बसपा के मंच से महिलाओं का सम्मान तार-तार, एक के बदले हजारों गालियां
बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ दयाशंकर सिंह ने भले ही एक आपत्तिजनक टिप्पणी की लेकिन जवाब में बसपा कार्यकर्ताओं ने मर्यादा ताख पर रखते हुए मंच से हजारों गालियां
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ दयाशंकर सिंह ने भले ही एक आपत्तिजनक टिप्पणी की लेकिन जवाब में बसपा कार्यकर्ताओं ने मर्यादा ताख पर रखते हुए मंच से हजारों गालियां दीं। भाजपा नेता को कुत्ता लिखे बैनर लहराने के साथ ही फांसी देने के नारे घंटों लगाए। बसपाइयों ने दयाशंकर की बीवी, बहन व बेटी पर भद्दे व अशोभनीय नारे लगा, नारी सम्मान की धज्जियां उड़ायीं।
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यह सब बसपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में माइक पर हुआ। हालांकि वरिष्ठ नेताओं ने अपने संबोधन में सीधी गालियां प्रयोग नहीं कीं परन्तु कार्यकर्ताओं की भीड़ ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। जिस भाषा का प्रदर्शनकारियों ने इस्तेमाल किया, उसे कतई सभ्य नहीं माना जा सकता। एक के बदले हजारों गालियां वाले इस प्रदर्शन में भड़काऊ व भद्दे नारे लिखी तख्तियां लिए कार्यकर्ताओं की संख्या भी अच्छी खासी थी। प्रदर्शनकारी महिलाएं भी भाजपा नेता के परिजनों को कोसने में पीछे नहीं थी। इस उग्रता के चलते प्रशासन की बेचैनी बढ़ी। भाजपा कार्यालय पर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त करने के साथ भाजपाई झंडा लगी गाडिय़ों को धरना स्थल की ओर जाने से भी रोका गया।
गुस्सा वोटों में बदलने की उम्मीद
मंच से गालियों की बौछार को बसपा नेता वोट में बदलने की उम्मीद लगाए थे। पूर्वांचल से जुडे एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि बसपाइयों को रिचार्ज करने का मुद्दा हाथ लग गया। इसके जरिए दलितों में भाजपा की बढ़ती पैठ पर भी अंकुश लगेगा। गाली के बदले गाली देने को सही करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे उनका वोटर संतुष्ट होता है। कार्यकर्ताओं का यह गुस्सा चुनाव तक बना रहा तो बागियों के कारण पार्टी के जनाधार में आयी गिरावट की भरपाई काफी हद तक हो सकती है। उल्लेखनीय है, दयाशंकर प्रकरण पर बने माहौल को कैश कराने के लिए बसपा ने अपने विधायकों, विधानसभा के उम्मीदवारों और प्रमुख नेताओं से गुरुवार को लखनऊ पहुंचने को कहा था। बसपा के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने बुधवार को देर रात ही थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया गया था।
सिद्दीकी ने दी सफाई
गालियों की बौछार पर बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सफाई देने की कोशिश की। कहा, किसी बड़े नेता ने अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। आम कार्यकर्ता में गुस्सा जरूर है जिसे संभालने की कोशिश हो रही है।
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