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शहीद परिजनों को मलायम की सांत्वना और साथियों के 26 लाख

सपा मुखिया मुलायम सिंह ने शहीद मुकुल द्विवेदी के पिता श्रीचन्द से फोन पर की बात कर सांत्वना दी और घटना पर अफ़सोस जताया। इस बीच मथुरा के पुलिस कर्मियों ने अपना दो दिन का वेतन कटवाने का फैसला लिया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 04 Jun 2016 06:41 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jun 2016 09:43 PM (IST)
शहीद परिजनों को मलायम की सांत्वना और साथियों के 26 लाख

लखनऊ (जेएनएन)। मथुरा के जवाहरबाग में शहीद हुए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के पिता श्रीचंद दुबे ने सपा मुखिया मुलायम सिंह से बेटे के लिए न्याय मांगा है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और इलाज को लेकर कई सवाल भी उठाए। गुरुवार को ऑपरेशन जवाहरबाग के दौरान एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार यादव शहीद हो गए थे।

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शनिवार को शहीद एसपी सिटी के छोटे भाई प्रफुल्ल दुबे ने जागरण को बताया कि मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार रात उनके पिता को फोन कर घटना पर दुख जताते हुए सांत्वना दी थी। पिताजी ने उन्हें घटनाक्रम से अवगत कराते हुए कहा कि उनके बहादुर बेटे को न्याय मिलना चाहिए। बकौल प्रफुल्ल, पिताजी ने सपा मुखिया को बताया कि एसपी सिटी के साथ जवाहरबाग में गए सुरक्षाकर्मी पीठ दिखाकर उन्हें नक्सली ताकतों के बीच अकेला ही छोड़कर भाग आए थे। इसके बाद बेरहमों ने उनके बेटे के सिर पर बेरहमी से ताबड़तोड़ प्रहार किए थे और घायल हालत में लाकर उन्हें बाहर लाकर यूं ही छोड़ दिया था।

दस-पंद्रह मिनट बाद सिटी मजिस्ट्रेट रामअरज यादव अपनी गाड़ी से मुकुल को अस्पताल ले गए थे। करीब आधे घंटे से अधिक समय तक उनका खून बहता रहा। नयति अस्पताल में भी खून का इंतजाम नहीं था। मुकुल के लिए खून देने वाले पुलिस कर्मियों की लंबी लाइन लगी थी, लेकिन चिकित्सकों ने ताजा खून लेने से इंकार कर दिया था। इसके बाद एसपी सिटी के लिए खून की व्यवस्था दूसरे अस्पताल से की गई थी। करीब चार घंटे तक उन्हें नयति अस्पताल में रखा गया था, हालत में सुधार न होने पर भी उन्हें अन्य किसी अस्पताल में ले जाने की जरूरत नहीं समझी गई। शहीद के पिता ने यह भी कहा कि जवाहर बाग को खाली कराए जाने को लेकर अफसरों में पेशबंदी थी और बार-बार उनके बेटे को ही आगे किया जा रहा था।

जेल में कैदियों ने धुने दहशतगर्द

खुद को सत्याग्रही कहने वाले जवाहरबाग के कब्जेदारों के खिलाफ हर तरफ नफरत फैली हुई है। सिर्फ शहर की जनता ही नहीं, खुद अपराधों की सजा काट रहे कैदियों की नजर में भी ये दहशतगर्द थे। उन्होंने जेल में ही इनकी जमकर धुनाई की। ऑपरेशन जवाहरबाग के बाद जब इन्हें अस्थायी जेलों में रखा गया, तो क्षेत्र की भीड़ इन्हें मारने को आमादा थी, मगर जैसे-तैसे पुलिस ने लोगों को समझा दिया। जेल सूत्रों के अनुसार, शनिवार को जब इन कथित सत्याग्रहियों को मथुरा जेल में भेजा गया, तो वहां ये कैदियों के गुस्से का शिकार हो गए। जेल में घुसते ही कैदी इन पर टूट पड़े। दो सौ से अधिक दहशतगर्दोंं के साथ न सिर्फ गाली-गलौज की, बल्कि जमीन पर पटककर लात-घूंसों से पीटा गया। कैदी भी इन्हें आतंकवादी कह रहे थे। जेल अधिकारी हालांकि इस घटना से इंकार कर रहे हैं।

शहीदों को साथियों से 26-26 लाख

इस बीच मथुरा के पुलिस कर्मियों ने अपना दो दिन का वेतन कटवाने का फैसला लिया है। इससे शहीद एसपी सिटी और शहीद एसओ संतोष कुमार के परिजनों को दिया जाएगा। मथुरा सीओ सिटी चक्रपाणि त्रपाठी ने बताया कि यह राशि 26-26 लाख रुपए होगी। उल्लेखनीय है कि एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी ऑपरेशन जवाहरबाग़ के दौरान शहीद हो गए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को य्दि आधार बनाकर देखा जाए तो मथुरा संघर्ष में मारे गए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की जान बच सकती थी अगर उनके साथी उन्हें अकेला छोड़कर भागे नहीं होते। दरअसल, गुरुवार शाम जब मुकुल द्विवेदी जवाहरबाग़ में अतिक्रमण हटाने गए थे उस समय उनके साथ आठ पुलिसकर्मी थे लेकिन जब घात लगाए रामवृक्ष यादव के गुर्गों ने हमला बोला तो सभी सहयोगी पुलिसकर्मी उन्हें छोड़ मौके से फरार हो गए अगर पुलिसवालों ने साहस दिखाया होता तो मुकुल आज जिंदा होते। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उनकी हत्या बेरहमी से पीट-पीटकर कर की गई थी। उनके सर की कई हड्डियां टूटी हुई थीं।


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