Move to Jagran APP

कोरोना से घमासान में इस गांव ने बनाई नई पहचान; झगड़े खत्म, नशे का नाश, दिहाड़ी करने लगे युवा

कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए लगे कर्फ्यू में बाहरी राज्यों के मजदूरों पर निर्भरता खत्म करने के लिए गांव हरदोखापुर के युवा खुद मजदूरी करने लगे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 06:12 PM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 06:12 PM (IST)
कोरोना से घमासान में इस गांव ने बनाई नई पहचान; झगड़े खत्म, नशे का नाश, दिहाड़ी करने लगे युवा
कोरोना से घमासान में इस गांव ने बनाई नई पहचान; झगड़े खत्म, नशे का नाश, दिहाड़ी करने लगे युवा

होशियारपुर [हजारी लाल]। कोरोना से घमासान...। कारोबार ठप...। रोजगार के द्वार बंद। ऐसे में सवाल है दो वक्त की रोटी का है, क्योंकि सब कुछ तो बंद है। ऊपर से वह गांव जो लड़ाई और नशे के लिए बदनाम रहा है। मगर इस हरदोखानपुर गांव ने कोरोना को मात देने के लिए लगाए गए कर्फ्यू में नई सोच, नई मिसाल पेश की है। पिछले एक माह में गांव में कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं हुआ है। नशे का भी नाश हो चुका है। परिवार का पेट पालने के लिए लोगों ने नए धंधे की तलाश भी कर ली है।

loksabha election banner

होशियारपुर-टांडा रोड पर बाईं तरफ गांव हरदोखानपुर स्थित है। पांच हजार की आबादी वाले गांव में लोग मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं। बहुत सारे लोग पल्लेदारी करते हैं। आजकल ऐसे लोग गांव के आसपास ही दिहाड़ी करने लगे हैं। कुछ लोगों ने सब्जियां बेचने का काम शुरू कर दिया है। कुछ लोग फसलों की कटाई में लगे हैं।

आइए चलते हैं इस गांव में ...! बाद दोपहर दो बजे हैं। हरदोखानपुर की गलियों में सन्नाटा पसरा है। गांव के बाहर गर्मी में सब्जी की रेहड़ी लिए एक शख्स खड़ा है। नाम ओम प्रकाश बताते हुए कहता है कि पहले वह पल्लेदारी करता था। मगर, कर्फ्यू ने दुकानें बंद कर दी हैं। परिवार का पेट तो पालना ही था। सो, उसने सब्जी बेचना शुरू कर दिया है। रोजाना सब्जी बेचकर 200 से 250 रुपये बच जाते हैं। वह बहुत खुश है। केवल वही नहीं, गांव के और भी लोग शहर में जाकर पल्लेदारी करते थे। शहर में जाने से पाबंदी होने से अब ऐसे लोग कोई दिहाड़ी, तो कोई फसलों की कटाई में लग गया है। यूं कहें कि समय की करवट ने उन्हेंं काम करने की नई दिशा दे दी है।

इसी बीच, वहां पर जतिंदर कुमार आ जाते हैं। पल्लेदारी करने वाले जतिंदर ने भी इन दिनों काम बदल लिया है। वह गांव में ही दिहाड़ी करते हैं। जतिंदर ने बताया कि जो लोग पहले 400 में दिहाड़ी नहीं करते थे, अब वही 200 से 250 में दिहाड़ी कर रहे हैं। चौकाने वाला खुलासा यह था कि पहले फसलों की कटाई के लिए बाहरी लेबर का बंदोबस्त करना पड़ता था, लेकिन गांव के ही लोगों से सारा काम निपटाया जा रहा है। इससे लोगों के बीच आपसी भाईचारा भी बढ़ा है।

गांव के माहौल पर चर्चा चल रही थी कि इसी बीच सरपंच सुरिंदर कुमार वहां पर पहुंच जाते हैं। बदलाव पर तपाक से कहते हैं 'कर्फ्यू में नशे का नाश हो गया। और तो और जो लड़के नशा करते थे, सारा दिन फिजूल घूमते रहते थे, नशा न मिलने से वह भी धीरे-धीरे ठीक होने लगे हैं'। कहते हैं कि कुछ लड़कों ने दिहाड़ी भी करनी शुरू कर दी है। कर्फ्यू में गांव में एक और चीज में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पहले यहां पर लड़ाई -झगड़ा होता रहता था। इससे लोगों में दुश्मनी भी बढ़ती थी, लेकिन पिछले एक माह से गांव में किसी का झगड़ा नहीं हुआ है।

यह भी पढ़ें : Coronavirus संक्रमण के लिए AC की हवा खतरनाक, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

यह भी पढ़ें: मौसम ने तोड़ा रिकार्ड, अप्रैल में फरवरी जितना तापमान, फिर आएगी बारिश

यह भी पढ़ें: बच्चों को रास आने लगी Online Study, शिक्षाविदों का पैनल देगा अबूझ सवालों का जवाब

यह भी पढ़ें: फिरोजपुर में महिला से छह लोगों ने किया सामूहिक दुष्कर्म, रात को घर से किया था अगवा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.