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    मुलायम का धोबी पछाड़ - अखिलेश और रामगोपाल सपा से बाहर

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 31 Dec 2016 09:01 AM (IST)

    सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर राम गोपाल यादव को छह साल के लिये पार्टी से बाहर कर दिया।

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    लखनऊ (जेएनएन)। अभूतपूर्व घटनाक्रम। समझौते की गुंजाइश खत्म। मुलायम सिंह यादव ने बेहद कठोर होते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व प्रो.राम गोपाल को छह साल के लिए समाजवादी पार्टी से निकाल दिया। अब शनिवार को विधायकों, प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है, जिसमें मुख्यमंत्री के लिए कोई नाम भी तय किया जा सकता है। दूसरी ओर रामगोपाल ने एक जनवरी को विशेष अधिवेशन बुलाया है, जिसमें मुलायम के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पास कराकर उन्हें हटाने का निर्णय भी लिया जा सकता है। इधर, निष्कासन की कार्रवाई होते ही कई कार्यकर्ताओं ने आत्महत्या का प्रयास शुरू किया, धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया। अधिकारी प्रमुख सचिव गृह डीजीपी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के घर पहुंचे। मेरा व अखिलेश का निष्कासन असंवैधानिक : राम गोपाल सीएम ने कहा- -समाजवादी पार्टी मेरी है।
    सितंबर से शुरू समाजवादी पार्टी का संग्राम साल के आखिरी दिन ऐसे मोड़ पर पहुंच गया, जहां से वापसी के रास्ते नहीं बचते हैं। 27 सितंबर को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद अधिकारों-वर्चस्व की जो आग भड़की वह अखिलेश यादव, रामगोपाल पर निष्कासन कार्रवाई तक पहुंची। इससे पूर्व 29 सितंबर को अखिलेश यादव की ओर से सपा प्रत्याशियों के समानांतर सूची जारी की गई, जिसमें यह भी कहा गया कि बचे प्रत्याशी जल्द घोषित होंगे।

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    सुबह मुलायम सिंह और शिवपाल के बीच इन्हीं परिस्थितियों पर कई चरणों की चर्चा हुई और दोपहर होते-होते मुलायम सिंह यादव ने सपा अध्यक्ष की हैसियत से मुख्यमंत्री अखिलेश, प्रो.राम गोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उन पर क्रमश: पार्टी से इतर प्रत्याशियों घोषित करने व अनुशासनहीनता जैसे कई गंभीर इल्जाम थे। यह नोटिस जब जारी हुआ, उस समय अखिलेश व रामगोपाल पांच कालिदास मार्ग पर अपनी रणनीति पर मंथन कर रहे थे। कुछ देर बाद मुख्यमंत्री के घर से निकले रामगोपाल यादव ने कहा कि ऐसे नोटिस जारी होते रहते हैं। वह मीडिया के सवालों पर भी भड़क गये। कुछ देर बाद ही उनकी ओर से एक

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    जनवरी 2017 को डॉ.राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में समाजवादी पार्टी का विशेष अधिवेशन बुलाने का पत्र जारी किया गया। जिसमें कहा गया था कि चुनावी समय में पार्टी की गतिविधियों को देखते हुए हजारों कार्यकर्ता ने उन्हें पत्र लिखकर विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग की है। विशेष अधिवेशन का पत्र जारी होने की त्वरित प्रतिक्रिया हुई। मुलायम सिंह भड़क गये। शाम साढ़े छह बजे पत्रकारों को बुलाया और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रो.राम गोपाल यादव को निष्कासित करने का निर्णय सुनाया। मुलायम सिंह यादव ने राम गोपाल को लखनऊ बुलाया कहा कि प्रो.राम गोपाल पार्टी के साथ अखिलेश का भविष्य बर्बाद क र रहे हैं। यह बात अखिलेश को समझ में नहीं आ रही है। कहा कि पार्टी को बचाने के लिए वह कोई भी फैसला लेने से नहीं हिचकेंगे। कहा कि शनिवार को विधायकों व पार्टी के घोषित प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे का फैसला लिया जाएगा। पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर भी इस बैठक में हिस्सा ले सकते हैं।

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    मुलायम की खास-खास बातें
    -कहा कि राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष या 40 फीसद प्रतिनिधियों को है
    -कुछ लोगों से दस्तखत करा लिए हों, मगर यह असंवैधानिक
    -मैं विधायकों, प्रतिनिधियों से अपील करता हूं कि इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लें
    -कहा मैं खुद सम्मेलन बुला देता, मुझसे पूछ तो लिया होता, स्वत: फैसला मनमानी है, अनुशासनहीनता है
    -देश में किसी पिता ने अपने बेटे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया होगा, मैने तब बनाया जब सब विरोध कर रहे थे
    -बात हद से निकल गई थी, कड़ी कार्रवाई जरूरी हो गई थी, पार्टी बचाना ही है
    -रामगोपाल ने पहले भी अनुशासनहीनता के ढेरों काम किये, पार्टी से निकाला तो दिल्ली आकर माफी मांगी को माफ कर दिया
    -अखिलेश का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं रामगोपाल, मुझसे ज्यादा हो सकते हैं क्या उसके

    कोट पांच, छह लोगों व 25-30 सीटों के प्रत्याशियों पर ही मतभेद है। सब ठीक होगा। पार्टी क्यों छोडूंगा या तोडूंगा मैं तो काम कर रहा हूं। जो काम नहीं कर रहे हैं, वे बाहर जाएं। जो गड़बड़ कर रहे हैं कि उन्हें बाहर निकाला जाएगा-अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री (पार्टी से निकाले जाने से पहले शुक्रवार नगराम रोड स्थित एक पत्रकार के फार्म हाउस पर)

    कोई पार्टी हमेशा उन लोगों की टिकट देती है, जो जीतने के योग्य होता है। मैं मुलायम सिंह यादव के साथ हूं-बेनी प्रसाद वर्मा, राज्यसभा सदस्य

    रामगोपाल द्वारा हस्ताक्षरित एक सूचना के जरिये आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाया गया है। यह पार्टी संविधान के विरूद्ध है। ऐसे तथाकथित सम्मेलन में हिस्सा न लें-शिवपाल यादव, प्रदेश अध्यक्ष सपा (टिवटर पर) कई हजार प्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन एक जनवरी 2017 को 11 बजे लोहिया सभागार में बुलाया गया है। समाजवादी पार्टी के हित में सम्मेलन में हिस्सा अवश्य लें- प्रो.राम गोपाल यादव (निष्कासन से पहले कार्यकर्ता को भेजा पत्र)

    राम गोपाल ने बुलाया राष्ट्रीय सम्मेलन

    पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने एक जनवरी को लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया है। इस सम्मेलन में पार्टी के सभी पदाधिकारियों को बुलाया गया। इसमें पार्टी पदाधिकारी किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। पत्र में राम गोपाल ने लिखा है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार शानदार काम कर रही है। इसी काम के दम पर पार्टी 2017 में दोबारा सत्ता में लौटेगी। प्रो.रामगोपाल ने पदाधिकारियों को पत्र भेजकर आपातकालीन सम्मेलन की जानकारी दी है।

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    सम्मेलन दिन में एक बजे से होगा। माना जा रहा है कि सपा ने आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में भी घमासान होगा। इस बैठक में एक बड़ा खतरा भी हो सकता है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद प्रो.रामगोपाल यादव पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। उनको एक बार फिर समाजवादी पार्टी से भी निकाला जा सकता है। बेबाक बोल के लिए रामगोपाल को मिल सकती है कड़ी सजा मिल सकती है। एक को बैठक के बाद राम गोपाल को एक बार फिर से निकाला जा सकता है।

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    राम गोपाल की मुलायम को खुली चुनौती

    राम गोपाल ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह की नोटिस को बेहद हल्के में लिया है। राम गोपाल ने इस नोटिस को एक सिरे से खारिज करने के बाद कहा कि ऐसी नोटिस आती रहती है। नेताजी के नोटिस पर बोले, ऐसे नोटिस बहुत जारी होते हैं। राम गोपाल सवाल पूछ रहे मीडिया कर्मी पर भड़के। मीडिया को मूर्ख कहा। बोले, एक जनवरी को सब कुछ तय हो जाएगा।

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