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    जयंती विशेष : बिहार के कुंडग्राम में जन्मे थे भगवान महावीर

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 02 Apr 2015 10:40 AM (IST)

    भगवान महावीर की जन्मभूमि को लेकर यूं तो आज भी कई सवाल अनसुलझे हैं। लेकिन, एक शोध में कुंडग्राम को जन्मस्थल माना गया है। यह मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड का गुड़गांवा है जिसे जैन ग्रंथों में श्री कुंडग्राम कहा गया है।

    मुजफ्फरपुर, [अजय रत्न]। भगवान महावीर की जन्मभूमि को लेकर यूं तो आज भी कई सवाल अनसुलझे हैं। लेकिन, एक शोध में कुंडग्राम को जन्मस्थल माना गया है। यह मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड का गुड़गांवा है जिसे जैन ग्रंथों में श्री कुंडग्राम कहा गया है। शोध में बताया गया है कि वहां का चार हजार एकड़ विस्तृत हिस्सा जलक्षेत्र (कुंड) है। इसकी लंबाई-चौड़ाई क्रमशः 5 व 2 किलोमीटर है। कुंड को नरसिंह झील कहते हैं।

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    जैन ऋषि श्रुतसागर जी महाराज के अनुसार राजकुमार वर्द्धमान महावीर प्रतिदिन नरसिंह झील में जलक्रीड़ा को आते थे। नर और सिंह से मतलब भी उन्हीं से लगाया गया है। नर स्वयं महावीर और सिंह उनका चिह्न। झील के तटवर्ती हिस्से में आज भी प्राचीन नगर का स्वरूप है। डीहों का संजाल है। सदियों गुजर जाने के बाद कुंडग्राम की ऐतिहासिकता व यहां के पुरातात्विक साक्ष्य कायम हैं। हालांकि राजस्व नक्शे में इन्हें अलग-अलग गांवों का नाम दिया गया है।

    कुंडग्राम से जुड़ीं प्रमुख बातें
    527 ईसा पूर्व में नेमीचंद्र सूरी रचित प्राकृत ग्रंथ महावीर चरियम में श्रीकुंडग्राम नगर का जिक्र है। ध्यान देनेवाली बात है कि 1894-95 के क्रिस्टल सर्वे से तैयार नक्शा अथवा 1962 के रिवीजनल नक्शे में कुंडग्राम के पूर्व श्री लगा हुआ है। इसका प्रचलित नाम सिरिपुर है।

    हो चुके कई शोध
    भगवान महावीर के जन्मस्थल को लेकर अनेक शोध हुए। आज भी इतिहासकार व पुरातत्ववेत्ता इसमें उलझे हैं। प्राचीन अंगदेश जो वर्तमान में लखीसराय जिले के लिछुआ व प्राचीन मगध वर्तमान नालंदा स्थित कुंडलपुर को भी उनकी जन्मभूमि होने का दावा किया जाता रहा है। बिहार सरकार ने 1954 में सरैया के बासोकुंड को उनकी जन्मभूमि मान ली थी। इसी बीच अक्टूबर 2014 में हुए नए शोध पर वीतराग वाणी समेत कई जैन धर्मावलंबी पत्रिकाएं इस विषय पर आलेख प्रकाशित कर चुकी हैं।

    'श्री कुंडग्राम भगवान महावीर की जन्मभूमि होने का दावा जैन धर्मग्रंथों पर आधारित तथ्यों पर है। इस शोध को कई जैन पत्रिकाओं ने भी मान्यता दी है।' - सच्चिदानंद चौधरी, पुरातत्ववेत्ता सह इतिहासकार।

    'वैशाली का श्री कुंडग्राम भगवान महावीर का जन्मस्थल होने के प्रमाण सही प्रतीत होता है। जैन धर्मग्रंथों में उनकी जन्मभूमि संबंधी प्रकाशित बातों से भी यह शोध काफी मिलता है। वैसे दो हजार साल पूर्व के जन्मस्थल का निश्चित भूभाग जानना बेहद कठिन है। यह शोध कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है।' - डॉ. आर सी जैन, अध्यक्ष, जैन प्राकृत शोध संस्थान, सरैया (मुजफ्फरपुर)

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