उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के कारण श्रमिकों की कमी से पंजाब की इंडस्ट्री पर मार
उत्तर चुनाव का असर पंजाब की इंडस्ट्री पर भी पड़ रहा है। श्रमिक मतदान के लिए घरों की ओर जाने लगे हैं। नोटबंदी के बाद इंडस्ट्री दूसरी बार श्रमिकों की कमी से दो चार हो रही है।
जेएनएन, लुधियाना। उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में होने वाले मतदान के लिए पंजाब से श्रमिक जाने शुरू हो गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर लुधियाना की इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। नोटबंदी के बाद इंडस्ट्री में आई मंदी के कारण बहुत से श्रमिक चले गए थे जो अभी तक नहीं लौटे हैं। अब मतदान के लिए जा रहे श्रमिकों के कारण उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि अब वे होली के बाद ही लौटेंगे। लुधियाना के अलावा जालंधर, अमृतसर, मंडी गोबिंदगढ़ आदि शहरों की इंडस्ट्री में ज्यादातर श्रमिक उत्तर प्रदेश व बिहार के ही हैं।
लुधियाना में करीब पांच लाख लोग उत्तर प्रदेश के रहते हैं। जालंधर में यह आंकड़ा 75 हजार के आसपास है। श्रमिकों के जाने से लुधियाना की होजरी इंडस्ट्री को तो ज्यादा दिक्कत नहीं आ रही है लेकिन साइकिल व हैंडटूल्स इंडस्ट्री काफी प्रभावित हो रही है। हाईवर्ड साइकिल के सीएमडी आरडी शर्मा का कहना है कि नोटबंदी के बाद इंडस्ट्री में आई मंदी कारण करीब 30 प्रतिशत श्रमिक अपने गांव चले गए थे और वे अब तक नहीं लौटे हैं।
इंडस्ट्री में नोटबंदी का असर कुछ कम हुआ है तो अब उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर श्रमिक घरों को लौट रहे हैं। इससे आगे दिक्कत पैदा हो जाएगी। यूनाइटेड साइकिल पाट्र्स एंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (यूसीपीएमए) के प्रेसिडेंट चरणजीत सिंह विश्वकर्मा कहते हैं कि उत्तर प्रदेश साइकिल इंडस्ट्री के लिए बड़ी मंडी है जहां 30 से 35 प्रतिशत साइकिलों खपत होती है। उप्र में विधानसभा चुनाव के चलते वहां से साइकिल के ऑर्डर भी नाममात्र के ही आ रहे हैं। साइकिल इंडस्ट्री में काम करने वाले 10 प्रतिशत श्रमिक तो अभी चले गए हैं जबकि वहां मतदान आठ मार्च तक हैं।
सरदार नगर स्थित एमजी फैशन के मालिक मुकेश कुमार कहते हैं कि उनके पास काम करने वालों में 70 लोग उप्र से हैं जिनमें से 35 श्रमिक जा चुके हैं। बाल सिंह नगर स्थित दौलत इंटरप्राइजेज के मालिक दिनेश कुमार ने कहा कि इन दिनों होजरी कारोबार धीमा होता है, इसलिए श्रमिकों को छुट्टी देने में कोई दिक्कत नहीं है। उनके यहां करीब सौ श्रमिक उप्र के हैं जिनमें पचास फीसद चले गए हैं। होजरी उद्यमी विनोद कुशवाहा का कहना है कि उनके पास काम करने वाली सारी लेबर उत्तर प्रदेश से है।
जालंधर में भी हैंडटूल्स व लेदर इंडस्ट्री पर उप्र चुनाव का असर पड़ रहा है। जालंधर फोकल प्वाइंट एसोसिएशन एक्सटेंशन के अध्यक्ष नरिंदर सिंह सग्गू कहते हैं करीब दस फीसद लेबर जा चुकी है। यही दिक्कत पंजाब लेदर फेडरेशन के अध्यक्ष जसजीत पॉल सिंह भी बयां करते हैं।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी डॉ. संजय गुप्ता बताते हैं कि उन्हें रिश्तेदार का फोन आया था कि चुनाव में पहुंचना बहुत जरूरी है। गुप्ता का लुधियाना के शेरपुर इलाके में क्लीनिक है। वे तो जा ही रहे हैं मतदान करने के लिए, शेरपुर इलाके में रहने वाले सैकड़ों लोग जा रहे हैं।
ट्रेनों में सीटों के लिए मशक्कत
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए जाने वाले श्रमिकों को ट्रेनों में भी बहुत मुश्किल से सीट मिल रही है। उधर को जाने वाली ट्रेनों जनसेवा एक्सप्रेस, जननायक, सरयू-यमुना, शहीद एक्सप्रेस, आम्रपाली, महाबोधि, अमरनाथ एक्सप्रेस, गंगा-सतलुज एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में तो सवार होना किसी चुनौती से कम नहीं है। रेलवे स्टेशन के आरक्षण केंद्र के काउंटरों पर लोगों की लंबी कतार देखने को मिल रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।