आम के बौर पर मौसम का असर
चंदौली : मौसम के बिगड़े मिजाज के चलते आए दिन तापक्रम में हो रहे बदलाव ने आम के वृक्षों में निकल रहे ब
चंदौली : मौसम के बिगड़े मिजाज के चलते आए दिन तापक्रम में हो रहे बदलाव ने आम के वृक्षों में निकल रहे बौर पर भी अपना विपरीत प्रभाव डाला है। इसी का नतीजा है कि वसंत पंचमी तक वृक्षों में लगने वाले बौर दिखाई ही नहीं दे रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो एक सप्ताह के अंदर यदि मौसम ने पुन: पहले जैसी स्थिति दोहराई तो आम के वृक्षों में बौर निकलने में और विलंब हो सकता है। इतना ही नहीं शिव भक्तों को शिवरात्रि पर्व पर चढ़ावा के लिए आम के बौर से वंचित होना पड़ सकता है।
आमतौर पर देखा जाता है कि वसंत के आगाज के साथ ही आम के वृक्षों में बौर निकलने लगते हैं। शिवरात्रि पर्व पर बाबा भोले नाथ को बौर भी चढ़ाया जाता है। लेकिन विडंबना है कि आए दिन मौसम के उतार चढ़ाव के कारण आम के वृक्षों में बौर ही नहीं निकल पा रहा है।
क्या पड़ेगा असर
कृषि वैज्ञानिक डा. एस राम ने बताया कि बौर निकलने के लिए वातावरण का तापमान 15 से 18 डिग्री के बीच होना चाहिए। किंतु अभी तापमान 15 डिग्री से नीचे ही है। ऐसी स्थिति में आम के वृक्षों में बौर निकलने की संभावना कम ही प्रतीत हो रही है। कहा कि वातावरण का तापक्रम बढ़ने से वृक्षों में निकलने वाले बौर कीड़े एवं फफूंद से अत्यधिक प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। इससे फल में भी कमी आएगी।
क्या है बचाव के उपाय
किसान बचाव के लिए अभी से मोनोक्रोटोफास 36 सीसी की दो मिली मीटर तथा इंडोफिलियम 45 दो से ढाई ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पेड़ की उम्र के अनुसार छिड़काव करें। पुन: 15 से 20 दिन बाद इंडोफिलियम 45 की ढाई मिली लीटर दवा तथा मैंकोजेब दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर दूसरा छिड़काव अवश्य करें। इससे मैंगोमीलीबाग व मैंगोहापर आदि कीड़े व आम पर लगने वाले फफूंद रोगों का नियंत्रण निश्चित रूप से होगा और फल भी अधिक मिलेगा।
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