सपा के 17 ओबीसी को एससी वर्ग में शामिल करने पर बिफरीं मायावती
मायावती ने कहा कि अखिलेश सरकार का यह प्रयास इस जाति के लोगों को धोखा देने के सिवाय कुछ भी नहीं है। वास्तव में प्रस्ताव इनसे पहले ही बीएसपी सरकार, केन्द्र सरकार के पास भेज चुकी है।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव घोषित होने से पहले प्रदेश सरकार के 17 अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को एससी जाति वर्ग में शामिल करने पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती बेहद बिफरी हैं। मायावती ने जारी बयान में कहा कि इन जातियों को एससी में शामिल करने का कैबिनेट का पारित प्रस्ताव यह केवल इन वर्गों की आंख में धूल झोंकने का प्रयास है और साथ ही यह केवल इनका खोखला व हवाई चुनावी हथकण्डा है।
मायावती ने कहा कि अखिलेश सरकार का यह प्रयास इस जाति के लोगों को धोखा देने के सिवाय कुछ भी नहीं है। वास्तव में प्रस्ताव इनसे पहले ही बीएसपी सरकार, केन्द्र सरकार के पास भेज चुकी है, जो अभी भी भारत सरकार के पास लम्बित पड़ा हुआ है।
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मायावती ने कहा कि पूर्व में इस मामले में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने तो संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ जाकर अपनी सरकार के स्तर पर भी इन्हें ओबीसी से हटाकर एससी में शामिल कर लिया था। जिसकी वजह से फिर ये ओबीसी की 17 जाति ना तो ओबीसी में ही रहीं और ना ही एससी में शामिल हो सकीं। इस कारण इन जातियों के लोग पूरी तौर से आरक्षण से वंचित हो गये।
मायावती ने कहा कि जिन्हें फिर बाद में बीएसपी की सरकार बनने पर बहाल करके इनको फिर से आरक्षण के दायरे में लाया गया और साथ ही एससी वर्ग का कोटा बढ़ाने की शर्त पर इन वर्गों को एससी वर्ग में में शामिल करने की भी सिफारिश केन्द्र की सरकार से की गयी थी।
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राज्यसभा सांसद मायावती ने कहा कि सपा सरकार ने पूरे शासनकाल के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की एक विशेष जाति यादव को छोड़ अन्य पिछड़ी जातियों की घोर उपेक्षा व अनदेखी की। अब प्रदेश में विधानसभा आमचुनाव से ठीक पहले उन्हें उसी प्रकार से गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है जिस प्रकार उन्हें 2005 में गुमराह करने का प्रयास किया गया था। इनके इस प्रकार के छलावे से ओबीसी लोग वैसे ही गुमराह होने वाले नहीं हैं जैसाकि वे 2007 में विधानसभा के आमचुनाव में नहीं होकर बीएसपी के साथ ही रहे थे।
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मायावती ने कहा कि कानूनी तौर से यह फैसला एकतरफा है व गलत है क्योंकि अनुसूचित जाति की सूची में किसी भी जाति को शामिल करने या हटाने का अधिकार किसी राज्य की विधानसभा या राज्य सरकार के पास नहीं। इसी कारण मुलायम सिंह यादव ने अक्टूबर 2005 में जब ओबीसी की 17 जातियों को एससी की सूची में शामिल करने का फैसला लिया था तो तब वे जातियां एससी में शामिल नहीं हो सकीं थीं।
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