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मीडिया से रू-ब-रू हुए Navjot Singh Sidhu, कैबिनेट में वापसी के सवाल पर भड़के, कहा- इट इज द एंड नाउ

पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने किसानों को डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम का विरोध किया। इस दौरान जब उनसे कैबिनेट में वापसी के मुद्दे पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने एकदम कुर्सी छोड़ दी और प्रेस कांफ्रेंस खत्म कर दी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 02:15 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 11:31 AM (IST)
पटियाला में पत्रकारों से बातचीत करते नवजोत सिंह सिद्धू। जागरण

जेएनएन, पटियाला। कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू रविवार को पटियाला में मीडिया से मुखातिब हुए। मीडिया से रू-ब-रू होने के दौरान रविवार को यूं तो नवजोत सिद्धू खूब खुलकर बोले, लेकिन जब उनसे पंजाब सरकार में वापसी संबंधी सवाल किया गया तो यहां एक बारगी तो उनकी पीड़ा सामने आ ही गई। इस मौके पर सिद्धू ने एकदम से ही कुर्सी छोड़ दी और कहा कि 'इट इज द एंड नाउ' (It is the end now)। इससे पहले सिद्धू यह दावा करने से नहीं चूके कि उन्होंने अपना राजनीतिक करियर आगे बढ़ाने के लिए कभी किसी के सामने कोई जबरन मांग नहीं रखी।

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पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू नेेेेे कहा कि एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के तहत चल रहे मौजूदा मंडी सिस्टम में बाधा डालकर केंद्र सरकार पंजाब में किसानों की अर्थव्यवस्था को बद से बदतर स्थिति में पहुंचाने की फिराक में है। इसका उदाहरण किसानों को उनकी फसल का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में करने की योजना है। अगर यह योजना लागू हो गई तो पंजाब के करीब 30 फीसद किसानों विशेष तौर पर छोटे किसानों को उनकी फसल का भुगतान ही नहीं मिलेगा।

सिद्धू ने फसल का भुगतान सीधा किसानों के बैंक खातों में किए जाने की केंद्र की स्कीम का सिरे से विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस बारे में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जो पत्र पंजाब सरकार को लिखा है, वह झूठ का पुलिंदा है। एक ओर जहां केंद्र दावा कर रहा है कि पंजाब के राजस्व विभाग के पास सारा लैंड रिकार्ड है, वहीं इसमें प्रत्येक किसान की जमीन की मलकीयत का विवरण भी है।

उन्होंने कहा कि वास्तविकता तो यह है कि पंजाब में अधिकतर छोटे किसान जमीन को ठेके पर लेकर खेती करते हैं। ऐसे में ये सौदे महज जुबानी होते हैं और इनका कोई राजस्व रिकार्ड नहीं होता। मौजूदा समय में पंजाब में इस तरह से ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले करीब 30 फीसद किसान हैं। जब फसल का सीधा भुगतान जमीन से संबंधित किसान के खाते में करने का प्रोसेस होगा तो वहां उक्त जमीन को ठेके पर लेकर खेती करने वाला किसान खाली हाथ ही रह जाएगा। इससे राज्य में ला एंड आर्डर की स्थिति बिगड़ जाएगी और सरकार के लिए हालात संभालने मुश्किल होंगे।

पीडीएस का भुगतान सीधे बैंक खातों में करने का भी विरोध

नवजोत सिद्धू ने पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) के जरिए निर्धन वर्ग को रियायती दरों पर अनाज मुहैया करवाने की स्कीम में प्रस्तावित बदलाव का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार से इस स्कीम के जरिए जहां तीन रुपये किलो अनाज मिलता है वहीं उक्त रकम को सीधा बैंक खातों में डालना ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जहां बैंक खातों में सरकारी रेट मुताबिक ही रकम ट्रांसफर होगी वहीं जब उक्त व्यक्ति बाहर रिटेल मार्केट में अनाज खरीदने जाएगा तो उसे वहां मार्केट रेट पर अनाज मिलेगा जोकि उसके लिए महंगा होगा।

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