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सावधान: Petya वायरस नहीं मांगता रैनसम, कर देता है यूजर्स का डाटा हमेशा के लिए डिलीट

यह नया वायरस यूजर्स के डाटा को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। रिसर्चर्स ने इसे ExPetr नाम दिया है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Mon, 03 Jul 2017 11:32 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jul 2017 11:32 AM (IST)
सावधान: Petya वायरस नहीं मांगता रैनसम, कर देता है यूजर्स का डाटा हमेशा के लिए डिलीट
सावधान: Petya वायरस नहीं मांगता रैनसम, कर देता है यूजर्स का डाटा हमेशा के लिए डिलीट

नई दिल्ली (जेएनएन)। हाल ही में पेट्या रैनसमवेयर ने कई देशों के कंप्यूटर्स पर हमला किया था। शुरुआत में इस वायरस को भी रैनसम यानि फिरौती से जोड़कर देख जा रहा था। इस बीच साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने बताया है कि यह मालवेयर अटैक का एक नया प्रकार है जो फिरौती न मांगकर यूजर्स के डाटा को स्थायी रूप से नष्ट कर देता है। Arstechnica की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वायरस का मुख्य उद्देश्य स्थायी रुप से ज्यादा से ज्यादा हार्ड ड्राइव्स के डाटा को नष्ट करना है। मॉस्को साइबर सिक्योरिटी फर्म Kaspersky लैब के रिसर्चर्स ने इस मालवेयर wiper लेबल दिया है।

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क्या है रिसर्चर्स का कहना?

Kaspersky लैब के रिसर्चर्स ने कहा है “यह नया मालवेयर पुराने सभी पेट्या मालवेयर से काफी अलग है। इसी के चलते हम इसे एक नए मालवेयर के तौर पर देख रहे हैं। हमने इसे ExPetr का नाम दिया है। हम पुष्टि कर सकते हैं कि संशोधित EternalBlue को कॉरपोरेट नेटवर्क्स के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है”। EternalBlue एक सॉफ्टवेयर है जिसे हैकर्स द्वारा हैक किया गया था।

हैकर्स के पास नहीं है इंस्टॉलेशन आईडी: 

खबरों की मानें तो ExPetr का कोई इंस्टॉलेशन आईडी नहीं है। इसका मलतब है किसी भी डाटा को डिक्रिप्ट करने के लिए अहम जानकारी हैकर्स नहीं निकाल सकते हैं। ऐसे में वो यूजर्स का डाटा हमेशा के लिए डिलीट कर देते हैं। आपको बता दें कि 2016 में पेट्या वायरस के निर्माताओं के पास आईडी थी जिसमें रिकवरी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मौजूद थी।

रैनसमवेयर बन रहा बड़ा खतरा:

इस अटैक के एशिया में फैलने से यह साफ प्रतीत हो रहा है की यह वायरस पूरी दुनिया के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभर रहा है। जहां अभी इसका निशाना बड़ी कंपनी और बिजनेस हैं। वहीं, आगे आने वाले समय में यह व्यक्तिगत तौर तक फैल कर विकराल रूप भी ले सकता है। बैंक्स और रिटेलर्स ने तो इसके खिलाफ खुद को सुरक्षित कर लिया है। कैसपरस्काई लैब विश्लेषक के अनुसार- रूस और यूक्रेन की संस्थाएं इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। साथ ही नार्थ अमेरिका में मंगलवार यानि 27 जून के आधे दिन तक लगभग 2000 यूजर्स अटैक की चपेट में आ चुके थे।

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