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सोते समय बंद करके भी पास न रखें स्मार्टफोन, हो सकता है खतरनाक

स्मार्टफोन को पास में रखकर सोना खतरनाक साबित हो सकता है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 03:01 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 04:40 PM (IST)
सोते समय बंद करके भी पास न रखें स्मार्टफोन, हो सकता है खतरनाक

नई दिल्ली (जेएनएन)। स्मार्टफोन को अपनी नजर के आस-पास या आसान पहुंच में रखने से काम को करने और ध्यान लगाने की आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकती है। फिर भले ही आपका फोन बंद अवस्था में हो और आप सो ही क्यों न रहे हों। एक शोध में यह जानकारी सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि मस्तिष्क का हिस्सा सक्रिय रूप से फोन नहीं उठाने या फोन का उपयोग नहीं करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा होता है। अमेरिका में ऑस्टिन के टेक्सास विश्वविद्यालय में मैकॉम्ब्स स्कूल ऑफ बिजनेस में सहायक प्रोफेसर एड्रियन वार्ड ने यह शोध किया है। उन्होंने बताया कि हम एक लीनियर ट्रेंड (रैखिक प्रवृत्ति) को देखते हैं। यह बताता है कि जैसे-जैसे स्मार्टफोन अधिक नोटिसेबल होता है, प्रतिभागियों की कॉग्निटिव कैपेसिटी (संज्ञानात्मक क्षमता) घट जाती है।

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वार्ड ने समझाया कि आपका चेतन मन आपके स्मार्टफोन के बारे में नहीं सोच रहा है। मगर, यह उस प्रक्रिया में है, जब आप कुछ नहीं सोचने के बारे में जरूरत सीमित कॉग्निटिव रिसोर्स का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ब्रेन ड्रेन होता है। शोधकर्ताओं ने करीब 800 स्मार्टफोन यूजर्स के साथ प्रयोग किया। इसमें उन्होंने देखा कि जब लोग अपने स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो भी उनके पास उनका स्मार्टफोन है, तो वे लोग अपने काम को कितनी अच्छी तरह से पूरा कर सकते हैं।

प्रयोग में शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को एक कंप्यूटर पर बैठने के लिए कहा और एक ऐसी टेस्ट में शामिल होने के लिए कहा, जिसमें पूर्ण एकाग्रता की आवश्यकता होती है। दरअसल, वे प्रतिभागियों की उपलब्ध कॉग्निटिव कैपेसिटी को मापने के लिए तैयार थे यानी किसी भी समय डाटा को रखने और संसाधित करने की मस्तिष्क की क्षमता कितनी है।

टेस्ट से पहले प्रतिभागियों को रैंडम तरीके से अपने स्मार्टफोन को डेस्क में उल्टा करके रखने, अपनी जेब या बैग में रखने या दूसरे कमरे में रखने के निर्देश दिए गए थे। सभी प्रतिभागियों को अपने फोन को साइलेंट मोड में रखने के निर्देश दिए गए थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि दूसरे कमरे में अपने फोन को रखने वाले प्रतिभागियों ने डेस्क पर अपने फोन रखने वाले प्रतिभागियों से बेहतर प्रदर्शन किया। दूसरे कमरे में फोन रखने वाले लोगों ने उन लोगों से भी थोड़ा बेहतर परफॉर्म किया, जिन्होंने अपने फोन को जेब या बैग में रखा था।

प्रयोग में दिखा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किसी व्यक्ति का स्मार्टफोन चालू या बंद था या डेस्क पर उसे सीधा रखा गया था उल्टा करके रखा गया था। फोन पर आने वाले नोटिफिकेशन्स से भी वे प्रभावित नहीं हो रहे थे। स्मार्टफोन की मौजूदगी ही उनकी कॉग्निटिव कैपेसिटी को कम करने के लिए पर्याप्त थी। 

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