International Yoga Day: योग और इस्लाम दोनों का मकसद एक लोगों का स्वस्थ्य बनाना
योग व इस्लाम में कोई विरोध नहीं है। दोनों का मकसद भी एक है। वसुधैव कुटुंबकम एक सपना था, जिसे योग साकार कर रहा है। यह मानना है स्कूल ऑफ योग एंड हेल्थ देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरि
[प्रशांत मिश्र] लखनऊ। योग व इस्लाम में कोई विरोध नहीं है। दोनों का मकसद भी एक है। वसुधैव कुटुंबकम एक सपना था, जिसे योग साकार कर रहा है। यह मानना है स्कूल ऑफ योग एंड हेल्थ देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के असिस्टेंट प्रोफेसर गुलाम अस्करी जैदी का।
एक दशक से योग सिखा रहे योग गुरु गुलाम अस्करी ने योग व इस्लाम के मुद्दे पर खुलकर अपने विचार साझा किए। दूरभाष पर बातचीत में उन्होंने कहा कि इस्लाम का असल मकसद इंसान को मुक्कमल इंसान बनाना है। इसलिए शरीयत-ए-इस्लाम में हर उस चीज की मनाही है, जो इंसान को इंसान से दूर करे। हर उस चीज पर पाबंदी है, जो स्वास्थ्य से दूर करे, लेकिन योग न सिर्फ लोगों को जोड़ता है, बल्कि उन्हें सेहत की सौगात भी देता है। योग पर फतवे के बारे में उन्होंने कहा कि देखिए, इस्लाम बहुत बड़ा दर्शन है। फतवा एक समुदाय की ओर से जारी होता है। इसका मतलब यह नहीं कि इस्लाम उस चीज का विरोध करता है। यूं समझिए कि अगर इस्लाम विरोध करता तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, तुर्की व अन्य कई मिडिल ईस्ट के देशों में योग न हो रहा होता।
रोजेदार भी कर सकते योग
गुलाम अस्करी जैदी ने कहा कि रोजे के दौरान अधिक शारीरिक श्रम की मनाही है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का जो 45 मिनट का प्रोटोकॉल है, यह बहुत ही सरल है। हर मौसम, आयु वर्ग व धर्म को ख्याल में रख कर बनाया गया है। इसे रोजेदार भी आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर उलमा योग के फायदे व महत्व पर चर्चा करेंगे, लोगों को बताएंगे तो जन जागरण होगा। मैं कई ऐसे आलिमों को जानता हूं, जो योग पर गंभीरता से काम कर रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।