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    जवाहर बाग संघर्ष में गिरफ्तार 96 महिलाओं की जमानत नहीं

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Thu, 16 Jun 2016 07:42 PM (IST)

    मथुरा के ऑपरेशन जवाहर बाग की बंदी महिलाओं को जमानत नहीं मिल सकी। अब इनकी न्यायिक हिरासत 14 दिन बढ़ा दी गई है, इनके बच्चे भी साथ रहेंगे। अगली सुनवाई 30 जून को होगी ।

    लखनऊ ( जेएनएन)। मथुरा के ऑपरेशन जवाहर बाग की बंदी महिलाओं को आज जमानत नहीं मिल सकी। न तो कोई महिलाओं की पैरवी के लिए आया और न ही कोई जमानत अर्जी इनकी ओर से मजिस्ट्रेट को दी गई। अब बंदियों की न्यायिक हिरासत 14 दिन के लिए बढ़ा दी गई है, इनके बच्चे भी साथ रहेंगे। अगली सुनवाई 30 जून को होगी ।

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    दो जून को हुए जवाहरबाग कांड के दौरान गिरफ्तार 96 महिलाएं 74 बच्चों के साथ एटा की मुख्य जेल के अंदर बाल कारागार में बंद हैं। गिरफ्तारी के बाद 16 जून को पहली सुनवाई के लिए मथुरा से मजिस्ट्रेट सर्वानंद गुप्ता दोपहर साढ़े बारह बजे बाल कारागार गृह पहुंचे। पेशी के दौरान एक भी जमानत अर्जी नहीं आई। मजिस्ट्रेट ने महिलाओं के बयान दर्ज किए। पूछा गया कि कब से वे जवाहर बाग में थीं, और वहां कैसे पहुंचीं। किसी ने पंद्रह दिन, तो किसी ने एक सप्ताह का समय बताया। सुनकर मजिस्ट्रेट भी चौंके कि महिलाएं सच क्यों छिपाना चाहती हैं। इनमें कई अविवाहित लड़कियां भी हैं। इनकी उम्र 18 से 25 साल के बीच है। इन्होंने बताया कि वे अपने परिवार के साथ नहीं आईं। उन्हें बताया गया था कि काम दिलाया जाएगा, इसलिए चली आईं। यह पूछने पर कि वे जवाहर बाग में दिन भर क्या करती थीं? युवतियां बोलीं कि वे कोई काम नहीं करती थीं। दोनों टाइम का खाना और नाश्ता उन्हें मिलता था।

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    लाठी लेकर पुलिस से भिड़ रही थीं कई

    सुनवाई के दौरान कई ऐसी लड़कियां और महिलाएं मजिस्ट्रेट और उनके स्टाफ ने पहचान लीं, जो लाठी लेकर पुलिस से भिड़ रही थीं। जवाहर बाग की बाउंड्री गिराते वक्त महिला नैमश्री खुद महिलाओं के जत्थे की अगुआई कर रही थी। इनके हाथों में फरसे भी थे। नैमश्री ने मथुरा तहसील की टीम को हड़काया था तथा धमकी भी दी थी। इस महिला को पहचान लिया गया। बयान दर्ज होने के बाद मजिस्ट्रेट ने बाल कारागार की व्यवस्थाएं देखीं। जहां कमी पाई, उसे पूरा करने के निर्देश दिए। महिलाओं को दिया जाने वाला खाना भी देखा। महिलाओं से रहन-सहन आदि की जानकारी ली और जेल के डाक्टर को सबके स्वास्थ्य परीक्षण के निर्देश दिए। मजिस्ट्रेट दो घंटे तक कारागार में रहे।

    सुरक्षा कारणों से रोकी रिहाई: मजिस्ट्रेट

    एसडीएम सर्वानंद गुप्ता ने बताया कि महिलाओं को एक साथ छोडऩे से शांति भंग का खतरा था, इसलिए फिलहाल इनकी रिहाई उचित नहीं है। इनके परिवार वाले या जमानत लेने वाले भी नहीं आए। जमानत लेने वाले अगली तिथि पर अगर आते हैं, तो सत्यापन के बाद महिलाएं परिजनों की सुपुर्दगी में दी जाएंगी।

    जताया था खतरे का अंदेशा

    इन बंदियों के बारे में मथुरा की एलआइयू रिपोर्ट में आशंका जताई गई थी कि एक साथ बंदियों को छोड़ देने से महिलाएं अपने पतियों को छुड़ाने के लिए प्रशासन के समक्ष दबाव बनाने की कोशिश कर सकती हैं, जिससे शांति भंग होने का अंदेशा है।