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    मथुरा हिंसा : दो वर्ष तक चली तालिबानी हुकूमत, लड़कियों की पिटाई

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 10 Jun 2016 05:07 PM (IST)

    जवाहरबाग में रामवृक्ष यादव खुद को साबित तो नेताजी सुभाषचंद बोस के अनुयायी की तरह करता था, मगर अपने ही लोगों पर जुल्म ढाता था।

    लखनऊ (बेव डेस्क)। मथुरा के जवाहरबाग में दो साल तक तालिबानी हुकूमत चली। रामवृक्ष यादव खुद को साबित तो नेताजी सुभाषचंद बोस के अनुयायी की तरह करता था, मगर अपने ही लोगों पर जुल्म ढाता था। लड़कियों के लिए तो तालिबानी फरमान थे।

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    जवाहरबाग ऑपरेशन के बाद मुक्त हुईं लड़कियों ने यह हकीकत बयां की है। छोटी बच्चियों को भी जींस-टॉप पहनने पर मनाही थी। ऐसा करने पर सभी के सामने रामवृक्ष यादव खुद बच्चियों को पीटता था। वहीं, सनकी रामवृक्ष अपने परिवार की मौजूदगी में भी मिलने आती थीं।

    ऑपरेशन जवाहरबाग के बाद बहुत से बच्चे और लड़कियां भी आजाद हुए हैं। उन्हें बाल संरक्षण गृह और नारी निकेतन में रखा है। नारी निकेतन में रहने वाली लड़कियों ने मददगारों को आप बीती सुनाई। एक लड़की ने बताया कि नेताजी बहुत सख्त थे।

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    साफ कह रखा था कि कोई लड़की जींस-टॉप या स्कर्ट नहीं पहनेगी। वह एक बार होलीगेट से लैगी खरीदकर ले आई थी। पता चलने पर रामवृक्ष ने सभी के सामने मुझे पीटा था। उनसे मेरे माता-पिता भी बचा नहीं सके थे।

    इन्हीं लड़कियों का कहना था कि रामवृक्ष के आवास में एक युवती आती थी। वह उसके किसी करीबी की लड़की थी। उस पर कोई रोक-टोक नहीं थी। वह हमेशा रामवृक्ष यादव से मिलने के लिए जींस-टॉप में ही आती। उसे कोई कुछ नहीं कहता था। हमारा मन होता था कि उसकी तरह हम भी ऐसे कपड़े पहनें, लेकिन पिटाई के डर से नहीं पहन सकते थे।

    दो लड़कियों ने बताया वह दिसंबर 2015 में अपने गांव से मथुरा जय गुरुदेव आश्रम आईं, तो पापा हमें लेकर नेताजी से मिलने भी गये। हमारे हाईस्कूल के इम्तिहान आने वाले थे।

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    पिताजी ने बेटियों की पढ़ाई का हवाला देते हुए वापस लौटने की अनुमति मांगी, तो रामवृक्ष यादव ने साफ कह दिया, क्या कराओगे पढ़ाकर। ऐसी पढ़ाई से फायदा क्या होगा। इसके बाद यहीं के रह गये।

    परिवार भी था रामवृक्ष के साथ

    नारी निकेतन में रखी गई लड़कियों ने तस्दीक की है कि रामवृक्ष यादव के साथ उसकी पत्नी, दो बेटे और एक बहू रहती थी। जिस वक्त लड़ाई शुरू हुई, तब भी सब साथ थे। जब गोलियां चलने लगीं, तो फिर भगदड़ मच गई। पता नहीं कौन कहां गया। हम सब तो आग लगने के बाद निकलकर भागे।

    कहता था सरगना, जून तक हो जाएगा हमारा काम

    इन लड़कियों ने बात ने जवाहरबाग ऑपरेशन के बाद फैली सनसनी को और बढ़ा दिया है। ऑपरेशन की तैयारी पुलिस कई बार टाल चुकी थी, मगर रामवृक्ष यादव को पता था कि जून में जवाहरबाग का फैसला हो जाएगा। एक लड़की ने बताया कि उसके पिता ने नेताजी रामवृक्ष से कहा था कि मुझे घर जाने दो, लड़की की शादी करनी है। रामवृक्ष सभी से एक ही बात कहता था। तुम सब सिर्फ जून तक रुक जाओ। जून में हमारा काम हो जाएगा, फिर चले जाना। ये काम क्या था, ये किसी को नहीं पता। माना जा रहा है कि जवाहरबाग की जमीन को लेकर कोई फैसला होना था।

    बदायूं का राकेश गुप्ता था रामवृक्ष का फाइनेंसर

    मथुरा के जवाहरबाग पार्क में हिंसा का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव के फाइनेंसर का पता चल गया है। बदायूं का रहने वाला राकेश गुप्ता रामवृक्ष और उसके गुर्गों को रसद से लेकर तमाम जरुरी चीजें मुहैया कराता था पुलिस के मुताबिक राकेश गुप्ता और रामवृक्ष यादव लगातार एक दूसरे के संपर्क में थे। रामवृक्ष के मोबाइल से मिले कॉल रिकॉर्ड के अनुसार हिंसा से ठीक एक घंटे पहले दोनों के बीच 70 बार बात हुई थी। पुलिस का दावा है राकेश गुप्ता ही रामवृक्ष और उसके पूरे गिरोह को फाइनेंस करता था। अभी पुलिस यह नहीं बता सकी है कि इसके पीछे का मकसद क्या था. इस बीच पुलिस राकेश गुप्ता की तलाश में जुट गई है।