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    अकबर काल में हुई थी इस मंदिर की स्थापना

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    Updated: Sat, 27 Sep 2014 01:16 PM (IST)

    जम्मू के पंजतीर्थी के चौगान सलाथिया में स्थित प्राचीन मंदिर में ज्वाला माता जालफा के रूप में विराजमान है। मंदिर में आज भी मां के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता रहता है। मान्यता है कि सुख-शांति के लिए श्रद्धालुओं द्वारा करवाए जाने वाले जागरण तब तक सफल नहीं होते जब तक वे यहां आकर जागरण की भेंट माता जालफा के चरणों मे

    जम्मू। जम्मू के पंजतीर्थी के चौगान सलाथिया में स्थित प्राचीन मंदिर में ज्वाला माता जालफा के रूप में विराजमान है। मंदिर में आज भी मां के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता रहता है।

    मान्यता है कि सुख-शांति के लिए श्रद्धालुओं द्वारा करवाए जाने वाले जागरण तब तक सफल नहीं होते जब तक वे यहां आकर जागरण की भेंट माता जालफा के चरणों में नहीं चढ़ाते। पंडित आदर्श कुमार ने बताया कि करीब दस साल पहले तक तो मंदिर में जागरण की भेंट चढ़ाने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे। समय के साथ अब ऐसे श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई है। हालांकि जिनको इसकी जानकारी है वे जागरण को सफल कराने के लिए मां के दरबार में भेंट चढ़ाने के लिए आते हैं।

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    क्या है इतिहास

    मंदिर की स्थापना अकबर काल में ही हो गई थी। बाबा पोतो जो बोल नहीं सकते थे वह अपनी बहन के साथ इस जगह रहते थे। उन्हें मां ज्वाला ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन दिए और मन्नत मांगने को कहा। तब बाबा पोतो ने मां से इस स्थान पर विराजमान होने और उन्हें अपने चरणों में जगह देने की इच्छा जाहिर की। मां ज्वाला पिंडी रूप में जालफा माता के रूप में यहां विराजमान हो गई। समय के साथ-साथ मंदिर की हालत खस्ता हो गई और वर्ष 1865 में महाराजा प्रताप सिंह ने मंदिर का पुनर्निर्माण कर मां जालफा की प्रतिमा भी स्थापित की।

    कैसे पहुंचें

    रेलवे स्टेशन या फिर बस स्टैंड से श्रद्धालु पंजतीर्थी जाने वाली यात्री बस पर बैठ आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मेटाडोर स्टॉप से मंदिर की दूरी करीब आधा किलोमीटर होगी।

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