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क्या अंतर है 1जी, 2जी, 3जी, 4जी और 5 जी में?

हाल के दिनों में 4जी तकनीक काफी चर्चा में है। मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों में 4जी सेवा को लांच करने की जंग छिड़ी हुई है। एक तरफ जहां रिलायंस जियो देश भर में बड़े पैमाने पर साल के अंत तक 4जी सेवाओं की शुरुआत करनेवाली है। वहीं, एयरटेल ने कई

By Shashi BhushanEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2015 01:29 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2015 02:23 PM (IST)

नई दिल्ली। हाल के दिनों में 4जी तकनीक काफी चर्चा में है। मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों में 4जी सेवा को लांच करने की जंग छिड़ी हुई है। एक तरफ जहां रिलायंस जियो देश भर में बड़े पैमाने पर साल के अंत तक 4जी सेवाएं लांच करनेवाली है। वहीं, एयरटेल ने कई शहरों में इस सेवा की शुरुआत कर दी है जबकि वोडाफोन अपने नेटवर्क को अपडेट करने पर काम कर रही है। उम्मीद है कि अगले दो-तीन महीनों में वोडाफोन भी 4जी सेवाओं को लांच कर देगी। तो आइए जानते क्या है मोबाइल सेवा की तकनीकें और क्या अंतर है अलग-अलग जेनरेशन की मोबाइल तकनीक मेंः

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1जी तकनीक

1जी तकनीक दुनिया में वायरलेस टेलीफोनी की पहली तकनीक मानी जाती है। यह तकनीक पहली बार 1980 में सामने आई और 1992-93 तक इसका इस्तेमाल किया जाता रहा। इसमें डेटा की आवाजाही की रफ्तार 2.4 केवीपीएस थी। इस तकनीक की बड़ी खामी इसमें रोमिंग का ना होना था। पहली बार अमेरिका में 1जी मोबाइल सिस्टम ने इस तकनीक का प्रयोग किया था। इसमें मोबाइल फोन पर आवाज की क्वालिटी काफी खराब थी, साथ ही यह बैटरी की भी बहुत अधिक खपत करता था। इस तकनीक पर चलने वाले मोबाइल हैंडसेट बेहद भारी हुआ करते थे। यह एनालॉग सिग्नल पर आधारित तकनीक था।

2जी तकनीक

2जी तकनीक की शुरुआत 1991 में फिनलैंड में हुई। यह ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनिकेशन पर आधारित तकनीक है जिसे संक्षिप्त रूप में जीएसएम टेक्नॉलजी कहा जाता है। इस तकनीक में पहली बार डिजीटल सिग्नल का प्रयोग किया गया। इस तकनीक से माध्यम से फोन कॉल के अलावा पिक्चर मैसेज, टेक्स मैसेज और मल्टीमीडिया मैसेज भेजा जाने लगा। इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे इस्तेमाल करने से काफी कम ऊर्जा की खपत होती है और फोन की बैटरी काफी ज्यादा चलती है। इस तकनीक पर डेटा के आनेजाने की रफ्तार 50,000 बिट्स प्रति सेकेंड तक हो सकती है। यह तकनीक मुख्य रूप से आवाज के सिग्नल को प्रसारित करता है। 2जी तकनीक से डाउनलोड और अपलोड की अधिकतम स्पीड 236 केवीपीएस (किलो बाइट प्रति सेकंड) होती है। इसके एडवांस वर्शन को 2.5जी और 2.7जी नाम दिया गया था, जिसमें डेटा के आदान-प्रदान की रफ्तार और भी बढ़ गई थी।

3जी तकनीक

3जी तकनीक की शुरुआत 2001 में जापान में हुई। इस तकनीक का मानकीकरण इंटरनेशनल टेलेकम्यूनिकेशन यूनियन (आईटीयू) ने किया था। इस तकनीक के माध्यम से टेक्स्ट, तस्वीर और वीडियो के अलावा मोबाइल टेलीविजन और वीडियो कांफ्रेसिंग या वीडियो कॉल किया जा सकता है। इस तकनीक ने दुनिया में क्रांति ला दी और मोबाइल फोन की अगली पीढ़ी यानी स्मार्टफोन को बढ़ावा दिया। 3जी तकनीक में डेटा के आने-जाने की रफ्तार 40 लाख बिट्स प्रति सेकेंड तक होती है। 3जी तकनीक का जोर मुख्य रूप से डेटा ट्रांसफर पर है। 2जी तकनीक के मुकाबले 3जी की एक अहम खासियत यह है कि यह आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए अधिक सुरक्षित (इनक्रिप्टेड) है। 3जी तकनीक की अधिकतम डाउनलोड स्पीड 21 एमवीपीएस और अपलोड स्पीड 5.7 एमवीपीएस होती है। इस तकनीक ने मोबाइल फोन के लिए एप बनाने का रास्ता खोल दिया।

4जी तकनीक

4जी तकनीक की शुरुआत साल 2000 के अंत में हुई। इसे मोबाइल तकनीक की चौथी पीढी कहा जाता है। इस तकनीक के माध्यम से 100 एमवीपीएस से लेकर 1 जीबीपीएस तक की स्पीड से डेटा का डाउनलोड-अपलोड किया जा सकता है। यह ग्लोबल रोमिंग को सपोर्ट करता है। यह तकनीक 3जी के मुकाबले कहीं सस्ती तकनीक है। साथ ही इसमें सिक्युरिटी के फीचर्स भी ज्यादा है। हालांकि इस तकनीक की कुछ खामियां भी है। जैसे कि यह 3जी के मुकाबले कहीं अधिक बैटरी की खपत करता है। वहीं, 3जी तकनीक में 2जी के मुकाबले काफी अधिक बैटरी की खपत होती है। 4जी तकनीक से लैस मोबाइल फोन में जटिल हार्डवेयर प्रणाली की जरूरत होती है, इसलिए 3जी फोन के मुकाबले 4जी के फोन महंगे होते हैं। 4जी तकनीक की आधारभूत संरचनाओं को तैयार करने में महंगे उपकरण लगाने होते हैं। हालांकि जैसे-जैसे यह तकनीक आम होती जाएगी, फोन और नेटवर्क इक्विपमेंट्स दोनों की कीमतों में कमी आएगी। फिलहाल 4जी तकनीक दुनिया के काफी कम देशों में उपलब्ध है जिनमें मुख्यतः विकसित देश शामिल हैं। 3जी तकनीक की सबसे बड़ी खामी जहां इसमें डेटा का न्यूनतम स्पीड लगभग 2.5जी के बराबर होना है। वहीं 4जी तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें खराब से खराब नेटवर्क में भी कम से कम 54एमवीपीएस की रफ्तार मिल सकती है।

5जी तकनीक

5जी तकनीक की शुरुआत साल 2010 में हुई। इसे मोबाइल नेटवर्क का पांचवी पीढ़ी कहा जाता है। यह 'वायरलेस बर्ल्ड वाइड वेब' (मोबाइल इंटरनेट) को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस तकनीक में बड़े पैमाने पर डेटा का आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसमें एचडी क्वालिटी का वीडियो के साथ मल्टीमीडिया न्यूजपेपर प्रसारित की जा सकती है। साथ ही इस तकनीक से वीडियो कॉलिंग के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी। इस तकनीक में अल्ट्रा हाइ डेफिनिशन क्वालिटी की आवाज का प्रसारण किया जा सकता है। इस तकनीक में 1 जीवीपीएस से अधिक स्पीड से डेटा की आवाजाही हो सकती है, हालांकि अभी तक इसकी अधिकतम स्पीड डिफाइन नहीं की गई है, क्योंकि अभी यह कांसेप्ट के दौर में है और इस पर काम चल रहा है। इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी रियल टाइम में बड़े से बड़े डेटा का आदान-प्रदान होगा। साथ ही यह तकनीक संवर्धित वास्तविकता (अगर्मेंटेड रियलिटी) के क्षेत्र में नया रास्ता खोलेगी, यानि इसके माध्यम से फोन कॉल पर आप बिल्कुल आमने-सामने बात कर पाने में सक्षम होंगे। विभिन्न साइंस फिक्शन और फंतासी कथाओं में जिस प्रकार व्यक्ति आपके आगे आभासी रूप में उपस्थित हो जाता है और आप उससे आमने-सामने बात करने में सक्षम होते हैं। इस तकनीक से ऐसा करना संभव हो सकेगा। अनुमान के मुताबिक 5जी तकनीक साल 2020 तक धड़ल्ले से प्रयोग में आने लगेगी। फिलहाल ब्रिटेन की राजधानी लंदन में साल 2020 तक 5जी तकनीक लगाने की तैयारी चल रही है।

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