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    पठानकोट हमला : सबसे खूंखार था कम उम्र का आतंकी

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Tue, 19 Jan 2016 12:54 PM (IST)

    एयरफोर्स बेस पर 2 जनवरी को तड़के हमला करने वाले चार आतंकियों में सबसे खूंखार था। गोली लगने से तीन की मौत तत्काल हो गई थी, 20 साल का यह आतंकी घायल होने के बाद भी छह घंटे तक लड़ता रहा। पोस्‍टमार्टम में उसके शरीर में 55 फैक्‍चर पा गए।

    पठानकोट [श्याम लाल]। एयरफोर्स बेस पर 2 जनवरी को तड़के हमला करने वाले चार आतंकवादियों में से तीन की मौत जहां तत्काल हो गई थी, वहीं चौथा घायल होने के बाद भी छह घंटे तक लड़ता रहा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक चारों में वह सबसे कम उम्र लगभग 20 वर्ष का था। उसके शरीर में 55 जगहों पर फ्रैक्चर पाया गया है। पूरे शरीर में जगह-जगह गोलियों के निशान थे। उसके पेट, लिवर व इसके आसपास नौ जगह गोलियां पाई गईं।

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    बुरी तरह घायल होने के बाद भी 20 वर्षीय यह आतंकी छह घंटे तक लड़ता रहा

    पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चारों आतंकवादियों की उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच बताई जा रही है। सबसे कम उम्र के आतंकी के चोट लगने और मरने के बीच छह घंटे का अंतर पाया गया है, जबकि उसके तीनों साथी गोली लगते ही मौत के मुंह में समा गए थे। इनमें से एक आतंकी को नौ जगह गोलियां लगी थीं। दूसरे के शरीर में 28 जख्म पाए गए, जबकि तीसरे के जख्मों की संख्या 36 थी।

    पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, उसके शरीर में 55 जगहों पर फ्रैक्चर था

    सूत्र बताते हैं कि चारों ओर से घिर जाने के कारण तीन आतंकियों के लिए खुद को बचाना मुश्किल हो गया था, लेकिन सबसे कम उम्र का आतंकी इधर-उधर भाग कर लगातार सुरक्षा बलों पर हमला करता रहा। चारों आतंकियों ने छाती व जांघ के बाल साफ कर रखे थे।

    आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सेना के जवान।

    एयरफोर्स बेस में आतंकी दो गुटों में घुसे थे। एक गुट में चार आतंकी थे जिन्होंने 2 जनवरी को तड़के करीब तीन बजे हमला किया था। चारों को उसी दिन शाम तक ढेर कर दिया गया, लेकिन दो अन्य आतंकी छिपकर बैठे रहे। अगले दिन जब सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ तो उन्होंने सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया।

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    काफी देर तक मुठभेड़ चलने के बाद आखिर में सेना ने दोनों आतंकी जिस इमारत में छिपे थे उसे विस्फोट कर उड़ा दिया और दोनों ढेर हो गए। बाद में सर्च ऑपरेशन में दोनों आतंकियों के शव क्षत-विक्षत अवस्था में पाए गए। शरीर के अंग इधर-उधर बिखरे हुए थे। यह पहचान करना मुश्किल था कौन अंग किस आतंकी का है, इसीलिए उनका पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका।