चिंतपूर्णी मंदिर: शाही परिवार का है यह पहला मंदिर
शाही परिवार का यह पहला मंदिर है। जम्मू शहर के सकरुलर रोड पर स्थित करीब 200 साल पुराना चिंतपूर्णी मंदिर जम्मू-कश्मीर के शाही परिवार का पहला मंदिर है। मान्यता है कि समस्त चिंताओं को दूर करने वाली मां चिंतपूर्णी के दरबार से कोई श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता। मंदिर में मां चिंतपूर्णी की प्राचीन प्रतिमा के अलावा महार
जम्मू। शाही परिवार का यह पहला मंदिर है। जम्मू शहर के सकरुलर रोड पर स्थित करीब 200 साल पुराना चिंतपूर्णी मंदिर जम्मू-कश्मीर के शाही परिवार का पहला मंदिर है। मान्यता है कि समस्त चिंताओं को दूर करने वाली मां चिंतपूर्णी के दरबार से कोई श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता।
मंदिर में मां चिंतपूर्णी की प्राचीन प्रतिमा के अलावा महाराजा गुलाब सिंह की धर्मपत्नी द्वारा मां वैष्णो देवी की पिंडियों से स्पर्श कर यहां स्थापित की गई तीन पिंडियां भी हैं। श्रद्धालु पिंडियों के दर्शन कर खुद को भाग्यशाली मानते हैं।
मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण कब हुआ इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। मंदिर के पंडित विनोद शर्मा ने बताया कि महाराज गुलाब सिंह द्वारा निर्मित यह मंदिर ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर से भी 28 साल पुराना है। उस हिसाब से कहा जा सकता है कि यह मंदिर दो सौ साल से भी पुराना है। महाराजा गुलाब सिंह जब पंजाब से जम्मू आए तो उन्हें पारिवारिक चिंताओं ने घेर लिया। ऐसे में जब वह एक दिन तवी किनारे घूम रहे थे तो उन्हें तपस्या में लीन साधु दिखे। अपनी परेशानी साधु के समक्ष रखने पर उन्होंने राजा को मां चिंतपूर्णी के मंदिर का निर्माण करने को कहा। आदेश के अनुसार राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया और माता चिंतपूर्णी की मूर्ति स्थापित करवाई, जिससे उनके कष्ट दूर हो गए। शाही खानदान द्वारा जम्मू में निर्मित यह पहला मंदिर है।
कैसे पहुंचे मंदिर
जम्मू रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट या फिर बस स्टैंड से श्रद्धालु टैक्सी या फिर थ्री व्हीलर पर सकरुलर रोड पर स्थित इस प्राचीन मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से मंदिर की दूरी करीब छह किलोमीटर है, जबकि एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी करीब बारह किलोमीटर है।
धार्मिक पर्यटन मानचित्र में नहीं है मंदिर
जम्मू-कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा संचालित इस प्राचीन चिंतपूर्णी मंदिर का धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर कोई जिक्र नहीं है। यही वजह है कि दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के अलावा स्थानीय लोगों को भी इस मंदिर के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। हालांकि स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा बनाई गई कमेटी नवरात्र पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करती आ रही है। इन शारदीय नवरात्रों के दौरान भी रविवार को मंदिर में सुबह 9 बजे से एक बजे तक हवन तथा उसके उपरांत कन्या पूजन व भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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