मन के अनुसार नहीं, अब जितनी जरूरत उतनी ही खाद मिलेगी
बिचौलिए और कारोबारी कई बार इस सब्सिडी वाली यूरिया व अन्य खाद को किसानों को बेचने की बजाय बाजार में बेच देते थे। ...और पढ़ें

गोरखपुर (जागरण संवाददाता)। गोरखपुर में मन मुताबिक खाद खरीदकर उसकी कालाबाजारी की मंशा अब पूरी नहीं हो पाएगी। मंडल के सभी जिलों में डबल एएस मशीन लगने के बाद मिट्टी के नमूनों की जांच तेजी से शुरू हो गई है। किसानों को जल्द ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी होने शुरू हो जाएंगे, जिसके बाद किसानों को बस वही खाद मिलेगी, जिसकी जरूरत उनकी फसल को होगी। इधर, एक अगस्त से खाद की बिक्री ईपीओएस मशीन से होनी तय हो गई है।
किसानों को सस्ती खाद उपलब्ध कराने के लिए सरकार इस पर सब्सिडी देती है। बिचौलिए और कारोबारी कई बार इस सब्सिडी वाली यूरिया व अन्य खाद को किसानों को बेचने की बजाय बाजार में बेच देते थे, जिसके चलते किसानों में खाद के लिए हाहाकार तो मचता ही था साथ ही सब्सिडी वाली सस्ती खाद का लाभ किसानों की बजाय कालाबाजारी उठा लेते थे।
सरकार ने बीते दिनों खाद की बिक्री के लिए ईपीओएस सिस्टम लागू कर दिया था। इसके बाद अब किसानों को खाद के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद अब एक अगस्त से मिट्टी की सभी खाद की बिक्री ईपीओएस मशीन से ही करने पर कंपनियों को सब्सिडी की रकम ट्रांसफर की जाएगी।
इसके अलावा किसानों की खाद की आवश्यकता को जानने के लिए सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने की कवायद भी तेज कर दी है। मृदा स्वास्थ कार्ड में हर किसान की मिट्टी की रिपोर्ट होगी कि मिट्टी में कितनी खाद की जरूरत होगी। जिस किसान के खेत में जिस खाद की जितनी जरूरत होगी उसके हिसाब से ही उसे खाद दी जाएगी। मृदा स्वास्थ कार्ड जारी करने में सबसे बड़े गतिरोध डबल एएस मशीन को भी सरकार ने खत्म कर दिया है।
मंडल के सभी चारो जिलों में डबल एएस मशीन लगने के बाद अब मिट्टी की 12 पैरामीटर पर जांच शुरू हो गई है। मृदा स्वास्थ कार्ड जारी होने के बाद इसे भी आधार से लिंक कर दिया जाएगा। किसान जैसे ही खाद के लिए अपना आधार कार्ड बताएंगे, मशीन खुद ब खुद मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट के आधार पर बता देगी कि किसान को खाद की कितनी जरूरत है।
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इस संबंध में एडी मृदा परीक्षण अभय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सभी जिलों में जुलाई माह से ही डबल एएस मशीन ने काम करना शुरू कर दिया है। अभी बैकलाग के मिट्टी के नमूनों की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किए जा रहे हैं।

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