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    शहीद ऊधम सिंह ने लंदन जाकर भून डाला था जनरल डायर को

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jul 2016 11:37 PM (IST)

    1940 में आज ही के दिन 31 जुलाई शहीद ऊधम सिंह को फांसी दी गई थी। उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के दोषी डायर को लंदन जाकर मार गिराया था।

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    संगरूर [सचिन धनजस]। शहीद ऊधम सिंह ने जलियांवाला हत्याकांड का बदला लेने के लिए 21 साल तक इंतजार किया था, लेकिन सरकार को उनकी शहादत को सम्मान देने में 76 साल भी कम पड़ गए। वर्ष 2011 में बादल सरकार ने शहीद ऊधम सिंह के नाम सुनाम में म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक सरकार यादगार बनाना तो दूर इसके लिए जमीन भी तय नहीं कर पाई है। विडंबना ही है कि शहीद ऊधम सिंह से जुड़ी वस्तुओं को एक जगह रखने के लिए अभी तक सरकार कोई एक यादगार नहीं बना पाई है।

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    नहीं बन सका आदर्श नगर

    शहीद ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को सुनाम में हुआ था। सरकार ने सुनाम को आदर्श नगर बनाने की घोषणा भी की थी, लेकिन शहर कई समस्याओं से जूझ रहा है। ओवरफ्लो सीवरेज, पेयजल की कमी, टूटी सड़कें, गंदगी के ढेर शहीद के नगर की पहचान बन चुकी हैं। शहीद ऊधम सिंह स्टेडियम की देखभाल, साफ-सफाई पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। मोहल्ला रायपुरिया पटवारखाने के पास स्थित घर में शहीद ऊधम सिंह का जन्म हुआ था। मकान में एक छोटा सा कमरा, एक रसोई, एक बाथरूम है। सरकार ने घर देखरेख के लिए पुरातत्व विभाग को सौंप दिया। यहां शहीद ऊधम सिंह की जीवनी, तस्वीरें शहीद के लिखे पत्रों को संजोया गया है। सुनाम के चारों ओर शहीद के नाम वाले सुंदर गेट बनाने का वादा भी अधूरा है।

    लंदन जाकर मारा था जनरल ओ डायर को

    ऊधम सिंह 13 अप्रैल, 1919 को हुए जालियांवाला हत्याकांड के प्रत्यक्षदर्शी थे। उन्होंने इसके दोषी जनरल ओ डायर को जान से मारने की कसम खाई थी। 1934 में ऊधम सिंह लंदन पहुंचे, लेकिन बदला लेने का मौका 1940 में मिला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च, 1940 को लंदन के कॉक्सटन हाल में ऊधम सिंह ने माइकल ओ ड्वायर को गोलियों से भून दिया। 31 जुलाई, 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई।
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    लंदन ने किया निशानियां देने से इन्कार

    पिछले 9 वर्षों से सरकार कह रही है कि शहीद ऊधम सिंह की लंदन में पड़ी निशानियों को वापस भारत लेकर आएंगे, लेकिन लंदन सरकार ने 17 फरवरी 2014 को ही पत्र लिखकर सामान सरकार देने से इन्कार कर दिया था। आरटीआइ कार्यकर्ता जतिंदर जैन व कर्मवीर तौरम ने बताया कि उन्होंने 19 अप्रैल, 2016 को आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी थी कि शहीद ऊधम सिंह का सामान कहां पड़ा है? क्या-क्या सामान है? सामान वापस लाने को लेकर जो भी पत्राचार हुआ उसकी जानकारी दी जाए। जवाब में मिली जानकारी के अनुसार 12 मार्च, 2014 को लंदन के विदेश व कॉमनवेल्थ अधिकारी ने ठुकराते हुए कहा था कि ऊधम सिंह की डायरी, चाकू, रिवॉल्वर समेत अन्य सामान ऊधम सिंह के केस दौरान साक्ष्य के रूप में रखे गए थे, ये नहीं दिए जा सकते।

    शहीदी दिवस पर याद किए गए शहीद ऊधम सिंह देखें तस्वीरें

    लंदन में पड़ी निशानियां

    -2 रशियन नोट (30 रूबल)
    -1 स्मिथ वैसन, 6 चैंबर रिवॉल्वर नंबर 16586, दो खाली कारतूस
    -एक लकड़ी का बॉक्स, 25 कारतूस .44 बोर
    -लाल रंग की डायरी 1940 की।
    -सफेद रंग की घड़ी
    -2 अखबारों की कटिंग
    -फोटो केस
    -चाबी रखने वाला बॉक्स
    -कॉबलर चाकू
    -आजाद सिंह के नाम का नेशनल रजिस्ट्रेशन कार्ड नंबर जेडओएके/305/7
    -3 फोटोग्राफ
    -कार की चाबी

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