लुधियाना सिटी सेंटर घोटालाः सरकार बदलते ही मुकर गए गवाह
लुधियाना सिटी सेंटर घोटाले में विजीलेंस ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को क्लीन चिट दी है। मामले में सरकार बदलते ही गवाह मुकर गए।
जेएनएन, लुधियाना। लुधियाना सिटी सेंटर घोटाले मामले में अधिकतर गवाह सरकार बदलते ही अपने पुराने बयानों से पलट गए हैं। 16 मार्च को कैप्टन सरकार बनने के 60 दिन बाद 15 मई 2017 को विजिलेंस ने सिटी सेंटर घोटाले की दोबारा जांच शुरू की थी। जिसमें पुराने 17 गवाहों को दोबारा बुलाया। कई गवाहों ने कहा कि पुराने बयान उनके नहीं है तो कुछ गवाहों ने कहा कि पूर्व सरकार और विजिलेंस ने दबाव के चलते पहले बयान दर्ज हुए थे, जो गलत हैं।
2007 का बयान मेरा नहीं : इंद्रसेन
विजिलेंस ने आरएल ट्रैवल लि. कंपनी के पुराने मुलाजिम इंद्रसेन सिंगला के दोबारा से बयान दर्ज किए। उसे 2007 का उसका एक बयान दिखाया, जिसे देख इंद्रसेन ने कहा कि यह बयान उसका नहीं है। वह 1995 से लेकर 2007 तक आरएल कंपनी में फाइनांस मैनेजर था। उसकी कैप्टन अमरिंदर सिंह से कोई मुलाकात नहीं हुई और न ही कई वह कैप्टन अमरिंदर सिंह के पटियाला या दिल्ली घर में गया। इंद्रसेन ने कहा कि उसने जीके गंभीर के साथ मिलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह को पांच करोड़ 50 लाख भी नहीं दिए थे।
ट्रस्ट के बेलदार हरीश कुमार ने कहा कि 2007 में विजिलेंस के अधिकारियों ने दबाव डालते हुए लिखवाया था कि वह 2005 को दीवाली पर ट्रस्ट के इंजीनियर आरडी अवस्थी और अनिल नरूला नामक व्यक्ति के साथ मिलकर ट्रस्टियों के घर गिफ्ट देने गया था। लेकिन यह सच नहीं है।
सरकार व विजिलेंस ने धमकाया
ट्रस्ट कर्मी रमेश्वर ने कहा कि पहले बयान उसके नहीं हैं। उसने 2007 में पूर्व सरकार और विजिलेंस के डर से सचाई नहीं बोली। पहले बयान में उसने कहा था कि टेंडर खुलने से पहले सभी टेंडर की फाइलों को वह पार्क प्लाजा लेकर गए थे। जिसके बाद टेंडर निकाले गए। लेकिन यह सच नहीं था। वह टेंडर की फाइल लेकर न पार्क प्लाजा गया और न ही किसी ने उसे रिश्वत दी।
झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी
ट्रस्ट के एक ड्राइवर सोमनाथ ने बयान दिए कि वह इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन पमरजीत सिंह सीबिया के 2005 से 2006 तक ड्राइवर थे। उसने आरोप लगाए कि 2007 में उसे विजिलेंस ने धमकी देकर बयान लिए थे कि ट्रस्ट के चेयरमैन सीबिया ने उसे टेंडर की फाइलें पार्क प्लाजा में लाने के लिए कहा था। जबकि वह कोई फाइल पार्क प्लाजा नहीं लेकर गया।
कैप्टन के समय में ही सामने आया था भ्रष्टाचार
इस मामले का सबसे बड़ा पहलू ये है कि सिटी सेंटर के मामले में भ्रष्टाचार की बात सितंबर 2006 में तब सामने आया था जब कैप्टन की सरकार थी। उसके बाद मामले की जांच शुरु हुई 2007 में सत्ता परिवर्तन के बाद मामला दर्ज किया गया, जिसमें कैप्टन का नाम भी शामिल था। वहीं अब कैप्टन की सत्ता में ही विजिलेंस कह रही है कि भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया।
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