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    आगरा के डॉक्टरों ने घर में ही बना लिया क्लीनिक, कर रहे निजी प्रेक्टिस

    By Amal ChowdhuryEdited By:
    Updated: Sun, 15 Oct 2017 11:11 AM (IST)

    इन्होंने अपने आवास को ही क्लीनिक बना लिया है, यहां मरीजों से 200 से 500 रुपये शुल्क लिया जा रहा है।

    आगरा के डॉक्टरों ने घर में ही बना लिया क्लीनिक, कर रहे निजी प्रेक्टिस

    आगरा (जागरण संवाददाता)। सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस पर प्रदेश सरकार सख्ती कर रही है, मगर कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे अधिकांश सरकारी डॉक्टर अपने घर पर ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। निजी अस्पतालों में मरीज देखने से लेकर कई डॉक्टर दंपती हॉस्पिटल भी चला रहे हैं।

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    प्रदेश सरकार ने निर्देश दिया है कि सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रेक्टिस करते पकड़े जाने पर डॉक्टरी की डिग्री निरस्त करने के साथ ही हॉस्पिटल का लाइसेंस भी निरस्त किया जाएगा। उनसे नॉन प्रेक्टिस अलाउंस भी वसूला जाएगा। इसके बाद भी प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक नहीं लगी है। एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों के अधिकांश डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं।

    इन्होंने अपने आवास को ही क्लीनिक बना लिया है, यहां मरीजों से 200 से 500 रुपये शुल्क लिया जा रहा है। इनका कोई पंजीकरण भी नहीं है। इसी तरह महिला चिकित्सकों के डॉक्टर पति के नाम से हॉस्पिटल हैं, तो कई पुरुष डॉक्टर अपनी डॉक्टर पत्नी के नाम से चल रहे हॉस्पिटल में इलाज कर रहे हैं। शहर के बड़े निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भी देख रहे हैं।

    संविदा डॉक्टरों को प्रेक्टिस में मिल रही मदद: संविदा चिकित्सा शिक्षकों के प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक नहीं है, लेकिन वे ड्यूटी टाइम में प्रेक्टिस नहीं कर सकते हैं। इसके बावजूद एसएन में अधिकांश संविदा डॉक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस स्थापित करने के लिए ज्वाइन कर रहे हैं। वे कॉलेज में खानापूर्ति के लिए आ रहे हैं, 12 बजे से ही प्राइवेट प्रेक्टिस शुरू कर देते हैं।

    कुछ ने बदला तरीका, कई ने कम की प्रेक्टिस: सख्ती के बाद कुछ ने प्राइवेट प्रेक्टिस करने का तरीका बदल दिया है। अब वे अपने साथ एक और डॉक्टर को बिठा रहे हैं। वहीं, कुछ डॉक्टर पुराने मरीजों को ही देख रहे हैं।
    कार्रवाई से आंदोलन का डर: सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। ऐसे में प्राइवेट प्रेक्टिस पर कार्रवाई से प्रदेश भर में डॉक्टर आंदोलन कर सकते हैं। कई बार डॉक्टर राजस्थान की तरह नॉन प्रेक्टिस अलाउंस को समाप्त कर प्राइवेट प्रेक्टिस की इजाजत देने की मांग कर चुके हैं। इसके चलते प्राइवेट प्रेक्टिस करने वालों पर कार्रवाई नहीं हुई है।

    सोशल साइट पर एसएन के डॉक्टरों के पर्चे: सोशल साइट पर एसएन के डॉक्टरों के पर्चे अपलोड कर दिए गए हैं। एक वरिष्ठ डॉक्टर के प्राइवेट प्रेक्टिस और एसएन का पर्चा अपलोड किया गया है, प्राइवेट प्रैक्टिस के पर्चे पर क्लीनिक में बैठने का जो समय लिखा गया है वही समय एसएन में ओपीडी का है। गूगल पर एक डॉक्टर के क्लीनिक पर प्राइवेट प्रेक्टिस करते हुए का भी फोटो है।

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    एलआइयू ने नहीं तैयारी की कोई सूची: प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों की एलआइयू द्वारा सूची करने की अफवाह फैली थी। ऐसी कोई भी सूची तैयार नहीं हुई है। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को चिन्हित तक नहीं किया गया है।

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