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    राम रहीम की चाची बोली: हमारा सिर शर्म से झुक गया

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Mon, 28 Aug 2017 03:03 PM (IST)

    राम रहीम अपनी मां के साथ सतनाम के सिरसा आश्रम में जाने लगा, 10 कक्षा तक की पढ़ाई के बाद उसका मन अधिकतर संत सतनाम की ओर ही रहता था।

    राम रहीम की चाची बोली: हमारा सिर शर्म से झुक गया

    जयपुर, [जागरण संवाददाता] । डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले पैतृक गांव गुरूसर मोड़िया में शनिवार को पूरी तरह से सन्नाटा छाया रहा। राम रहीम के पैतृक घर के पास ही स्थित उसके परिजनों ने अपने अपने घरों को अंदर से बंद कर रखा है।

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    शनिवार को मीड़िया की कई टीमें गुरूसर मोड़िया गांव में पहुंची तो पुलिस के कड़े पहरे के बीच चारों तरफ शांत नजर आ रही थी। मीड़ियाकर्मी काफी पूछताछ के बाद उसके परिजनों घरों तक पहुचे, पहले तो कोई भी बात करने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन कुछ देर बाद उसके चाचा, चाची और कुछ अन्य रिश्तेदार घरों के बाहर आकर चारपाई पर बैठे। इन्हे देखकर कुछ ग्रामीण भी अपने घरों से बाहर आ गए।

    राम रहीम की चाची रणजीत कौर और उसका बेटा रजिन्द्र सिंह का कहना है कि शुक्रवार को तो आसपास के कुछ लोग राम रहीम के घर में बने आश्रम में एकत्रित हुए थे, लेकिन पुलिस की सख्ती के बाद सभी अपने-अपने घरों  में लौट गए। चाची ने मीड़ियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद भतीजे की गिरफ्तारी की बात सुनकर सिर शर्म से झुक गया, हम तो मानते वह बड़ा संत है, लेकिन उसने ऐसे कारनामें किए है, जो परिवार ही नहीं बल्कि पूरे गांव के लिए शर्म की बात है । 

    परिजनों ने बताया कि उसके पिता मग्धर सिंह क्षेत्र के बड़े जमींदार थे, उनके पास 150 बीघा जमीन थी। राम रहीम जब 10 वर्ष का था तो उन दिनों सिरसा के संत सतनाम का प्रभाव श्रीगंगानगर जिले में भी बढ़ रहा था। जिले के काफी लोग संत सतनाम के प्रवचन सुनने सिरसा जाया करते थे, इन्ही के साथ राम रहीम की मां भी जाती रहती थी। राम रहीम भी अपनी मां के साथ सतनाम के सिरसा आश्रम में जाने लगा, गांव में 10 कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद उसका मन अधिकतर संत सतनाम की ओर ही रहता था। कई बार पढ़ाई छोड़कर वह सतनाम के आश्रम पहुंच जाता था, इसी बीच उसके पिता ने उसका विवाह कर दिया, लेकिन वह अधिक दिनो तक घर में नहीं रह सका और फिर आश्रम में  आवाजाही अधिक कर दी ।

     

    इसी दौरान संत सतनाम बीमार हो गए तो उनके भक्त उन्हे राजस्थान के ही बीकानेर स्थित सरकारी अस्पताल में लेकर आ गए। अन्य भक्तों के साथ राम रहीम भी सतनाम की सेवा करने लगा। राम रहीम की इसी सेवा से प्रसन्न  होकर सतनाम ने अपने भक्तों को बीकानेर बुलाया और सभी के बीच राम रहीम को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके बाद  राम रहीम सिरसा रहने लगा। उसकी चाची का कहना है कि वह गांव में कभी-कभी आता रहता है, यहां स्कूल और सरकारी अस्पतालों के भवन उसी ने बनवाए है । गांव के लोगों की आर्थिक मदद भी करता रहता था । 

     

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