यहां मरने के बाद भी मिलती है पेंशन, 65 हजार को मिल रहा फायदा
पंजाब में मरने के बाद भी लोगों को पेंशन मिल रही है। राज्य में मर चुके हजारों लाेगों के नाम पर पेंशन जारी हो रहे हैं। यह सब वर्षों से हो रहा है।
चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब में मरने के बाद भी बुढ़ापा पेंशन मिलती है। जी हां, हजारों लोगों के मरने के बाद भी उनके नाम पर पेंशन जारी हो रही है। यह घपला वर्षों से जारी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसकी जांच के आदेश तो इसका खुलासा हुआ। राज्य में 65 हजार से अधिक ऐसे लोगों के नाम पर यह पेंशन ली जा रही थी।
एक तरफ पंजाब सरकार खजाना खाली होने का हवाला दे रही और उसे वेतन व पेंशन देने के लिए धनराशि का इंतजाम करने में मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। कर्मचारी आए दिन सड़कों पर उतर कर वेतन समय पर जारी करने की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ, पंजाब सरकार 65,793 मृतकों के नाम फर्जी तरीके से सामाजिक सुरक्षा पेंशन (बुढ़ापा पेंशन) दे रही है।
वोटर कार्ड व आधार कार्ड के बाद फिजिकल वेरिफिकेशन में हुआ पर्दाफाश
पंजाब में बुढ़ापा पेंशन के रूप में हर माह 500 रुपये दिए जाते हैं। फर्जीवाड़े का सिलसिला पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल से ही जारी है और वर्तमान सरकार में भी चल रहा है। अभी वेरिफिकेशन का काम चल रहा है। 19.80 लाख से पेंशनर्स में से दो लाख की ही फिजिकल वेरिफिकेशन हुई है। यह काम अगले छह महीनों तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। लिहाजा संख्या और बढ़ सकती है। इस फर्जीवाड़े से सरकार को अभी तक करीब 50 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।
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फर्जी पेंशन के सबसे ज्यादा 12,574 मामले संगरूर में, बादल के जिले में भी 6,756 केस
कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभालने के बाद ही सामाजिक सुरक्षा विभाग को इस गड़बड़ी की जांच का जिम्मा सौंपा था। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि आर्थिक संकट को देखते हुए पेंशन की राशि बजट में जारी की जाएगी, लेकिन पहले लाभार्थियों का वेरिफिकेशन करवाया जाए।
अकाली सरकार में बने फर्जी केस
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में लाखों की संख्या में फर्जी लाभार्थियों के केस बनाए गए थे। इसके चलते हकीकत में जरूरतमंदों को सरकार की इस स्कीम का लाभ नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद विभाग ने सर्वे शुरू करवाया। वोटर कार्ड, आधार कार्ड व राशन कार्ड के आधार पर पहले चरण का सर्वे पूरा करने के बाद दूसरे चरण में लाभार्थियों की फिजिकल वेरिफिकेशन करवाई गई।
45 हजार के पते गलत
25 अक्टूबर तक की वेरिफिकेशन रिपोर्ट में 65,793 ऐसे लाभार्थियों को चिह्नित किया गया, जिनकी मौत हो चुकी है और उन्हें पेंशन का लाभ मिल रहा था। 82,533 लाभार्थी ऐसे निकले, जो कम आयु के हैं और बुढ़ापा पेंशन का लाभ नहीं ले सकते। 45,128 लाभार्थियों के पते गलत पाए गए। राज्य में कुल 19.89 लाख पेंशनर्स हैं।
पिछली सरकार ने बुढ़ापा पेंशन के रूप में 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने का एेलान किया था। सरकारी खजाने से बुजुर्गों की पेंशन के रूप में साल में 49.51 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जा रही है। फिलहाल कांग्रेस सरकार ने पेंशन के मामलों की पड़ताल तक वेरिफिकेशन के साथ पेंशन देने की योजना पर काम शुरू किया है।
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बुढ़ापा पेंशन के सबसे ज्यादा फर्जी केस संगरूर में निकले हैं। 12574 लाभार्थियों में से 7726 की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन सरकारी खजाने से पेंशन जारी हो रही थी। सबसे कम मामले कपूरथला में निकले हैं। यहां पर केवल 87 लाभार्थियों को बुढ़ापा पेंशन जारी की जा रही थी, इनमें से 38 लाभार्थी आयु के हिसाब से पेंशन लेने के हकदार नहीं हैं।
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'' मुख्यमंत्री के आदेशों पर अभी वेरिफिकेशन का काम जारी है। फाइनल रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही सारी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि कितने मामले फर्जी हैं और सरकार आगे क्या कारवाई करेगी।
- रजिया सुल्ताना, सामाजिक सुरक्षा मंत्री।
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किस जिले में कितने मामले
संगरूर- 12574
तरनतारन- 9796
मानसा- 8958
अमृतसर- 7602
श्री मुक्तसर साहिब- 6756
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