शिया पर्सनल लॉ बोर्ड में पास हुआ महिलाओं को तलाक का हक
मुस्लिम महिलाओं को तीन बार कहकर तलाक देने की रवायत का ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है। शिया निकाहनामा में महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही अधिकार हैं।

लखनऊ (जेएनएन)। मुस्लिम महिलाओं को तीन बार कहकर तलाक देने की रवायत का ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी विरोध किया है। बोर्ड का कहना है कि इस तरह किसी भी महिला को तलाक नहीं दिया जा सकता है। शिया निकाहनामा में महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही अधिकार हैं। जिनमें महिला भी अपने पति को तलाक दे सकती है। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख शिया निकाहनामा भी पेश करेगा। यह प्रस्ताव आज ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी में पास किया गया है।
मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार देने की पेशकश
बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मिर्जा मोहम्मद अशफाक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सायरा बानो के मामले में तीन बार कहकर तलाक देने के आदेश को गलत बताया है। इस पर पर्सनल लॉ बोर्ड भी अपना पक्ष रखेगा। नशे की हालत में या गुस्से में अन्यथा किसी दूसरी दशा में तीन बाहर लगातार तलाक कहकर किसी महिला को तलाक नहीं दिया जा सकता है। तलाक लेने के लिए एक लंबी प्रक्रिया होती है। निकाह की पूरे नियम शिया निकाहनामा में भी है। शिया निकाहनामा में पुरुष के समान ही महिलाओं को भी अधिकार दिया गया है।
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बैठक में कश्मीर के उड़ी सेक्टर में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा भी की है। साथ ही केंद्र सरकार से इसे लेकर कड़े कदम उठाने की मांग की गई है। यूपी सहित कुछ राज्यों में आगामी विधान सभा चुनाव होना है। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड इन राज्यों के राजनैतिक दलों से अपील करेगा कि वह अपने घोषणा पत्र में शिया समुदाय को उनकी आत्मनिर्भरता के लिए विशेष अधिकार देने की मांग करेगा। जिस तरह केंद्र सरकार ने मुस्लिमों के लिए सच्चर कमेटी का गठन किया था, उसी तरह अब शिया धर्म के लोगों के लिए भी एक आयोग बनाया जाए। जिससे शिया धर्म के लोगों के पिछड़ेपन का पता लगाया जा सके।

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