भविष्यवेत्ता
यह यूनान की प्राचीन बोध-कथा है। एक राज-ज्योतिषी था। वह रात-दिन भविष्य-वाणी करने के लिए ग्रहों (सितारों) का अध्ययन करता रहता था। एक दिन वह रात के अंधेरे में तारों को देखता हुआ जा रहा था। उसे पता नहीं चला कि आगे एक गहरा गढ्डा है। वह उसमें गिर गया। उसके गिरने और चिल्लाने की आवाज सुनकर पास ही एक झोपड़ी में रहने वाली वृद्धा
यह यूनान की प्राचीन बोध-कथा है। एक राज-ज्योतिषी था। वह रात-दिन भविष्य-वाणी करने के लिए ग्रहों (सितारों) का अध्ययन करता रहता था। एक दिन वह रात के अंधेरे में तारों को देखता हुआ जा रहा था। उसे पता नहीं चला कि आगे एक गहरा गढ्डा है। वह उसमें गिर गया।
उसके गिरने और चिल्लाने की आवाज सुनकर पास ही एक झोपड़ी में रहने वाली वृद्धा उसकी मदद करने के लिए वहां पहुंच गई। उसने उसे रस्सी डालकर कुएं से निकाला। राज-ज्योतिषी बहुत खुश हुआ। वह खुश होकर वृद्धा का कुछ भला करना चाहता था, लेकिन उसमें राज ज्योतिषी वाली अकड़ थी। उसने कहा, 'इस निर्जन स्थान पर तुम नहीं आतीं तो मैं कुएं में ही दम तोड़ देता। मैं राज-ज्योतिषी हूं। राजाओं को उनका भविष्य बताता हूं, लेकिन मैं मुफ्त में तुम्हारा भविष्य बताऊंगा।'
यह सुनकर बुढि़या बहुत हंसी और बोली, 'यह सब रहने दो! तुम्हें अपने दो कदम आगे का तो कुछ पता नहीं है, मेरा भविष्य तुम क्या बताओगे?
कथा-मर्म: ऐसा ज्ञान किसी काम का नहीं, जो व्यक्ति के वर्तमान को न संवार सके..।
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सेवा को समर्पित जीवन
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