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आला हजरत का फतवा : महिला बोलेगी तलाक-तलाक-तलाक, देवबंद भी सहमत

पहली बार तलाक के मसले पर नई परिभाषा में महिला तलाक दे सकती है। उसे यह अधिकार जिसे शरीयत में तफवीज-ए-तलाक का नाम दिया गया है, से मिलता है। इस पर देवबंद भी सहमत है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 04:17 PM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 10:26 AM (IST)
आला हजरत का फतवा : महिला बोलेगी तलाक-तलाक-तलाक, देवबंद भी सहमत

बरेली (वसीम अख्तर)। शरीयत तलाक का हक सिर्फ और सिर्फ मर्द यानी पुरुष को देती है। जब कभी किसी महिला की तरफ से यह मांग उठी तो उलमा यही राय जाहिर करते रहे थे कि तलाक पुरुष ही दे सकता है महिला नहीं। पहली बार तलाक के सुलगते मसले पर नई परिभाषा सामने आई है। यह कि महिला भी तलाक दे सकती है। उसे यह इख्तेयार (अधिकार) है, जिसे शरीयत में तफवीज-ए-तलाक का नाम दिया गया है। दरगाह आला हजरत से इस मसले पर फतवा जारी हुआ है। इस फतवे पर देवबंद ने भी सहमति जताई है।

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तलाक ऐसा मुद्दा है, जिस पर लंबे समय से बहस चल रही है। उलमा पर सवाल दागे जाते रहे हैं कि जब मजहब-ए -इस्लाम महिलाओं को अधिकार दिए जाने की पैरवी करता है तो फिर तलाक का हक सिर्फ पुरुष को ही क्यों। यह हक महिलाओं को भी मिलना चाहिए था। इसी बिंदु जब दरगाह आला हजरत के मुफ्तियों से सय्यद इक्तेदार अली ने फतवा मांगा था, जिसके जवाब में पहली बार नई जानकारी सामने आई है। मुफ्तियों का कहना है कि महिला भी तलाक दे सकती है। यह कैसे मुमकिन हो सकता है, उसका तरीका भी बताया गया है। तरीके को तसवीज-ए-तलाक कहा है।

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क्या है तसवीज-ए-तलाक

निकाह के वक्त शौहर बीवी से यह कह दे कि मैं तुझे यह इख्तेयार देता हूं कि तू अपने आपको तलाक दे दे। इस मजमून को किसी आलिम से लिखवाया भी जा सकता है। ऐसी सूरत में बीवी ऐसे शौहर को जो उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। मसलन नशे का लती है, अपराध में लिप्त है, मारपीट करता है, घर में अमन-चैन नहीं है या किसी बड़ी बीमारी में घिरा है तो बीवी अपने आपको तलाक दे सकती है। शौहर ने निकाह के वक्त एक तलाक का इख्तेयार दिया तो एक, दो का दिया तो दो और तीन तीन का दिया तो तीन तलाक हो जाएंगी।

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इन्होंने दिया फतवा

दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने कहा है कि तसवीज-ए-तलाक का जिक्र बहारे शरीयत में पेज 25 से 41 तक है। दुर्रे मुख्तार जो कि फिकाह-ए-हनफी की किताब है, उसकी चौथी जिल्द में पेज 565 से 587 तक यह मसला बयान किया गया है। साफ हो जाता है कि महिला भी तलाक दे सकती है। उसे तलाक हो जाएगी। यही बात दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम में फतवा विभाग के अध्यक्ष मुफ्ती मुहम्मद सय्यद कफील हाशमी ने भी सवाल के जवाब में कही।

अमेरिका से इन्होंने पूछा था

मैनचेस्टर में रहने वाले मुहम्मद मसूद अहमद भी बेटी की शादी से पहले दरगाह से यही सवाल पूछ चुके हैं। मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी का कहना कि यूरोप में ज्यादातर मुसलमान बेटी, बहन की शादी तसवीज-ए-तलाक का हक लेकर ही करते हैं, क्योंकि वहां शादियां जल्द टूट जाती हैं।

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तफवीज-ए-तलाक पर देवबंद भी सहमत

देवबंद : दरगाह आला हजरत के इफ्ता विभाग द्वारा तफवीज-ए-तलाक के मसले पर दिए गए फतवे से देवबंदी उलेमा भी सहमत हैं। देवबंद के मुफ्तियों का कहना है कि शरीयत में सिर्फ मर्द को तलाक देने का हक हासिल है। तफवीज-ए-तलाक के जरिये औरत को तलाक लेने का हक है। बरेली आला हजरत दरगाह के दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम से एक व्यक्ति द्वारा फतवा मांगा गया था कि क्या औरत को तलाक देने का हक है। जवाब में बरेली के मुफ्तियों ने फतवा देते हुए कहा था कि इसका तरीका तफवीज-ए-तलाक है। देवबंद के वरिष्ठ मुफ्ती और फतवा आन मोबाइल सर्विस के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी ने स्पष्ट किया कि तफवीज-ए-तलाक का मतलब है शौहर द्वारा बीवी को तलाक का इख्तियार दे देना। तफवीज-ए-तलाक के जरिये औरत निकाह से बाहर हो सकती है। दारुल इल्म के मोहतमिम मुफ्ती आरिफ उस्मानी ने कहा कि अगर शौहर बीवी से कह दे कि मैंने तुझे हक दिया कि तू खुद तलाक ले सकती है तो ऐसे में पत्नी जब चाहे तफवीज-ए-तलाक के जरिए अपने पति के निकाह से बाहर हो सकती है।


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