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गंगोत्री-यमुनोत्री से लौटने लगे व्यापारी

गंगोत्री और यमुनोत्री में इन दिनों सन्नाटा पसरने लगा है। तीर्थयात्री तो पहले ही यहां ठहरने से कतरा रहे थे, अब व्यापारियों ने भी अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है। मानसून की आहट के साथ ही आशंका गहराने लगी है। ऐसे में कोई भी रिस्क लेने को तैयार नहीं है। गंगोत्री में होटल चलाने वाले चतर सिंह कहते हैं 'पिछली बार का

By Edited By: Published: Fri, 20 Jun 2014 11:12 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jun 2014 11:31 AM (IST)
गंगोत्री-यमुनोत्री से लौटने लगे व्यापारी

उत्तरकाशी। गंगोत्री और यमुनोत्री में इन दिनों सन्नाटा पसरने लगा है। तीर्थयात्री तो पहले ही यहां ठहरने से कतरा रहे थे, अब व्यापारियों ने भी अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है। मानसून की आहट के साथ ही आशंका गहराने लगी है। ऐसे में कोई भी रिस्क लेने को तैयार नहीं है। गंगोत्री में होटल चलाने वाले चतर सिंह कहते हैं 'पिछली बार का नुकसान अभी तक झेल रहे हैं। यात्री है नहीं, ऐसे में यहां रहकर क्या करेंगे। अब और नुकसान उठाने की हिम्मत नहीं है।'

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पिछले माह दो मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले गए थे। इस दौरान अब तक दोनों धामों में मात्र 25 हजार यात्री ही पहुंचे, जबकि बीते साल डेढ़ माह में यह आंकड़ा एक लाख से ज्यादा था। दरअसल, आपदा से सहमे तीर्थयात्री गंगोत्री और यमुनोत्री में ठहरने की बजाए निकटतम कस्बों में ठहर रहे हैं। वे यहां सुबह दर्शन के बाद दोपहर तक वापस जा रहे हैं। ऐसे में यहां रह रहे व्यापारियों का मायूस होना लाजिमी है। अब बरसात भी दर पर दस्तक दे रही है।

गंगोत्री में लगभग डेढ़ सौ दुकाने हैं। इस बार यहां आधी दुकानें तो खुली ही नहीं, जो व्यापारी यहां आए भी हैं, उन्होंने भी सामान समेटना शुरू कर दिया है। गंगोत्री मंदिर के पास पूजा सामग्री विक्रेता जितेंद्र जोशी और फोटो स्टूडियो चलाने वाले राजपाल कहते हैं कि 'बीते साल आपदा के चलते जून में ही यात्रा ठप हो गई थी। सोचा था इस सीजन में कुछ बेहतर होगा। अब बरसात में तो कोई उम्मीद ही नहीं है।' वह बताते हैं कि उनके ज्यादातर साथी अब लौटने की तैयारी में हैं।

यमुनोत्री धाम की स्थिति भी भिन्न नहीं है। यमुनोत्री के प्रमुख पड़ाव जानकीचट्टी से लौटे होटल व्यवसायी विरेंद्र रावत बताते हैं कि बरसात में व्यापारी वहां नहीं रहना चाहते। यहां तक कि खच्चर चलाने वाले और डंडी कंडी मजदूर भी बड़े पैमाने पर दूसरी जगहों पर पलायन कर गए हैं। उत्तरकाशी के जिला पर्यटन अधिकारी केएस नेगी बताते है कि दोनों धामों में यात्रियों की तादाद काफी कम है। इसके चलते व्यापारियों का नुकसान स्वाभाविक है। इसीलिए वे लौट रहे हैं। हालांकि वह कहते हैं कि लेकिन प्रशासन की ओर से यात्रियों की हर सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है। गंगोत्री धाम में मानसून की आहट के साथ ही बंद होने लगी हैं दुकानें


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