ने इस खेल को भांपा और 15 हजार रुपये से अधिक के टिकट की बुकिंग पर पैन कार्ड नंबर डालना अनिवार्य कर दिया, जबकि पांच हजार रुपये की कीमत वाले टिकटों की हर घंटे रिपोर्ट बनाई।

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    ताज पर हंगामा

    आगरा में ताजमहल पर सुबह टिकट बिक्री को लेकर पर्यटकों ने हंगामा किया। रजिस्ट्री दफ्तर भी हंगामे के बाद बंद करना पड़ा। रेलवे स्टेशन पर बड़े नोट लेकर पहुंचे यात्रियों को बुकिंग विंडो से बकाया की पर्ची पकड़ाई गई। हाईवे और सभी टोल प्लाजा पर नोटों के विवाद को लेकर वाहनों की कतार लगी रही।

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    कॉप 7 में आये 1500 विदेशी भी परेशान रहे

    बड़े नोट बंद होने से नोएडा कॉप 7 में हिस्सा लेने आए 180 देश के 1500 राजनयिक व नागरिक बेहद परेशान रहे। उधर नोट और बैंक बंद होने से साधन संपन्न लोगों ने ई बटुआ और पेटीएम से भुगतान का बेहतर विकल्प चुना।