नोटबंदी : विवाह के सात फेरे से पहले पूरा पूरे करने होंगे आरबीआई के सात वचन
अब विवाह के दौरान होने वाले सात वचन के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक के सात वचन का भी पालन करना होगा। सरकार ने शादी वाले घरों को बैंक से ढाई लाख रुपए निकालने के नियम से राहत दी हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। देश में पांच सौ तथा एक हजार के नोट बंद होने के बाद मची अफरातफरी के बीच सैकड़ों लोगों ने विवाह को टाल दिया है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो विवाह पहले से तय कार्यक्रम पर ही कर रहे हैं। इनको अब विवाह के दौरान होने वाले सात वचन के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक के सात वचन का भी पालन करना होगा।
केंद्र सरकार ने नोट बंदी के बाद कड़े नियम के बीच शादी वाले घरों को बैंक से ढाई लाख रुपए निकालने के नियम से राहत दी हैं।
आरबीआई के नियम
1. ढाई लाख तभी मिलेंगे जब रकम अकाउंट में 8 नवंबर से पहले जमा हो।
2. शादी 30 दिसंबर तक हो जानी चाहिए।
3. शादी वाले परिवार का एक ही सदस्य ढाई लाख निकाल सकता है।
4. दूल्हे का परिवार और दुल्हन का परिवार अलग-अलग ढाई लाख निकाल सकते हैं
5. बड़ा खतरनाक है पांचवां वचन। जिनके यहां शादी है वो लिखवाकर देंगे कि जिनको पैसे दे रहे हैं उसके पास बैंक अकाउंट नहीं है।
6. कैश में पेमेंट की रसीद लेनी होगी।
7. शादी के कार्ड का सबूत देना होगा. एडवांस पेमेंट की रसीद देनी होगी।
अब विवाह से जुड़े उन लोगों की जानकारी देनी होगी जिनको दस हजार रुपये से अधिक का पेमेंट करना है। यह बताना होगा कि उनका कोई बैंक खाता नहीं है। पहले नियम था कि जिन जिन लोगों को पेमेंट देना है, उनके बारे में बताना होगा कि इनका बैंक अकाउंट नहीं है। यह भी बताने की शर्त थी कि उनसे पूछना होगा कि उन लोगों ने अब तक बैंक खाता किस लिए नहीं खोला है। अब विवाह वाले घरों को इससे राहत दी गई है।
रिजर्व बैंक ने विवाह वाले घर को पैसे निकालने का ऐलान तो कर दिया लेकिन आरबीआई को शर्ते सात वचने से ज्यादा लोगों को भारी पड़ रही हैं। आरबीआई ने ढाई लाख रूपये निकालने के लिए सात नियम बनाए हैं जिसे पूरा करने पर ही लोगों को पैसे ही मिल पाएंगे। आरबीआई के नियमों में साफ लिखा है कि सरकार मान रही है कि शादियों में बड़े पैमाने पर काले धन का लेन देना होता है।
शादी करने वाले परिवार भले सफेद धन से शादी करता हो लेकिन उसके हाथ से जैसे ही शादी का खर्च शुरू होता है वो काला धन बनता जाता है क्योंकि हलवाई, टेंट वाला, फूल वाला कैश में मोटा पैसा लेता है जिसका न तो हिसाब सरकार को नहीं देता है, न टैक्स। शादियां कराने वाले इवेंट मैनेजर्स या तो पूरा पैसा कैश में लेते हैं या आधा कैश या आधा चेक से लेते की शर्त रखते हैं।
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