एनकाउंटर में मारा गया आतंकी भगोड़ों की सूची में मोस्ट वांटेड
पंजाब पुलिस ने 1993 में जिस आतंकी का एनकाउंटर किया था वह अब पुलिस की भगोड़ों की लिस्ट में शामिल है। इस एनकाउंटर के लिए एक डीएसपी को सजा भी हो चुकी है।
बठिंडा [राजन कैंथ]। हमेशा विवादोंं में रहने वाली पंजाब पुलिस एक बार फिर सुर्खियोंं में है। पंजाब पुलिस की वेबसाइट पर भगोड़ोंं वाले कॉलम में जिला मानसा के 186 भगोड़ोंं में एक नाम ऐसे हार्ड कोर आतंकवादी का है, जिसका 24 साल पहले पंजाब पुलिस के डीएसपी ने खुद कोलकाता में जाकर एनकाउंटर किया था, मगर कोलकाता की स्थानीय पुलिस को सूचना दिए बगैर हुई इस कार्रवाई के कारण एक डीएसपी को जेल में सजा भी काटनी पड़ी थी।
मानसा के थाना कोट धर्मू के अंर्तगत आते गांव भम्मे कलां निवासी वशीर मोहम्मद (33) पुत्र अली मोहम्मद 90 के दशक का कुख्यात आतंकवादी था। विभिन्न थानोंं में उसके खिलाफ एक के बाद एक हत्या, हत्या प्रयास व लूट के तीस के करीब केस दर्ज हुए। वर्ष 1992 में अदालत ने उसे भगोड़ा करार दे दिया। 1993 में मानसा में तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तत्कालीन डीएसपी सुखदेव सिंह चहल को सूचना मिली कि पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए बशीर मोहम्मद पश्चिम बंगाल के तिलजला इलाके के एक फ्लैट में छिप कर रह रहा है।
डीएसपी चहल के नेतृत्व में एक अन्य अधिकारी व चार कांस्टेबलों की टीम तिलजला पहुंची, जहां उन्होंने आतंकी बशीर मोहम्मद को मार गिराया। मगर टीम से गलती यह हुई कि उक्त कार्रवाई से पहले उन्होंने स्थानीय पुलिस को अपने आने तथा कार्रवाई संबंधी कोई सूचना नहीं दी। जिसके चलते वहां की पुलिस ने उनकी हर बात व दलील को अनसुना कर उनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर सभी कओ जेल भेज दिया।
बाद में पंजाब सरकार के हस्तक्षेप के बाद पुलिस अधिकारी व कर्मचारियोंं को रिहा कराया गया। सारी प्रक्रिया के कारण एक साल से ज्यादा का समय जेल में गुजारना पड़ा। हैरत की बात है कि इस घटना को इतने साल बीत चुके हैं, मगर मानसा पुलिस के भगोड़ों की ऑनलाइन लिस्ट में आज भी आठवां नंबर बशीर मोहम्मद का है।
हैरत में डाला हसन बीबी ने
खुद को बशीर मोहम्मद की बहन बताने वाली हसन बीबी ने गत वर्ष एक प्रेस कांफ्रेंस करके सब को हैरत में डाल दिया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उसके बयान ने 1993 को पश्चिम बंगाल में हुई एनकाउंटर ने नया मोड़ ले लिया। उसने था कहा कि पुलिस ने उसके भाई को घर से उठाया था। उस समय पुलिस ने उसके पति सादिक मोहम्मद को भी उठाया था। उस दिन से उसका कोई पता नहीं है। जिसकी शिकायत उसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास की है।
यह लापरवाही है, जांच करवाऊंगा
बठिंडा रेंज के डीआइजी आशीष चौधरी का कहना है कि बशीर मोहम्मद को मरे कई साल हो चुके हैं। उस केस में कई पुलिस अधिकारी सजा भी काट चुके हैं। उसके बावजूद यदि मानसा पुलिस की पीओ लिस्ट में उसे भगोड़ा दिखाया जा रहा है, तो यह लापरवाही है। मैं इसकी जांच कराउंगा।
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