Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Timeline: जानिए नेट न्यूट्रैलिटी का पूरा मामला, शुरू से अब तक

    By Sakshi PandyaEdited By:
    Updated: Wed, 29 Nov 2017 05:51 PM (IST)

    2015 से चल रहा नेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा, आपके लिए है क्यों जरुरी

    Timeline: जानिए नेट न्यूट्रैलिटी का पूरा मामला, शुरू से अब तक

    नई दिल्ली (टेक डेस्क)। टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने नेट न्यूट्रैलिटी का जोरदार समर्थन किया है। देश में नेट न्यूट्रैलिटी से जुड़ा मुद्दा लंबे समय से चल रहा है। इस बारे में ट्राई का मानना है की नेट न्यूट्रैलिटी हर ग्राहक का हक है। ट्राई के अनुसार सभी उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट पर मौजूद सारा डाटा बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध होना चाहिए। यह फैसला अमेरिका में संचार सेवाओं को नियंत्रित करने वाली संस्था इंटरनेट फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) की ओर से नेट न्यूट्रैलिटी को खत्म करने के फैसले के बाद आया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या है नेट न्यूट्रैलिटी

    इस मुद्दे और ग्राहकों पर इसके असर को बारीक से समझने के लिए, यह जान लेना जरुरी है की नेट नेट न्यूट्रैलिटी पर लम्बे समय से चल रही बहस के आखिर मायने क्या हैं? भारतीय यूजर्स जब इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को इंटरनेट प्लान के लिए राशि अदा करते हैं तो उन्हें सभी ऑनलाइन कंटेंट चाहे वो वीडियो, गेम्स, न्यूज, मीडिया साइट्स आदि एक्सेस करने की आजादी होती है। वहीं, ये सब उन्हें समान कथित ब्रॉडबैंड स्पीड पर मिलना चाहिए। इस पूरी बहस का शुरू से यही आधार रहा है।

    नेट न्यूट्रैलिटी यानी नेट निरपेक्षता का सिद्धांत कहता है कि इंटरनेट का बुनियादी ढांचा खुला है और यह सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होना चाहिए। इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां इंटरनेट पर मौजूद डाटा के साथ भेदभाव नहीं कर सकती हैं। कंपनियां अलग-अलग वेबसाइट, प्लेटफॉर्म या संचार के माध्यम के आधार पर यूजर्स से अलग-अलग चार्ज नहीं ले सकती हैं। न ही उन्हें किसी वेबसाइट या एप को ब्लॉक करने का अधिकार होगा। यानी एक बार इंटरनेट पैक का भुगतान करने के बाद यूजर पूरी तरह स्वतंत्र होगा कि वह किस तरह उसका इस्तेमाल करना चाहता है।

    क्यों जरूरी है?

    कई टेलिकॉम कंपनियां नेट न्यूट्रैलिटी को खत्म करने के पक्ष में हैं। इससे यूजर्स सिर्फ उन्हीं वेबसाइट या एप का इस्तेमाल कर सकेंगे जो उनकी टेलिकॉम कंपनी उन्हें मुहैया कराएगी। बाकी वेबसाइटों और सेवाओं के लिए यूजर्स को अलग से राशि देनी होगी। अलग-अलग वेबसाइट के लिए स्पीड भी अलग मिलेगी। इससे इंटरनेट का प्लेटफॉर्म सभी के लिए एक समान उपलब्ध नहीं रहेगा।

    आइए जानें भारत में नेट न्यूट्रैलिटी की कहां से हुई शुरुआत:

    दिसंबर 2014: एयरटेल ने सबसे पहले ऐसा प्लान पेश किया था जिसके अंतर्गत कॉल्स या वॉयस ओवर इंटरनेट के लिए भारत में एक्स्ट्रा चार्ज किया जाने लगा। एयरटेल के इस प्लान का विरोध किया गया और एक हफ्ते बाद ही एयरटेल को प्लान वापस लेना पड़ा।

    19 जनवरी 2015: टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने स्टेकहोल्डर्स की कमिटी बनाई। इसके अंतर्गत एप निर्माता, टेलीकॉम कंपनियां, सिविल सोसाइटी और मल्टी स्टेकहोल्डर एडवाइजरी ग्रुप थे। इस कमिटी को भारत में नेट न्यूट्रैलिटी की जांच करने के लिए बनाया गया था। 

    27 मार्च 2015: नेट न्यूट्रैलिटी पर पहली बार प्रतिक्रियाएं मांगी गईं। इसके परिणामस्वरूप 1 मिलियन रिस्पांस पोस्ट किए गए।

    अप्रैल 2015: एयरटेल ने जीरो रेटिंग को पेश किया। इसके अंतर्गत फ्लिपकार्ट जैसी एप्स को एयरटेल नेटवर्क पर यूजर्स की ओर से इस्तेमाल किए गए डाटा की राशि अदा करने की अनुमति दी गई थी। कंपनियों ने अगले ही दिन इस प्लान को भी बंद करा दिया था।

    मई 2015: DoT कमिटी ने रिपोर्ट सब्मिट की। इसमें नेट न्यूट्रैलिटी की जरुरत के बारे में कहा गया था

    30 मई 2015: ट्राई ने प्री-कंसल्टेशन पेपर्स निकाले। इसका लक्ष्य नेट न्यूट्रैलिटी से जुड़े मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना था, जिससे इस मुद्दे में आगे बढ़ा जा सके।

    9 दिसंबर 2015: ट्राई ने डाटा सेवाओं के लिए अलग-अलग कीमतों पर परामर्श की शुरुआत की।

    8 फरवरी 2015: ट्राई ने दिशा-निर्देश जारी किए। इसके अंतर्गत ट्राई ने जीरो रेटिंग प्लान और फेसबुक फ्री बेसिक्स को बैन किया था।

    3 मार्च 2016: DoT ने ट्राई से नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे पर राय मांगी।

    19 मार्च 2016: ट्राई ने फ्री डाटा पर परामर्श की शुरुआत की।

    30 मई 2016: ट्राई को नेट न्यूट्रैलिटी पर प्री-कंसल्टेशन पेपर मिले।

    19 दिसंबर 2016: ट्राई ने इस मुद्दे पर DoT को परामर्श दिया, जिसमें ग्रामीण भारतीय उपभोक्ताओं को कम से कम राशि में फ्री डाटा उपलब्ध कराए जाने की बात कही गई थी। इसके बाद DoT ने ट्राई को पेपर्स दोबारा देखने के लिए वापस भेज दिए थे।

    4 जनवरी 2017: ट्राई ने नेट न्यूट्रैलिटी पर फुल कंसल्टेशन पेपर दिए। इसमें बताया गया की भारत में किस तरह नेट न्यूट्रैलिटी को लागू किया जा सकता है।

    28 नवंंबर 2017: ट्राई ने नेट न्यूट्रैलिटी को भारत में लाने की बात।

    इस मुद्दे पर अब तक टेलिकॉम नियामक, टेलिकॉम मंत्रालय और तमाम टेलिकॉम कंपनियां अपनी राय सामने रख चुकी हैं लेकिन फिर भी इसके सार्थक परिणाम सामने नहीं आ सके हैं। हालांकि ग्राहकों के फायदे के लिए इसे जल्द सुलझाया जाना बेहतर होगा।

    यह भी पढ़ें:

    वर्ष 2023 तक प्रति स्मार्टफोन डाटा यूसेज 5 गुना बढ़ने की उम्मीद: Ericsson

    इन स्मार्टफोन पर आया एंड्रॉयड Oreo अपडेट, क्या आपका फोन है लिस्ट में

    भारतीय टैबलेट बाजार में लेनोवो ने किया टॉप: CMR

    comedy show banner
    comedy show banner