भाजपा ने निकाय चुनाव में बदला फॉर्मूला, मुस्लिमों को लुभाने में जुटी
नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर 17 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, इनमें चार पुरुष और 13 महिलाएं हैं।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। विधानसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से परहेज करने वाली भाजपा ने निकाय चुनाव में अपना फार्मूला बदल दिया है। नगर पंचायत और नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष पद के लिए कई मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका दिया है। संकेत साफ हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे के साथ ही मुसलमानों को भी लुभा रही है।
एक तरफ योगी सरकार हिंदुत्व और विकास के एजेंडे पर केंद्रित है तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ-सबका विकास के नारे को भी चरितार्थ करने की मुहिम जारी है। मसलन, निकाय चुनाव में भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार का श्रीगणोश अयोध्या से किया।
अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय गए थे। योगी इसके पहले भी तीन बार अयोध्या गये थे और त्रेता युग की तरह दीपावली का आयोजन कर देश-दुनिया में अयोध्या का महत्व बढ़ाया।
वहीं दूसरी तरफ नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर 17 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे। इनमें चार पुरुष और 13 महिलाएं हैं। मुस्लिम महिलाओं को महत्व देकर भाजपा ने तीन तलाक के मसले को भी साधने की कोशिश की है। इससे एक बात स्पष्ट है कि भाजपा मुसलमानों के मतों के ध्रुवीकरण का किसी को मौका देना नहीं चाहती है।
गौर करें तो मेरठ जिले की नई बनी शाहजहांपुर नगर पंचायत में आयशा बेगम जबकि इसी जिले की सिवालखास में फिरदौस कुरैशी भाजपा के उम्मीदवार हैं। मेरठ जैसे मुस्लिम बहुल जिले में इन दोनों उम्मीदवारों की मौजूदगी भाजपा की मंशा स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है।
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भाजपा निकाय चुनाव प्रभारी और प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर का कहना था कि भाजपा तो सबका साथ-सबका विकास चाहती है। सिर्फ नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत ही नहीं नगर निगम के वार्डों में भी मुस्लिम उम्मीदवारों को भाजपा ने मौका दिया है। प्रदेश के कई जिले हैं जहां भाजपा ने नगर पंचायत से लेकर निगम तक मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं।
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