Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अजय से योगी आदित्यनाथ और फिर मुख्यमंत्री का सफर

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Sun, 19 Mar 2017 04:38 PM (IST)

    अजय सिंह से योगी आदित्यनाथ और यूपी के मुख्यमंत्री बनने तक की पूरी कहानी।

    अजय से योगी आदित्यनाथ और फिर मुख्यमंत्री का सफर

    लखनऊ (जेएनएन)। उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में पैदा हुए एक साधारण से इंसान कैसे बन गए इतने बड़े योगी। आज हम आपको बता रहे हैं अजय सिंह से योगी आदित्यनाथ और यूपी के मुख्यमंत्री बनने की पूरी कहानी। 
    व्यक्तिगत जीवन
    योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह है।वह मूल रूप से उत्‍तराखंड के पौड़ी जिले के पंचूर गांव के रहने वाले हैं। यूपी के नए सीएम योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जनवरी 1972 को उत्तराखंड ( तब यूपी) के पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के पंचूर गांव में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पंचूर गांव में हुई। इसके बाद उन्होंने कोटद्वार डिग्री कॉलेज से गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया है।  सबसे दिलचस्प बात यह है कि योगी आदित्यनाथ का वास्तविक नाम अजय सिंह है।
    वो गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं। आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। वो हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है।
    ऐसे आए राजनीति में
    महंत अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे माने जाते है। 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने।
    वह गोरखपुर लोकसभा सीट से 2014 में तीन लाख से भी अधिक सीटों से चुनाव जीते थे। उन्होंने 2009 में दो लाख से भी अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। योगी आदित्यनाथ की पूर्वांचल की 60 से अधिक सीटों पर पकड़ मानी जाती है। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में जब नरेंद्र मोदी वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ने उतरे थे। उसी समय से संकेत मिल गया था कि बीजेपी पूर्वांचल पर पूरा फोकस रखकर यूपी की जंग जीतेगी।
    मोदी लहर के चलते भजपा ने लोकसभा की 80 में से 73 सीटें जीती थीं। अब 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा का पूरा फोकस पूर्वांचल के वोटरों पर है।
    राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए। योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए।
    ऐसे बढ़ा योगी का कद
    अब तक योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, सभा शुरू हो जाती, वो जो बोल देते हैं, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता है यही नहीं, होली और दीपावली जैसे त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से ऐलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिुंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है। 
    2008 में हुआ था जानलेवा हमला
    सात सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में बाल-बाल बचे थे, यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया। आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किए गए जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गई थी। डीएम ने बताया की वह बुरी तरह जख्मी है, तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया, लेकिन आदित्यनाथ उस जगह पर जाने के लिए अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कफ्र्य को हटाने की मांग की।
    अगले दिन उन्होंने शहर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की, लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। उनपर कार्यवाही का असर हुआ और मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फैल गए। उनकी गिरफ्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी और पुलिस का तबादला हो गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें