फॉरेंसिक रिपोर्ट में खुलासा, लखनऊ में हुए तेजाब हमले की कहानी गलत
फोरेंसिक टीम को छात्रवास में तेजाब फेंके जाने के साक्ष्य नहीं मिले हैं, टीम का कहना है दीवार को बारीकी से जांचा गया है लेकिन यहां पर भी कोई सुराग नही ...और पढ़ें

लखनऊ (जेएनएन)। लखनऊ के अलीगंज में कुछ ही दिन पहले एक दुष्कर्म पीड़िता पर तेजाब से हमला हुआ था। इसके बाद से राजधानी में इस घटना को लेकर काफी हंगामा हुआ। लेकिन अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। रायबरेली की इस महिला पर तेजाब फेंकने के मामले में फॉरेंसिक टीम ने तेजाब हमले की कहानी को सही नहीं पाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिला के चेहरे की चमड़ी किसी ज्वलनशील पदार्थ से 9.2 प्रतिशत झुलसी है। वहीं, पति की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है और पड़ताल कर रही है।
पुलिस के मुताबिक, केजीएमयू के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों ने जांच में पाया कि महिला के शरीर पर तेजाब फेंका नहीं गया क्योंकि तेजाब फेंकने पर नीचे बहकर आता है। जिससे निशान बनते है। लेकिन, महिला के चेहरे और गले पर ऐसे निशान नहीं है। इसके अलावा फोरेंसिक टीम को छात्रवास में भी तेजाब फेंके जाने के साक्ष्य नहीं मिले है।
टीम का कहना है दीवार को बारीकी से जांचा गया है। लेकिन यहां पर कोई सुराग नहीं मिला है। महिला के पति ने सोमवार को अलीगंज थाने में तहरीर देते हुए बताया कि शनिवार को उसकी पत्नी पर छात्रावास में एक युवक ने तेजाब फेंका था। जिससे उसका चेहरा और गर्दन झुलस गया है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है आस-पास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
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पहले भी हो चुकी है एसिड अटैक की शिकार: पीड़िता मार्च में गंगा गोमती एक्सप्रेस से रायबरेली से लखनऊ की ओर जा रही थी, तभी उस पर हमला हुआ था। उसी वक्त चारबाग स्टेशन पर उसे उतारकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पीड़िता ने बताया था कि दो लोगों ने जबरन उसे तेजाब पिलाया और भाग गए।

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