सोनिया-राहुल से मिले कैप्टन, कैबिनेट विस्तार के लिए बढ़ा इंतजार
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार हुई कैप्टन ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। वह कैबिनेट विस्तार को लेकर मिले थे, लेकिन निगम के कारण फिलहाल विस्तार टाल दिया गया है।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पंजाब में कैबिनेट विस्तार का इंतजार और लंबा हो गया है। शनिवार को मुख्यंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। दो चरणों में हुई बैठक में पार्टी के संगठन चुनाव व सरकार के करीब चार माह के कार्यकाल पर चर्चा हुई। हालांकि, पहली बैठक में कैबिनेट विस्तार पर कोई बात नहीं हुई। बाद में राहुल के साथ कैप्टन की वन-टू-वन बैठक में कैबिनेट विस्तार का मुद्दा उठा, लेकिन इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया। कैबिनेट विस्तार को लेकर सभी की आंखें राहुल गांधी के साथ होने वाली बैठक पर टिकी हुई थीं।
पंजाब को लेकर राहुल गांधी ने दो अलग-अलग बैठकें की। एक बैठक में कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी प्रभारी आशा कुमारी, सह प्रभारी हरीश चौधरी और पार्टी अध्यक्ष सुनील जाखड़ मौजूद थे। आधे घंटे तक चली इस बैठक में पार्टी की मजबूती, पंजाब में पार्टी के कार्यों व संगठन चुनाव पर चर्चा हुई। महत्वपूर्ण बात यह थी कि इस बैठक के कारण सुनील जाखड़ अपना अमेरिका का टूर बीच में ही छोड़ कर वापस आ गए थे। जाखड़ को राहुल की तरफ से बैठक में शामिल होने के स्पष्ट निर्देश थे।
निगम चुनाव के चलते टला कैबिनेट विस्तार
कैप्टन-राहुल की बैठक में कैबिनेट विस्तार पर चर्चा हुई, लेकिन इसे फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। माना जा रहा है कि कैप्टन अभी कैबिनेट विस्तार नहीं चाहते। क्योंकि पंजाब में चार नगर निगम चुनाव (जालंधर, लुधियाना, अमृतसर और पटियाला), 32 नगर काउंसिलों और गुरदासपुर में लोकसभा सीट के लिए उप चुनाव हैं। जब तक यह चुनाव संपन्न नहीं हो जाते, तब तक पार्टी कैबिनेट विस्तार के पक्ष में नहीं है। इसी के साथ कैबिनेट मंत्री बनने की राह देख रहे विधायक एक बार फिर से मायूस हो गए हैं। यह दूसरा मौका है, जब कैबिनेट विस्तार को टाला गया है। पंजाब में मुख्यमंत्री को मिलाकर 18 मंत्री बन सकते हैं, जबकि अभी 10 ही हैं।
सोनिया को बताई सरकार की उपलब्धियां
कैप्टन की सोनिया गांधी के साथ हुई मुलाकात को एक औपचारिक मुलाकात बताया जा रहा है। चूंकि जब कैप्टन ने दोबारा मुख्यमंत्री की कमान संभाली थी, तब सोनिया गांधी विदेश में थीं। इसलिए दोनों की भेंट नहीं हो पाई थी। कैप्टन ने सोनिया को सरकार के कामकाज और उपलब्धियों की जानकारी दी।
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