औरंगजेब और बाबर से रिश्ता जोडऩे वालों की समाज में जगह नहींः योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गजनी, मोहम्मद गोरी, खिलजी, बाबर और औरंगजेब से रिश्ता जोडऩे वालों के लिए समाज में कोई जगह नहीं। ...और पढ़ें

लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मोहम्मद गोरी और बाबर से रिश्ता जोडऩे वालों की समाज में कोई जगह नहीं है। वह रविवार को यहां कन्वेंशन सेंटर में महाराज सुहेलदेव की स्मृति में आयोजित हिंदू विजयोत्सव दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। आयोजन विश्व हिंदू परिषद ने किया था। योगी ने कहा कि हर मजहब में राष्ट्रवादी होते हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अशफाक उल्ला खां, परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम इसके उदाहरण हैं। इन पर सबको गर्व है पर गजनी, गोरी, खिलजी, बाबर और औरंगजेब से रिश्ता जोडऩे वालों के लिए समाज में कोई जगह नहीं।
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मिट जाती इतिहास की रक्षा न करने वाली कौम
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो कौम अपने इतिहास व महापुरुषों की रक्षा नहीं कर सकती, वह मिट जाती हैं। उसके इतिहास और भूगोल का वजूद खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वालों का सम्मान होना चाहिए लेकिन, हमारे देश में कुछ लोगों ने साजिशन इतिहास से छेड़छाड़ की। राष्ट्र के असली नायकों को कमतर आंका गया। महाराणा प्रताप, शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह और गुरु तेगबहादुर जैसे लोगों के संघर्षों को अपेक्षित जगह नहीं मिली। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को महज स्थानीय लोगों का विद्रोह कहा गया।
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सुहेल देव को भूले तो गुलाम हो गए
सुहेल देव के पराक्रम की चर्चा करते हुए योगी ने कहा कि करीब हजार साल पहले पहले उन्होंने सैयद सालार मसूद को कड़ी शिकस्त दी थी। इस युद्ध में आक्रांता के दो सैनिकों को छोड़ कोई जीवित नहीं बचा। अगले 150 साल तक कोई भी विदेशी आक्रांता देश पर हमले की हिमाकत नहीं कर सका। जब हम उनके योगदान को भूले तो न केवल देश पर हमले हुए बल्कि हम गुलाम भी हो गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुहेलदेव सामाजिक समरसता के भी प्रतीक थे। उस समय की विषम सामाजिक व भौगोलिक स्थिति में विदेशी आक्रांता के खिलाफ 27 राजाओं का सहयोग लेना इसका सुबूत है।
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सांप्रदायिकता व राष्ट्रवाद पर बहस होनी ही चाहिए
योगी ने कहा कि सांप्रदायिकता व राष्ट्रवाद पर बहस हो ही जानी चाहिए। हालात ये है कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए समाज को जाति, धर्म व क्षेत्र में बांटने वाले और बहुसंख्यकों को गाली देने वाले खुद को मानवतावादी कहते हैं। अगर वे मानवतावादी हैं तो कन्या कुमारी से कश्मीर तक पूरे सेवाभाव एवं समर्पण से समाज के हर क्षेत्र में काम करते हुए देश को परमवैभव की ओर ले जाने की मंशा रखने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक जैसा संगठन कैसे सांप्रदायिक है? कौन क्या है, जनता के सामने बेनकाब करने के लिए यह बहस जरूरी है।
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पाठ्यक्रम में शामिल होंगे सुहेलदेव जैसे महापुरुष
मुख्यमंत्री ने एलान किया कि सुहेल देव, लाखन पासी, झलकारी बाई सरीखे देश के जिन महापुरुषों की इतिहास में उपेक्षा हुई है, उनके जीवनी को अगले सत्र से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। श्रावस्ती व बहराइच में सुहेलदेव की प्रतिमा स्थापित करने, लखनऊ के सैनिक स्कूल का नाम सुहेलदेव के नाम पर रखने, बहराइच में संग्रहालय और वहीं के बालार क्षेत्र में सूर्य मंदिर निर्माण की मांग को योगी ने पूरा करने का भरोसा दिया। योगी ने कहा कि कार्यक्रम में आए लोग और उनका जोश बता रहा है कि कुछ नया और अच्छा होने वाला है। मालूम हो कि वहां मौजूद लोग बार-बार जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। कार्यक्रम में संघ एवं विश्व हिंदू परिषद के लोग थे।
कौन हैं ये महापुरुष
महाराज सुहेलदेव : दसवीं शताब्दी में श्रावस्ती के राजा थे। इनके राज्य का विस्तार नेपाल से कौशांबी और वैशाली से गढ़वाल तक था। सन् 1088 में स्थानीय राजाओं को संगठित कर उन्होंने सालार और सालार मसूद को कड़ी शिकस्त दी। हमलावरों के दो सैनिकों को छोड़ कोई जीवित नहीं बचा।
लाखन पासी : माना जाता है कि दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी में वह लखनऊ के राजा थे। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी जिस टीले पर बना है, वहां उनका किला था। उनकी पत्नी का नाम लखनावती थी। लखनऊ का नामकरण उनके ही नाम पर हुआ है।
झलकारी बाई : महारानी लक्ष्मी बाई की विश्वस्त सहयोगी, उनकी हमशक्ल और सेना के दुर्गा दल की सेनापति थीं। दुश्मन को छकाने के लिए वह भी लक्ष्मी बाई के ही वेश में रणभूमि में जाती थीं। बुंदेलखंड में इनके वीरता की चर्चा आम है। केंद्र सरकार इनके नाम पर डाक टिकट भी जारी कर चुकी है।

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