अगर चाहते है 68 रुपये में आईफोन मिले तो ध्यान रखें ये बातें
आजकल लोगों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग कोई नया तोता नहीं रह गया| ऑनलाइन शॉपिंग ने लोगों का ध्यान अपनी ओर इसलिए अधिक खींचा है क्योंकि ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स पर कभी-कभार किसी प्रोडक्ट पर इतना बड़ा डिस्काउंट मिल जाता है कि उसकी कीमत न की बराबर होती है
आजकल लोगों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग कोई नया तोता नहीं रह गया| ऑनलाइन शॉपिंग ने लोगों का ध्यान अपनी ओर इसलिए अधिक खींचा है क्योंकि ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स पर कभी-कभार किसी प्रोडक्ट पर इतना बड़ा डिस्काउंट मिल जाता है कि उसकी कीमत न की बराबर होती है। ऐसी स्थिति में वह प्रोडक्ट लेना ग्राहक के लिए काफी अच्छा साबित हो जाता है। वहीं, अगर बात स्मार्टफोन की हो और उसकी कीमत 99.7 फीसदी तक डिस्काउंट मिल जाए तो कहना ही क्या।
ऐसे ही एक खबर ने आप लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा होगा जिसमें स्नैपडील पर Apple iPhone 5S की कीमत 28999 रुपये थी, लेकिन एक कॉलेज ब्वॉय ने उसे महज 68 रुपये में खरीद लिया। इस लड़के ने आईफोन 5एस को खरीदने के लिए न किसी लाइफहैक का यूज किया और न ही उसे कैशबैक मिला। ऐसा सिर्फ इसलिए हो गया क्योंकि इस ग्राहक ने वो डील हासिल कर ली थी जो स्नैपडील देना ही नहीं चाहता था।
99.7 फीसदी डिस्काउंट था आईफोन 5एस पर
मात्र 68 रुपये में आईफोन 5एस खरीदने वाले निखिल बंसल ने यह डील हासिल की थी। पंजाबी यूनिवर्सिटी में बी टेक के छात्र निखिल ने आईफोन पर 99.7 फीसदी ऑफ वाली डील हासिल की। उन्होंने 12 फरवरी को आईफोन 5एस 68 रुपये में ऑर्डर किया था, लेकिन उन्हें इसकी डिलीवरी अभी तक नहीं हुई। उन्हें यह हैंडसेट इसलिए नहीं भेजा गया, क्योंकि यह एक तकनीकी दिक्कत थी न कि शॉपिंग पोर्टल स्नैपडील द्वारा दिया गया बंपर डिस्काउंट। इस बात पर बंसल स्नैपडील के खिलाफ कोर्ट में चले गए।
कोर्ट ने दिया फोन देने का आदेश
निखिल ने पंजाब के संगरूर में एक उपभोक्ता अदालत में स्नैपडील के खिलाफ केस दर्ज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह वेबसाइट अपनी डील पूरी नहीं कर रही है। कोर्ट ने न सिर्फ स्नैपडील को उन्हें 68 रुपये के बदले आईफोन 5एस देने के लिए कहा, बल्कि उन्हें 2000 रुपये की पेनल्टी भी भरनी पड़ी।
स्नैपडील को काटने पड़ रहे चक्कर
स्नैपडील ने अदालत के इस फैसले को राज्य उपभोक्ता फोरम में चुनौती दी और कथित रूप से फिर हार गए। इसके अलावा उन्हें इस बार केस बंद करने के लिए 10000 रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ा। अब वो यहां भी नहीं रूक रहे और मामले को राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में लेकर जा रहे हैं।
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