Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Battle after death: ऐसा गांव जहां मौत के बाद दो गज जमीन के लिए जंग

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Wed, 26 Jul 2017 05:52 PM (IST)

    आगरा के गांव छहपोखर में रहने वाले मुस्लिम परिवारों में किसी की मौत दोहरी मुसीबत बनकर आती है। यहां मौत के बाद दो गज जमीन पाना भी एक जंग है।

    Battle after death: ऐसा गांव जहां मौत के बाद दो गज जमीन के लिए जंग

    आगरा (जेएनएन)। जिंदगी में जमीन के लिए जंग आम बात है लेकिन यहां मौत के बाद दो गज जमीन मयस्सर नहीं हो पाती। गांव छह पोखर में रहने वाले मुस्लिम परिवारों में किसी की मौत दोहरी मुसीबत बनकर आती है। दुख में डूबे लोगों को परिजन का शव दफनाने को दो गज जमीन तक नहीं मिलती। सोमवार को एक बुजुर्ग की मौत के बाद शव 24 घंटे तक दो गज जमीन मिलने के इंतजार में रखा रहा। बाद में अफसरों के हस्तक्षेप से ग्राम समाज की जमीन में शव दफनाया जा सका। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: Cabinet decision: सपा शासन की नियुक्तियों की सीबीआइ जांच होगी

    छहपोखर में मौत के बाद संकट

    अछनेरा से छह किलोमीटर दूर बसे छहपोखर गांव की आबादी सात हजार के करीब है। यहां अल्पसंख्यक परिवार बड़ी संख्या में हैं। लेकिन परिवारों में किसी की मौत के बाद शव दफनाने की मुश्किल सबसे बड़ी है। करीब 30 साल पहले गांव के तालाब के बगल में स्थित भूमि पर शव दफनाए जाते थे, लेकिन ग्रामीणों द्वारा मिट्टी खोदने और बारिश के कटान से यह जगह तालाब ने अपने घेरे में ले ली। इसके बाद से लोग अपने घरों में ही खुली जगह में शव दफनाते थे। परंतु अब स्थिति यह हो गई है कि ज्यादातर घरों में खुली जमीन नहीं बची है।  सोमवार सुबह 11 बजे 72 वर्षीय मंगल शाह की बीमारी से मौत हो गई। शव दफनाने को घर के आसपास जगह नहीं थी।

    यह भी पढ़ें: पाकिस्तानी श्रद्धालु दल ने किया बाबा का अभिषेक

    मिटा कब्रिस्तान का नामोनिशान 

    जब तालाब के समीप ग्राम सभा की जमीन में शव को दफनाना चाहा, तो आसपास बसे ग्रामीणों ने रोक दिया। मंगलवार सुबह तक शव घर में ही रखा रहा। इसके बाद गांव के ही क्षेत्र पंचायत सदस्य सलीम शाह ने पुलिस को सूचित किया। तहसीलदार रामानुज, नायब तहसीलदार जमशेद आलम, इंस्पेक्टर केके बालियान मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों को समझाया। घंटों की जिद्दोजहद के बाद दोपहर 12 बजे के करीब ग्राम सभा की जमीन पर शव को दफनाया जा सका। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब का आकार बढ़ता गया और कब्रिस्तान का नामोनिशान मिट गया। इसके पास पड़ी ग्राम सभा की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर मकान बना लिए। तहसीलदार ने पैमाइश के बाद कब्रिस्तान की जमीन दिलवाने का आश्वासन दिया है।   

    यह भी पढ़ें: काम बोलता है, सपा के अच्छे कार्यों को झुठला नहीं सकती भाजपाः अखिलेश