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    जन्म पर ही तय हुआ कि वो घर का बेटा बनेगी

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Tue, 07 Mar 2017 04:49 PM (IST)

    गुरप्रीत मांगट एक एेसा नाम जो नारी सशक्तिकरण की मिसाल है। पांच बहनों में तीसरे नंबर की गुरप्रीत मर्दाना लाइफ जीती है और घर की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है।

    जन्म पर ही तय हुआ कि वो घर का बेटा बनेगी

    लुधियाना [कासिफ फारुकी]। अगर आप किसी काम को लेकर जिला परिषद के दफ्तर में चक्कर लगा रहे हों तो आपका वास्ता गुरप्रीत मांगट से जरुर पड़ा होगा। पहली नजर में आपको मांगट एक पुरुष लगेगी, लेकिन आपका अंदाजा गलत हो जाएगा। कुर्ता-पैजामा और सिर पर पगड़ी से अहसास नहीं होता कि वह महिला है। उसकी बोलचाल और बात करने का ढंग भी मर्दों जैसा है। खेतों में ट्रैक्टर चलाना और खेतों में काम करना उसका अलग अंदाज है।

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    मांगट का पुरुषों के अंदाज में जीवन व्यतीत करने की भी अलग कहानी है। पांच बहनों वाली मांगट बताती है कि दोहारा के गांव रामपुर में 25 मार्च 1960 को उसका जन्म हुआ। उस दिन उनकी मां रजिंदर कौर ने यह सोचा भी ना होगा की जिस को उसने एक बेटी के रुप में जन्म दिया था, वह यही बेटी एक दिन उनके घर का बेटा साबित होगी। पिता सुखमिंदर के घर जब तीसरी बेटी के रुप में गुरप्रीत का जन्म हुआ, तब ही मां-बाप ने निर्णय किया की उसका लालन पालन लड़के की तरह किया जाएगा। जिसकी शुरुआत लड़कों वाले कपड़ों से हुई।

    पिता ने जब स्कूल में गुरप्रीत का दाखिला करवाया गया तब उनके नाम से कौर हटाकर सिर्फ गुरप्रीत मांगट लिखवाया गया। अपनी लाइफ के बारे में बताते हुए गुरप्रीत मांगट ने बताया पुत्र की तरह किया गया लालन पालन की वजह से जब उसको थोड़ी सा जिंदगी के बारे में बता लगने लगा तो उसने भी फैसला कर लिया की वह घर व खेतों की जिम्मेदारी खुद के कंधे पर उठाएगी। पिता ने भी मांगट को खूब पढ़ाया लिखवाया और 1983 में बीए की शिक्षा पूरी की।

    इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यादें ताजा करते हुए मांगट ने कहा की वह मुश्किल से अभी दसवीं में थी तो वह अपने पिता के साथ खेतों में खूब काम करती थी। उनकी जिंदगी का मकसद घर में 4 बहनों की शादी व घर की हालत को सही करना था। जिसके बाद पंचायत विभाग में नौकरी मिलने के पर उनकी यह तमन्ना पूरी हो गई। मांगट का कहना है की दफ्तर में पूरी लगन व खेतों में पूरी मेहनत का ही नतीजा है कि आज उनकी बहनें अपने अपने घर में राजी खुशी व एक बहन कनाडा सेटल है।

    बेशक मांगट के मां बाप अब इस दुनिया में नहीं लेकिन उनका कहना है की वह आज तक घर में बेटे का रोल अदा कर रही है। सवेरे 4 बजे उठकर नितनेम करना, फिर मवेशियों को संभालने के साथ साथ 10 एकड़ जमीन संभालना उनके ही जिम्मे है। इसी तरह ड्यूटी से शाम को घर जाकर काम करना होता है। मांगट ने बताया कि वह पीएयू में बने किसान क्लब का मेंबर भी है।

    उसका कहना है कि सिर्फ बहनें ही उन्हें आपना भाई नहीं मानती बल्कि उनके पति भी उनको आपना साला समझते हैं। शादी के बारे में पूछे जाने पर मांगट ने कहा कि यह ख्याल आज तक उनके दिमाग में नहीं आया। वाहेगुरु ने जिस काम के लिए उसको चुना था, वह उसने कर दिखाया।

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