Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सम्मोहिनी धरा का मखमली पड़ाव

    खुदरा बाजार में रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम भले ही बढ़े हों, लेकिन थोक महंगाई के बढ़ने की रफ्तार काबू में आने के आसार हैं। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर जुलाई में घटकर 5.19 फीसद पर आ गई है, जो पांच माह में न्यूनतम स्तर है। महंगाई दर में यह गिरावट सब्जियों के था

    By Edited By: Updated: Fri, 15 Aug 2014 02:28 PM (IST)

    देहरादून, [दिनेश कुकरेती]। आसमान हर पल रंग बदल रहा हो और आप जमीन पर जहां भी नजर दौड़ाएं, वहां आपको तरह-तरह के मंजर दिखाई दें, तो नि:संदेह यह दुनिया आपको किसी स्वप्न लोक से कम नहीं लगेगी। ऐसा ही स्वप्न लोक है वेदिनी बुग्याल। नंदा पथ का यह ऐसा पड़ाव है, जहां पहुंचकर पहली बार हम खुद को नंदा घुंघटी एवं त्रिशूल हिमशिखरों के बेहद करीब पाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है ठीक सामने हाथ बढ़ाकर हम उनका स्पर्श कर लेंगे। दूर-दूर तक पसरी मखमली घास और सामने खड़ी बर्फीली चोटियां मुसाफिर को सम्मोहित कर अपने मोहपाश में बांध लेती हैं। मानस पटल पर ऐसा दृश्य साकार हो उठता है, जिसे स्मृतियों में सदा के लिए कैद करने को मन करता है। तो आइए! हिमालय की खूबसूरत पश्चिमी-उत्तरी ढलान पर विस्तारित मखमली घास के इस मैदान का दीदार करें, जिसकी गिनती एशिया के सबसे खूबसूरत बुग्यालों में होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमशिखरों की तलहटी में जहां टिंबर लाइन (पेड़ों की कतारें) समाप्त हो जाती हैं, वहां से हरे मखमली घास के मैदान शुरू होने लगते हैं। आमतौर पर ये आठ से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित होते हैं। बरसात के बाद इन ढलुआ मैदानों पर जगह-जगह रंग-बिरंगे हंसते हुए फूल आपका स्वागत करते दिखाई देंगे। बुग्यालों में पौधे एक निश्चित ऊंचाई तक ही बढ़ते हैं, यही वजह है कि इन पर चलना बिल्कुल गद्दे पर चलना जैसे प्रतीत होता है। हालांकि, यहां हम नंदा पथ के अतुलनीय पड़ाव वेदिनी बुग्याल की ही बात करेंगे। 3354 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस बुग्याल तक पहुंचने के लिए गैरोली पातल से तीन किमी की प्राणांतक चढ़ाई पार करनी होती है। वाण से यह दूरी 10 किमी है। इस बुग्याल के बीचोंबीच स्थित है वेदिनी कुंड। आस्थावानों की मान्यता है कि वेदों की रचना इसी स्थान पर की गई, इसलिए इसका नाम वेदिनी पड़ा। यहां पर भी नंदा देवी का मंदिर स्थित है। राजजात के समय राजकुंवर अपने पितरों को इसी कुंड में तर्पण देते हैं।

    इस बार नंदा देवी राजजात अपने प्रथम निर्जन पड़ाव गैरोली पातल से वेदिनी प्रस्थान करेगी। वेदिनी में सप्तमी व होमकुंड में नवमी की पूजा संपन्न कराए जाने के कारण इसे प्रथम बार राजजात का पड़ाव बनाया गया है। यह बुग्याल 10 वर्ग किमी में फैला है, जिसमें से सात वर्ग किमी का हिस्सा ढालदार है। यहां सूर्योदय व सूर्यास्त का दृश्य अविस्मरणीय व अतुलनीय होता है। इससे तीन किमी की दूरी पर दक्षिणी भाग में दोतरफा ढाल पर पसरा आली बुग्याल है, जिसकी प्रत्येक ढाल पांच वर्ग किमी में फैली है। आली मूलत: गुजराती शब्द है, जिसका अर्थ विस्तीर्ण घास का मैदान होता है। आली बुग्याल वेदिनी से घोड़े की सपाट पीठ की तरह दिखाई देता है। खूबसूरती में इस बुग्याल का कोई सानी नहीं। जड़ी-बूटियों से भरपूर इस बुग्याल का चरवाहों के लिए विशेष महत्व है। तो आइए! राजजात के बहाने हम भी प्रकृति के इस अलौकिक सौंदर्य का साक्षात्कार करें।

    पढ़े: रूप का रहस्य, रहस्य का रूप

    लोक के रंग में आस्था का प्रवाह