सूर्य नमस्कार से शरीर, मन एवं आत्मा पर पड़ता है सकारात्मक असर
सोमवार को देश भर में करोड़ों लोग सूर्य नमस्कार करेंगे। अबोहर में भी ऐसा आयोजन हो रहा है। सूर्य नमस्कार न तो आसन है और न ही पारंपरिक योग का अंग, पर यह अत्याधिक लाभप्रद व उपयोगी है। इसे योगासन व प्राणायाम का मिश्रण कहें तो ज्यादा उपयुक्त होगा। इसे अलसुबह या सायं के समय सूर्य की ओर मुख कर किया जाता है। सूर्य को स्वास्थ्य एवं लंबी आयु देने वाला देवता कहा जाता है। सूर्य नमस्कार से मनुष्य के शरीर, मन एवं आत्मा पर सकारात्मक असर पड़ता है। यह शरीर को स्फूर्ति, जोड़ों का कसाव कम करने व आंतरिक अंगों की मालिश करता है, श्वसन एवं रक्त संचार प्रणाली को अधिक सक्रिय बनाता है। सूर्य नमस्कार 12 आसनों की प्रक्रिया है।
सूर्य नमस्कार का एतिहासिक व आध्यात्मिक महत्व
अनादि काल से सूर्य की आराधना व उपासना चली आ रही है। इसका विवरण वेदों व पुराणों में भी पाया जाता है। सूर्य उपासना के लिए अनेक सूर्य मंदिरों का निर्माण देश में किया गया है। इसके अलावा मिश्र के पिरामिड, मैक्सिको का युकतान, बेबीलोनिया व काल्डिया के जिक्कुरत आदि सूर्य उपासना के लिए ही निर्मित और समर्पित किए गए थे।
डा. पाल मदान, अबोहर।
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