वापसी की भीड़ से लखनऊ की रेलवे और रोडवेज सेवा पस्त
जनरल कोच का हाल सबसे बुरा रहा, कोच में क्षमता से तीन गुना ज्यादा यात्रियों ने सफर किया।
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। हर बार की तरह इस बार भी रेलवे का सारा सिस्टम यात्रियों को बर्थ उपलब्ध कराने में लगा रहा, लेकिन अंत में यात्रियों को वापस जाने के लिए ट्रेनें कम पड़ गई। रेलवे स्टेशन पर भीड़ इतनी उमड़ी कि रेलवे फोर्स ने सिर्फ शांति व्यवस्था बनाए रखी, बाकी व्यवस्था यात्रियों ने ट्रेनों में खुद बना ली। अनारक्षित यात्रियों को जहां जगह मिली, वहीं बैठ गए। यह स्थिति लगभग सभी टेनों में रही। ट्रेन के फर्श और शौचालय में बैठकर भी लोगों ने यात्रा की।
ट्रेनों में शनिवार के बाद रविवार सुबह से ही मारामारी शुरू हो गई थी। दिल्ली जाने वाली गोमती एक्सप्रेस में भीड़ सुबह 5:30 बजे से प्लेटफार्म पर दिखने लगी थी। इस ट्रेन के चेयर कार में तय संख्या से दोगुने यात्री सवार हुए। इसके जाते ही दिल्ली, पटना, गोरखपुर, इलाहाबाद, बनारस, सुल्तानपुर जाने वाली ट्रेनों में भीड़ रही। कई बार यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आरपीएफ व जीआरपी को मशक्कत भी करनी पड़ी।
दोपहर में पंजाब मेल में भीड़ उमड़ पड़ी। स्लीपर व जनरल कोच में बैठने वालों की भीड़ सबसे ज्यादा रही। कुछ लोग तो ट्रेन के शौचालय में जाकर बैठ गए। इससे आरक्षित श्रेणी में सफर करने वाले यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी।
वहीं, जनरल कोच का हाल सबसे बुरा रहा। कोच में क्षमता से तीन गुना ज्यादा यात्रियों ने सफर किया। दोपहर 3:35 बजे लखनऊ जंक्शन से दिल्ली जाने वाली स्वर्ण शताब्दी में मारामारी रही। ट्रेन में चढ़ने के लिए यात्रियों में कहासुनी तक हुई और जबरदस्त धक्कामुक्की होती रही।
शाम होते ही गोरखपुर इंटरसिटी, चित्रकूट एक्सप्रेस, पुष्पक एक्सप्रेस में यात्रियों ने बर्थ पाने के लिए जुगत लगानी शुरू कर दी थी। पुष्पक एक्सप्रेस में जहां जनरल कोच में सफर करने वाले यात्री कई सौ मीटर लंबी लाइन लगाए थे वहीं अन्य ट्रेनों के प्लेटफार्म पर खड़े होते ही यात्री कोचों में प्रवेश पाने के लिए कूद पड़े।
उधर, चारबाग स्टेशन पर शाम को दिल्ली जाने वाली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, पद्मावत एक्सप्रेस, फैजाबाद दिल्ली एक्सप्रेस, लखनऊ मेल और एसी एक्सप्रेस में जबरदस्त भीड़ रही। अफसरों के मुताबिक सोमवार को सभी सरकारी व गैर सरकारी कार्यालय खुल रहे हैं, ऐसे में त्योहारों पर आए अधिकांश लोग निकल रहे हैं। हालांकि अफसरों ने बताया कि सोमवार के बाद मंगलवार से भीड़ सामान्य रहेगी।
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वीआइपी कोटे के लिए रही मारामारी: वीआइपी कोटे के लिए रविवार को सबसे ज्यादा मारामारी रही। दिल्ली की ट्रेनों में वीआइपी कोटा देने के लिए अफसरों को वरिष्ठों अधिकारियों की कई बार राय लेनी पड़ी। इससे कई ट्रेनों का कोटा अपने निर्धारित समय से विलंब से भी जारी हुआ।

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