बेहद खतरनाक है झांसी-कानपुर ट्रैक, सौ किमी में सात दरार
कानपुर देहात के पुखरायां में हुए ट्रेन हादसे में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। रेलवे की गोपनीय रिपोर्ट में जिक्र किया गया था कि ट्रैक जर्जर था और सात जगह से फ्रैक्चर भी था।
कानपुर (जेएनएन)। ईस्ट तथा सेंट्रल उत्तर प्रदेश को देश के पश्चिम दक्षिण भाग से जोडऩे वाला कानपुर तथा झांसी रेलवे ट्रैक बेहद खतरनाक है। इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसे की जांच के दौरान एक से एक चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। झांसी से कानपुर को जोडऩे वाले करीब सौ किलोमीटर की दूरी वाले इस ट्रैक पर सात जगह पर दरार थी। इसके बाद भी ट्रेन को सौ किमी प्रतिघंटा की रफतार से दौड़ा दिया गया।
कानपुर देहात के पुखरायां में हुए ट्रेन हादसे में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। रेलवे की एक गोपनीय रिपोर्ट में यह जिक्र किया गया था कि यह ट्रैक जर्जर था और इसमें सात जगह से फ्रैक्चर भी था। अक्टूबर 2016 में भेजी गई गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक इस ट्रैक पर जगह पर फ्रैक्चर था। इस वजह से 30 किलोमीटर की दूरी तक रेलवे ने काशन लगाया हुआ था और ट्रेन की अधिकतम स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई थी।
इसके बावजूद किसके निर्देश पर ड्राइवर ने इंदौर-पटना एक्सप्रेस को 100 की स्पीड में इस जर्जर ट्रैक पर दौड़ाया अब यह जांच का विषय है। इस रिपोर्ट के मुताबिक झांसी-कानपुर रूट पर 06 नवंबर से 22 नवंबर तक डिस्ट्रेसन वर्क की वजह से काशन लगा था और रूट पर अधिकतम स्पीड लिमिट थी 30 किलोमीटर। हादसे के बाद स्पीड लिमिट को 20 किलोमीटर कर दिया गया। रूट पर अलग-अलग डेट पर काम चल रहा था, जिसकी सूचना पहले से ही दे दी गई थी। रेलवे की गोपनीय रिपोर्ट में साफ तौर पर जिक्र है कि पुखरायां के पास ट्रैक जर्जर था और इसमें सात जगहों पर फ्रैक्चर था।
गौरतलब है कि भीषण हादसे में 150 यात्रियों की मौत हुई थी जबकि सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। रेल मंत्रालय ने पूर्व मुख्य सुरक्षा आयुक्त पीके आचार्य के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बैठा दी है। यह कमेटी एक महीने में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी। परसों ट्रेन के दोनों ड्राइवर के ब्लड सैंपल और दुर्घटना का कारण बने ट्रैक को जांच के लिए भेजा गया है।
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