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    अद्भुत है यह प्रेम कहानी, जानें कैसे डेनमार्क की बाला बन गई पंजाबी युवक की 'हीरो'

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 12 Jul 2019 08:49 PM (IST)

    यह अद्भुत प्रेम कहानी है। पंजाब के एक युवक और डेनमार्क की युवती के बीच व्‍हाट्स एप से शुरू हुआ प्‍यार न केवल शादी में बदला बल्कि यह विदेशी बाला युवक क ...और पढ़ें

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    अद्भुत है यह प्रेम कहानी, जानें कैसे डेनमार्क की बाला बन गई पंजाबी युवक की 'हीरो'

    गुरदासपुर, [बाल कृष्ण कालिया/आजाद शर्मा]। एक प्‍यार बन गई इबादत और जिसने नशे में जकड़े एक पंजाबी युवक की जिंदगी बदल दी। डेनमार्क की एक बाला से WhatsApp के जरिये प्‍यार परवान चढ़ा और शुरू हो गई एक अद्भुत और दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी। यह दास्तां है नशे की दलदल से बाहर निकल नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहे मलकीत सिंह की। आज डेनमार्क की बाला नताशा सोमर उसकी 'हीरो' है। दोनों के प्यार की कहानी हैरान करने के संग-संग राह दिखाती है।

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    गुरदासपुर में शादी, नशे के आदी मलकीत को बचाने डेनमार्क से भारत पहुंच गई नताशा
    इस कहानी की शुरुआत इस साल के आरंभ में अचानक एक वाट्सएप मैसेज से हुई। गुरदासपुर के मलकीत सिंह की डेनमार्क की युवती नताशा से WhatsAPP पर चैटिंग शुरू हुई। इसके बाद उनके बीच फाेन पर बातचीत होने लगी और धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। गांव सुंडल का मलकीत हेरोइन के नशे का आदी था और यही बात उसे खाए जा रही थी। आखिरकार, उसने नताशा को अपनी हालत के बारे में बता दिया।

    इसके बाद भी नताशा ने उससे संबंध नहीं तोड़े और अपने प्‍यार को कामयाब बनाने व नशे की दलदल में फंसे मलकीत को इससे बाहर निकालने की ठान ली। वह अपना प्यार पाने के लिए मार्च में गुरदासपुर आ गई। फिर वह मलकीत को अपने साथ डेनमार्क ले गई। 15-20 दिन वहां नशा छुड़ाने की कोशिश की गई। बात नहीं बनी तो वह उसे लेकर फिर गुरदासपुर लौट आई। यहां 15 दिन पहले दोनों ने कोर्ट मैरिज की। मलकीत आजकल गुरदासपुर के रेडक्रॉस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती है और नताशा उसके साथ पूरी तरह खड़ी है। मलकीत ने बताया कि वह नशे की लत से छुटकारा पा चुका है और अब बाकी जीवन पत्नी नताशा के साथ बिताना चाहता है।

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    नए वर्ष के पहले दिन ने बदली जिंदगी
    मलकीत और नताशा की पहली बार चैटिंग नए वर्ष के पहले दिन यानी 1 जनवरी को हुई थी। अपना प्यार पाने के लिए नताशा 23 मार्च, 2019 को दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरी थी और फिर वहां से मलकीत के साथ गुरदासपुर पहुंची। इसके बाद मलकीत की हालत देख वह उसे अपने साथ डेनमार्क ले गई। 15 से 20 दिन वहां इलाज करवाया, लेकिन मलकीत में कोई बदलाव न देख फिर गुरदासपुर लौट आई। मलकीत के बड़े भाई जसवंत सिंह के कहने पर नताशा ने उसे गुरदासपुर के रेडक्रॉस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया है। मलकीत का कहना है कि वह बड़ी मुश्किल से नशे के चंगुल से बाहर निकला है। अब वह पत्‍नी नताशा के साथ डेनमार्क जाने की तैयारी में है।

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    नताशा के पिता डेनमार्क में चलाते हैं कॉफी शॉप और गैराज
    नताशा ने कहा कि उसने मलकीत को नशे की दलदल से छुड़ाने का प्रण किया था। इस बारे में उसने अपने पिता को पूरी बात बताई थी। उसके पिता डेनमार्क में कॉफी शॉप और गैराज चलाते हैं। मलकीत और उसके रिश्ते के बारे में जानकर पिता ने उसे भारत आने की अनुमति दे दी। शुरू में मलकीत पूरी कोशिश की कि नताशा गुरदासपुर न आए पर उसकी जिद के आगे उसे घुटने टेकने पड़े।

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    अगले सप्ताह वीजा के लिए करेंगे आवेदन
    मलकीत ने बताया कि वह अगले सप्ताह पत्‍नी नताशा के साथ डेनमार्क जाने के लिए वीजा अप्लाई करेगा। वह धीरे-धीरे ठीक हो रहा है। उसका हेरोइन का नशा छूट चुका है। मलकीत ने कहा कि नताशा ने मेरे जीवन को संवारा है। अब मैं उसके साथ अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहता हूं।

    बेरोजगार था, सब देते थे तानेः मलकीत
    मलकीत का कहना है कि जब पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिली तो वह इधर-उधर घूमने लगा। मां कोई काम करने के लिए बोलती थी लेकिन नौकरी नहीं मिलती थी। घरवालों के तानों से परेशान होकर वह दोस्तों के साथ आवारागर्दी करने लगा और धीरे-धीरे हेरोइन का आदी हो गया। बता दें कि मलकीत के पिता की पहले ही मौत हो चुकी है। उसका भाई जसवंत सिंह भी नशे का आदी था। मलकीत खुद 25 किले जमीन का मालिक है। इसीलिए, नशा करने के लिए उसे पैसे की कभी कमी नहीं थी। इसी कारण इस दलदल में फंसता गया।

     

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