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    यूपी विधानसभा में मुद्दा आधारित बहस को बढ़ावा देंगे हृदयनारायण

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Fri, 31 Mar 2017 10:44 PM (IST)

    नवनियुक्त अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित अधिकतम अवधि वाले सत्र चलाने और मुद्दा आधारित बहस को बढ़ावा देने के हिमायती हैं।

    यूपी विधानसभा में मुद्दा आधारित बहस को बढ़ावा देंगे हृदयनारायण

    लखनऊ (जेएनएन)। विधानसभा में स्पीकर से जुड़ी पुरानी यूरोपियन परंपरा को बदलकर चर्चा में आए नवनियुक्त अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित को प्राचीन परंपराओं में लोकतांत्रिक मूल्य और मर्यादा मजबूत नजर आती है। वक्त के साथ संसदीय व्यवस्था में बदलाव के पक्षधर दीक्षित अधिकतम अवधि वाले सत्र चलाने और मुद्दा आधारित बहस को बढ़ावा देने के हिमायती हैं। उनका मानना है कि सदन बवाल के बजाय जन सवालों को सुलझाने की जगह हो। 

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    कार्यभार संभालने के दूसरे दिन हृदयनारायण दीक्षित ने विधानसभा अधिकारियों व कर्मचारियों से मुलाकात की। दिनभर बधाइयां देने का सिलसिला भी चलता रहा। केवल भाजपा ही नहीं अन्य दलों के नेता भी दीक्षित से मिलने पहुंचे। सर्वसम्मत विधानसभा अध्यक्ष चुने गए दीक्षित का कहना है कि सदन संचालन में संतुलन का पूरा ध्यान रखा जाएगा। पूर्ववर्ती सरकारें सत्र चलाने में कंजूसी करती रही हैं परंतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन को अधिक से अधिक चलाने के समर्थक हैं। दीक्षित ने बताया कि सदन में 253 विधायक पहली बार निर्वाचित होकर आए हैं। ऐसे में नए सदस्यों को सदन की कार्यवाही का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

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    लोकसभा अध्यक्ष को न्योता 

    विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि पहला सत्र प्रारंभ होने के दो दिन पूर्व प्रशिक्षण देने की योजना बनाई जा रही है। कम से कम पांच सत्रों में चलने वाले कार्यक्रम में प्रशिक्षण देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को आमंत्रित किया जाएगा। अन्य प्रदेशों के प्रमुख संसदीय ज्ञान रखने वालों को भी बुलाया जाएगा। अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं के अनुभवों का लाभ भी नए सदस्यों को प्रदान कराया जाएगा।

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    पीएम को बुलाने का प्रयास 

    दीक्षित ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी विशेष अवसर पर सदन में आंमत्रित किया जाएगा। सत्र कब शुरू होगा के सवाल पर अध्यक्ष ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार को ही फैसला करना है। दीक्षित ने बताया कि इन समितियों को अधिक प्रभावी बनाने का काम भी किया जाएगा। इन समितियों की उपयोगिता जनहित कार्यो के लिए सरकार पर दबाव बनाने की है। सत्ता व विपक्ष में संतुलन बनाने का प्रयास किया जाएगा और नए सदस्यों को अधिकतम मौका देने का प्रयास करेंगे।

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    बदलाव से गुरेज नहीं

    संसदीय परंपराओं में यूरोपीय व्यवस्थाएं ज्यादा होने के सवाल पर दीक्षित ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों में भारत अग्रणी है और अपने देश में उत्तर प्रदेश विधान सभा का अपना अलग महत्व रहा है। विधानसभा सत्र चलाने की प्रक्रिया निश्चित है लेकिन कार्यमंत्रणा समिति को जरूरी बदलाव का अधिकार है। लोकतांत्रिक मूल्यों व आर्दशों को बढ़ावा देने के लिए जरूरी बदलाव से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।