परहुल देवी का वरदान, कष्टों का होता निदान
रमाबाई नगर, हमारे प्रतिनिधि : मैथा ब्लाक के लम्हरा गांव में रिंद नदी किनारे स्थित मां परहुल देवी मंदिर आल्हा काल की याद दिलाता है। मान्यता है कि परहुल देवी के दरबार में मत्था टेकने वालों के हर कष्ट दूर हो जाते हैं। मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धालु यहां घंटे चढ़ाते हैं।
रूरा-शिवली मार्ग पर लम्हरा गांव के पास रिंद नदी की तलहटी में आल्हा कालीन परहुल देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। नवरात्र की अष्टमी पर दूरस्थ जनपदों व गैर प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं। एक किवदंती के अनुसार आल्हा ने विजय कामना के लिए इस मंदिर में कई किलो सोने का ज्योति कुंड बनवाया गया था। अखंड ज्योति की रोशनी से कन्नौज के राजमहल तक जाने पर रानी पद्मा के कहने पर ऊदल ने बुझाने के बाद ज्योति को रिंद नदी में फेंक दिया था। कहते हैं कि मंदिर में रात्रि में दीपक की रोशनी दिखाई देती है और प्रात: काल मंदिर के कपाट खुलने पर नौमुखी देवी मूर्ति पर सफेद व गुलाबी जंगली फूल चढ़े मिलते हैं।
ऐसे पहुंचे मंदिर
शिवली-रूरा मार्ग पर गहलौं के आगे रिंद नदी पुल के पास से मंदिर को मार्ग है। कन्नौज से आने वाले श्रद्धालु गहिरा चौराहे से गहलौं संपर्क मार्ग से भी मंदिर पहुंचते हैं। जबकि रूरा रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद नहर पुल से बस या टेंपो से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
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