नेट न्यूट्रलिटी क्या है, खत्म होने पर क्या पड़ेगा प्रभाव
नेट न्यूट्रलिटी का मुद्दा पिछले कुछ दिनों से मीडिया और सोशल साइट्स पर खासा गरमाया हुआ है, जहां पूरा देश एक ओर इसके पक्ष में बोल रहा है वहीं अब भी बहुत से लोग है जो इसके बारे में जानते तक नहीं कि आखिर नेट न्यूट्रलिटी है क्या और चौतरफा
नेट न्यूट्रलिटी का मुद्दा पिछले कुछ दिनों से मीडिया और सोशल साइट्स पर खासा गरमाया हुआ है, जहां पूरा देश एक ओर इसके पक्ष में बोल रहा है वहीं अब भी बहुत से लोग है जो इसके बारे में जानते तक नहीं कि आखिर नेट न्यूट्रलिटी है क्या और चौतरफा इसकी आलोचना क्यों हो रही है।
क्या है नेट न्यूट्रलिटी?
नेट न्यूट्रलिटी यानि इंटरनेट निष्पक्षता। इसके तहत इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां हर प्रकार के डाटा को इंटरनेट पर एक समान दर्जा देती है। इसमें कोई भी वेबसाइट या एप को ब्लॉक नहीं किया जाता। यूजर्स चाहे तो वेब पर आधारित किसी भी सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इतना ही नहीं नेट न्यूट्रलिटी के तहत सभी वेबसाइट्स और एप को समान दर्जा दिया जाता है। यूजर्स द्वारा किसी भी वेबसाइट पर जाने से नेट की स्पीड पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हर वेबसाइट के लिए एक जैसी स्पीड मिलती है। यूजर्स को नेट न्यूट्रलिटी के तहत असीमित विकल्प मिलते हैं और उनका नेट बिल भी नियंत्रण में रहता है।
नेट न्यूट्रलिटी खत्म होने से प्रभाव क्या पड़ेगा?
जब से नेट न्यूट्रलिटी पर बंदिश लगाने की बातें उठी है तब से ही ये मुद्दा आलोचनाएं झेल रहा है क्योंकि यदि नेट न्यूट्रलिटी खत्म हुई तो सिर्फ टेलीकॉम कंपनियों से जुड़े एप और वेबसाइट ही फ्री होंगे। टेलीकॉम कंपनियों का जिन वेबसाइटों या एप्स से कोई करार नहीं होगा और यूजर उसे इस्तेमाल करना चाहेगा, तो उसके लिए अतिरिक्त पैसे देने पड़ेंगे। इतना ही नहीं, यूजर को अलग-अलग वेबसाइट के लिए स्पीड भी अलग-अलग ही मिलेगी। अच्छी स्पीड के लिए अलग से भुगतान करना पड़ेगा। इससे कंज्यूमर का फोन बिल बढ़ेगा।
क्या है विवाद?
नेट न्यूट्रलिटी का मुद्दा नेट की आजादी से जुड़ा है। दरअसल टेलीकॉम कंपनियां इस बात से परेशान है कि व्हाट्सएप, वाइबर और वी चैट जैसे फ्री एप सेवाओं ने उनके बिजनेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है क्योंकि इन एप्स ने एसएमएस सेवा को लगभग खत्म ही कर डाला है। इससे टेलीकॉम कंपनियों के व्यापार के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है। इसलिए कंपनियां ऐसी सेवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा रेट वसूलने की कोशिश में है, जो उनके कारोबार और राजस्व को नुकसान पहुंचा रही हैं। हालांकि इंटरनेट पर फोन कॉल्स के लिए टेलिकॉम कंपनियां पहले ही अलग रेट तय करने की कोशिश कर चुकी हैं और वे इसके लिए वेब सर्फिंग से ज्यादा दर पर वसूली करना चाहती है। वैसे इंटरनेट सर्फिंग जैसी सेवाएं अब भी कम रेट पर ही दी जा रही है। इसके बाद से टेलीकॉम नियामक एजेंसी ‘ट्राई‘ ने आम लोगों से नेट न्यूट्रलिटी या नेट निष्पक्षता पर राय मांगी है। इस दिशा में सबसे पहले कदम उठाते हुए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर एयरटेल ने नेट न्यूट्रलिटी का विरोध करते हुए एक नया प्रोग्राम ‘एयरटेल ज़ीरो’, ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के साथ शुरू करने की घोषणा की। जब फ्लिपकार्ट जैसी ई-रिटेलर कंपनी ने एयरटेल के ‘एयरटेल ज़ीरो’ प्रोग्राम के समर्थन में आने की बात कहीं तो उसे चौतरफा आलोचनाओं को झेलना पड़ा। इस डील के सुर्खियों में आने के बाद से यूजर्स ने फ्लिपकार्ट को निशाने पर लेना शुरू कर दिया और उसके एप को 1 स्टार की रेटिंग देकर खराब रिव्यू लिखने भी शुरू कर दिये। ज्यादातर यूजर्स का कहना था कि फ्लिपकार्ट एप और एयरटेल के बीच होने जा रही डील नेट न्यूट्रलिटी के खिलाफ है। इतनी आलोचनाओं और उपेक्षा के बाद फ्लिपकार्ट ने एयरटेल से ‘एयरटेल जीरो’ प्रोग्राम के लिए जारी बातचीत खत्म कर दी।
इसके बाद लोगों के निशाने पर फेसबुक की सर्विस ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी’ आ गई और यूजर्स ने इसे भी नेट न्यूट्रलिटी के खिलाफ बताना शुरू कर दिया। सूत्रों के अनुसार इस पर विवाद होता देख कई दिग्गज कंपनियां फेसबुक की ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी’ से किनारा करने की सोच रही है। इनमें ट्रैवल पोर्टल क्लियरट्रिप, एनडीटीवी, न्यूजहंट और टाइम्स ऑफ इंडिया ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी’ से अपनी सेवा हटा सकती है।
नेट न्यूट्रलिटी पर किसने क्या कहा
नेट न्यूट्रलिटी के मुद्दे पर यूजर्स की आलोचनाएं झेलने के बाद एयरटेल से जारी बातचीत खत्म करते हुए इ-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने कहा “ फ्लिपकार्ट हमेशा से नेट न्यूट्रलिटी का समर्थन करती आई है, क्योंकि हमारा पूरा अस्तित्व ही इंटरनेट की बदौलत है...पिछले कुछ दिनों से हम नेट न्यूट्रलिटी के मुद्दे पर कंपनी के भीतर और बाहर बहुत जोरदार बहस का सामना कर रहे हैं और हम इसके परिणामों की गंभीरता को बखूबी समझते हैं..”
लोगों की उंगलियां जब फेसबुक की सर्विस ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी’ की कार्यप्रणाली पर भी उठने लगी कि इंटरनेट डॉट ओआरजी भी नेट न्यूट्रलिटी के खिलाफ है तो नेट न्यूट्रलिटी की लड़ाई में फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग भी उतर आएं और अपना पक्ष रखते हुए बताया कि “इंटरनेट डॉट ओआरजी ‘नेट न्यूट्रलिटी’ से अलग है। मैं खुद नेट न्यूट्रलिटी का समर्थक हूं। ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी’ का प्रमुख लक्ष्य विकासशील देशों में इंटरनेट के माध्यम से आधारभूत सुविधाएं जैसे हेल्थ, एजुकेशन, स्पोर्टस और समाचारो का फ्री में इस्तेमाल कराना शामिल है।“
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